करकनगुड़ा मुठभेड़ फर्जी : नक्सलियों ने कहा- मछली पकड़ने गए ग्रामीणों को सुरक्षाबलों ने मार दिया

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मुठभेड़ के विरोध में ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन
बस्तर में नक्सलियों के डिविजन ने प्रेस नोट जारी कर पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया है। वहीं ग्रामीणों ने भी नारेबाजी करने के साथ-साथ इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है। 

गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने एक बार फिर से मुठभेड़ को फर्जी बताया है। मारे गए लोगों को निर्दोष बताते हुए पुलिस द्वारा मछली पकड़ने गए हुए ग्रामीण को मारने का आरोप लगाया है। पुलिस के अधिकारियों ने दो नक्सलियों को मुठभेड़ में मारने और घटनास्थल से नक्सल सामग्री बरामद करने का दावा किया है।

दरअसल 23 सितंबर को चिंतलनार थाना क्षेत्रांतर्गत करकनगुड़ा इलाके में नक्सल बटालियन के कंपनी सदस्यों की उपस्थिति की सूचना मिली थी। जवानों को नक्सल उन्मूलन अभियान के दौरान सामना हुआ, जहां इस मुठभेड़ में पुलिस के अधिकारियों ने दो नक्सलियों को मुठभेड़ में मारने और घटनास्थल से नक्सल सामग्री बरामद करने का दावा किया है। वहीं इस दावे के बाद नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिविजन के सचिव गंगा ने प्रेस नोट जारी कर इस पूरे घटनाक्रम को फर्जी बताया है। मारे गए लोगों को निर्दोष बताते हुए कहा है कि, पुलिस ने मछली पकड़ने गए हुए ग्रामीण को मारने का आरोप लगाया है।

ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन

घटना के बाद ग्रामीण इक्कठा होकर पूरे घटनाक्रम को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए शव के साथ चिंतलनार थाना क्षेत्र के कोत्तागुडा में एकजुट हुए हैं। ग्रामीणों ने नारेबाजी करने के साथ-साथ इस मुठभेड़ को फर्जी बताया है। नदी किनारे सोए हुए लोगों को को मारकर नक्सली बताने का आरोप भी लगाया है। ग्रामीणों ने कहा कि, पुलिस जिसे घटना के बाद अपने साथ पकड़कर लाई है नक्सलियों ने उनका कोई संबंध नहीं है।

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शव को रखकर ग्रामीणों ने किया विरोध

नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच पिस रहे बस्तरवासी

बस्तर में चल रहे पुलिस और नक्सलियों के अघोषित लड़ाई में आदिवासी हमेशा से ही पुलिस और नक्सलियों समूह के बीच पिसते आ रहे हैं। उनकी जिंदगी दोनों पक्षों के बीच की लड़ाई की वजह से बहुत मुश्किल हो गई है। एक ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नक्सलियों को 2026 तक ख़त्म करने की डेडलाइन जारी कर चुकें है। इसके बाद से ही लगातार नक्सलियों पहुंच वाले इलाकों में सुरक्षाबलों ने अभियान तेज कर दिया है। अभियान में कभी जवानों को सफलता हासिल होती हैं तो कभी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इन सब के बीच आदिवासी पिस रहे हैं। चाहे नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी के चपेट में आकर हो रही मौत हो या फिर मुखबिरी के शक के चलते नक्सलियों द्वारा मारे जा रहे हों।

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