Chaitra Navratri: महानदी के तट पर स्थित है मां चंद्रहासिनी का भव्य मंदिर, कला और प्रकृति की अद्भुत छटा से घिरा परिसर 

Maa Chandrahasini Temple, Chandrapur
X
मां चंद्रहासिनी मंदिर, चंद्रपुर
चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। महानदी के तट पर चन्द्रहासिनी माता का एक अद्भुत मंदिर है। नवरात्रि के समय यहां पर भव्य मेला लगता है।

देवराज दीपक-सारंगढ़। चैत्र नवरात्र के पहले दिन छत्तीसगढ़ के अलग-अलग देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर, डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर के साथ-साथ चंद्रपुर स्थित मां चंद्रहासिनी मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है।
महानदी के तट पर चन्द्रहासिनी माता का एक अद्भुत मंदिर है। नवरात्रि के समय यहां पर भव्य मेला लगता है। मां चंद्रहासिनी चन्द्रपुर की छोटी सी पहाड़ी पर विराजमान है। यहां पर पौराणिक और धार्मिक कथाओं की सुंदर झांकियां बनाई गई है। इसके अलावा 100 फीट ऊंची महादेव-पार्वती की मूर्ति भी आकर्षण का केंद्र है।

मां चंद्रहासिनी के दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

चारों ओर से प्राकृतिक सुंदरता से घिरे चंद्रपुर की खुबसूरती देखने लायक है। मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक स्वरूप मां चंद्रहासिनी महानदी और माण्ड नदी के बीच चंद्रपुर में विराजित है। मंदिर प्रांगण में अर्धनारीश्वर, महाबलशाली पवन पुत्र, कृष्ण लीला, चिरहरण, महिषासुर वध, चार धाम, नवग्रह, सर्वधर्म सभा, शेषनाग बिस्तर और अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियाँ दिखाई देती है। इसके अलावा, शीश महल, तारा मण्डल, मंदिर के मैदान पर एक चलती हुई झांकी महाभारत काल को जीवंत तरीके से दर्शाती है। इससे आगंतुकों को महाभारत के पात्रों और कथानक के बारे में जानने और याद रखने में सरलता होती है। वहीं माता चंद्रहासिनी की चंद्रमा के आकार की मूर्ति के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

राजा चंद्रहास ने बनवाया था भव्य मंदिर

मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो एक बार संबलपुर के राजा चन्द्रहास यहाँ जंगल में आखेट करने आए। इस दौरान वो एक बराही का पीछा करने लगे। उसका पीछा करते-करते राजा बहुत दूर तक आ गए। जैसे ही उन्होंने बराही को मारने के लिए धनुष उठाया तो बराही ने देवी रूप धारण कर लिया और अंतर्ध्यान हो गई। इसके बाद राजा के स्वप्न में आकर देवी ने राजा को अपना मंदिर बनाने का आदेश दिया। तब राजा चंद्रहास ने महानदी के तट पर मां चंद्रहासिनी का मंदिर बनवाया। वहीं नदी के बीच टापू में माता रानी की छोटी बहन नाथलदाई का मंदिर बनवाया। मां नाथलदाई नदी के बीच टापू में स्थित है। महानदी में कितना ही बाढ़ क्यों न आ जाए लेकिन माता का यह मंदिर कभी नहीं डूबा। कहा जाता है कि, मां चंद्रहासिनी संतान दायिनी है। मां के दरबार में जो भी सच्चे मन से मांगता है तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है।

माता ने बच्चे को अपनी शरण में लिया

मां चंद्रहासिनी और नाथलदाई की एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, कहानी के अनुसार, एक निर्दयी पुलिस वाले ने अपने छोटे से बच्चे को पुल पर से नदी में फेंक दिया, जिसे माँ चंद्रहासिनी और नाथलदाई ने अपनी शरण में रख लिया। इस घटना के बाद से मां चंद्रहासिनी पर भक्तों की श्रद्धा और अधिक बढ़ गई।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story