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किसी को पढ़ाई की बंदिश रास नहीं आई तो किसी ने वैवाहिक बंधन में बंधन से अच्छा जंगल में दर-दर भटकने का रास्ता चुन लिया। कैसे बढ़ता गया नक्सलियों का कुनबा, एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियों की कहानी से समझिए।

 मो. इमरान खान- नारायणपुर। नारायणपुर के पोस्टमार्टम रूम के बाहर छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियों के परिजनों ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। गांव के भोले-भाले युवक और युवतियां जवानी की दहलीज में कदम रखते ही कैसे भटक गईं। आइए लाल लड़ाका बनने से पहले इनकी कहानी से आज हम रूबरू कराते हैं। 

बस्तर में एनकाउंटर हुआ है तो सबसे पहले हम बस्तर की बेटी कमली के बारे में बात करते हैं। बस्तर संभाग के छोटे से गांव की कमली कैसे लालगढ़ की लड़ाका बन गई। घर से लापता बेटी की तस्वीर को लेकर जिला अस्पताल की मरचुरी में रखी लाश को देखती उसकी बेबस मां ने बताया कि, उनकी बेटी की शादी की बात हुई तो वह नाराज हो गई थी। तब उसके पिता ने दो थप्पड़ मार दिए तो वह नाराज होकर घर छोड़कर चली गई। इसके बाद वह कभी घर नहीं लौटी। एनकाउंटर में मारे जाने की सूचना गांव में करंट की तरह फैलने पर उसकी मौत की खबर मिली तब उसका शव लेने के लिए वह नारायणपुर आई हैं। 

पांच साल पहले घर आई पर संगठन का मोह नहीं छोड़ पाई

इसी प्रकार सुकमा के बीहड़ गांव से कमली नाम की मृत महिला नक्सली को लेने आया एक और परिवार की कहानी भी इनकी कमली से मिलती-जुलती है। इसके पिता ने बताया कि 12 साल पहले जब बेटी की शादी की बात हुई तो वह नाराज होकर घर छोड़कर चली गई। 5 साल पहले वह घर आई थी, लेकिन संगठन का मोह नहीं त्याग पाई। बताते हैं कि हार्डकोर नक्सली हिड़मा की कंपनी के साथ उनकी बेटी नक्सली संगठन में शामिल होकर परिवार से दूर रह रही थी। जिसके बाद वह अबूझमाड़ में आ गई थी। 

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जोग्गन्ना के परिजन

सनक मिजाज़ की वजह से छोड़ा घर 

दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर एवम मोस्ट वांटेड नक्सलियों की हिट लिस्ट में शामिल रहे जोगन्ना की कहानी भी दिलचस्प है। उसके मामा नारायण नंदी ने बताया कि, 24 साल की उम्र में सनक मिजाज की वजह से वह परिवार को छोड़कर नक्सली पंथ पर चल पड़ा था। उन्होंने बताया कि, उस दौरान दोस्तों की वजह से नक्सल विचारधारा से काफी प्रभावित हो गया था, वह आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के संगठन में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। 66 साल के जोगन्ना ने एक आंख नकली लगाया था। इनके परिजनों के मुताबिक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान बम ब्लास्ट होने से एक आंख खराब हो गई थी, तब उसने एक आंख कांच का लगवा लिया था। 

रवि उर्फ किशन को दो थप्पड़ ने बना दिया नक्सली 

तेलंगाना से नक्सली रवि के रिश्तेदार शव लेने के लिए नारायणपुर पहुंचे। इस दौरान रवि के बड़े भाई ने बताया कि 32 साल पहले 10 वीं कक्षा में फेल होने के कारण उन्होंने छोटे भाई रवि को दो थप्पड़ मार दिया था, जिससे वह नाराज होकर घर छोड़ दिया था। नाराजगी की वजह से वह नक्सल संगठन से जुड़ गया था। बस्तर क्षेत्र में सक्रिय रवि ने नक्सल संगठन में रहते गई घटनाओं को अंजाम दिया था। रवि उर्फ विनय पर 8 आपराधिक मामले गढ़चिरौली जिले में दर्ज होने की पुष्टि छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा की गई है। 

पूरे गांव में लगाए पोस्टर, रखी गई शोकसभा 

जोगन्ना के गृहग्राम तेलंगाना में शव के पहुंचने के बाद सड़क किनारे खड़े लोगों के द्वारा कामरेड जिंदाबाद का नारा लगाया गया। पूरे गांव में जोगन्ना और संगीता के पोस्टर को लगाकर दंडकारण्य की रक्षा के लिए शहीद होने की बात कही गई। अंतिम संस्कार के दौरान मातम छाया रहा। नारायणपुर से शव लेकर गए मुक्तांजलि शव वाहन के चालक सुरजीत कुमार ने बताया कि, पेदापल्ली गांव में पहुंचने के बाद शोकसभा का कार्यक्रम रखा गया था। सभा में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों की मौजूदगी रही। रोते बिलखते हुए लोगों ने जोगन्ना और संगीता को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान तेलुगु भाषा में लोगों ने भाषण देकर उसे वीर योद्धा बताया। पूरे गांव में लाल झंडे लगाए गए थे।

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