भारतमाला में गड़बड़ी : भू अर्जन अफसर की 'निर्भय' करतूतों से शासन को 43 करोड़ का चूना, वसूली के लिए लिखी थी चिट्ठी

रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों की रिपोर्ट में नामांतरण से लेकर दानपत्र तक नियमों की अनदेखी को लेकर कई अहम खुलासे हुए। इन कारनामों को अंजाम देने वाले तीन अफसरों के नाम को इस कारनामे का मास्टरमाइंड माना गया। हरिभूमि को मिली रिपोर्ट में उल्लेख है कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी अभनपुर निर्भय साहू, गोबरा नवापारा के तत्कालीन तहसीलदार शशिकांत कुरें और गोबरा नवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण ने 43 करोड़ 18 लाख 27 हजार 627 रुपए की अधिक मुआवजा बांटकर शासन को चूना लगाया।
इन तीनों अफसरों की संलिप्तता को लेकर शासन को पहली रिपोर्ट कलेक्टर रायपुर ने 11 सितंबर 2023 को ही भेज दी थी। शासन को भेजे प्रतिवेदन में ही अफसरों के खिलाफ वसूली की अनुशंसा की गई थी, लेकिन आज तक इन अफसरों से वसूली की कार्रवाई नहीं की जा सकी। हालांकि वर्तमान में तीनों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन अफसरों की संलिप्तता को लेकर प्रतिवेदन में कठोर टिप्पणी भी की गई है।
नियंत्रण नहीं, पद का दुरुपयोग भी
अफसरों की संलिप्तता पर कठोर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में भू अर्जन के सक्षम प्राधिकारी का अधीनस्थ तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारियों पर नियंत्रण नहीं होने का उल्लेख है। इतना ही नहीं, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पर पद का दुरुपयोग कर भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने का उल्लेख है। इन सभी अफसरों ने अधिसूचना के बाद भी नियमों के विपरीत खाता विभाजन कर मुआवजा बढ़ा दिया।
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पटवारियों ने तैयार किए दस्तावेज
अफसरों ने तो कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर खाता विभाजन के प्रकरणों को मंजूरी दी। इन दस्तावेजों को तैयार पटवारियों ने किया। यही वजह है कि रिपोर्ट में पटवारी हल्का नंबर 49 के तत्कालीन पटवारी जिनेंद्र साहू, दिनेश पटेल, भेलवाडीह के तत्कालीन पटवारी, लेखराम देवांगन तत्कालीन हल्का पटवारी नंबर 24, तत्कालीन हल्का पटवारी नंबर 23 के नाम का उल्लेख है। इनकी भूमिका को भी बेहद गंभीर माना गया है।
जिनके नाम, उनको तलब करेगी ईओडब्ल्यू
राज्य सरकार ने भारतमाला मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी है। ईओडब्ल्यू को राजस्व विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मिली है। रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू जांच को आगे बढ़ा रही है। इस बीच सूत्रों से जानकारी मिली है कि जल्द ही रिपोर्ट में जिनके नाम का उल्लेख है, उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। सबसे पहले तत्कालीन अफसरों पर शिकंजा कसेगा, जिन पर 43 करोड़ अधिक मुआवजा देने का आरोप है।
