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WFI के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा है कि खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को सस्पेंड करने के लिए सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। हम इसके खिलाफ अदालत जाएंगे।

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह ने इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा WFI के कामकाज को देखने के लिए गठित की गई एडहॉक कमेटी को मानने से इनकार कर दिया। बता दें कि खेल मंत्रालय ने एक दिन पहले ही भारतीय कुश्ती संघ की नई कार्यकारिणी को निलंबित करने के बाद इसके संचालन के लिए तीन सदस्यीय एडहॉक कमेटी का गठन किया था। वुशु संघ के अध्यक्ष भूपेंदर सिंह बाजवा को इसका चेयरमैन बनाया गया है। 

WFI के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह ने खेल मंत्रालय की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के लिए सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि जल्द ही वो खेल मंत्रालय के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। 

हम सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे: संजय 
संजय सिंह ने तर्क दिया कि भारतीय कुश्ती संघ एक स्वायत्त और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निकाय है और निलंबन का सामना करने से पहले उसे अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था, जोकि नहीं हुआ।  

'लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीते थे'
उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, "हमने लोकतांत्रिक ढंग से रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव जीता था। चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस थे। वहीं, आईओए और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के पर्यवेक्षक भी मौजूद थे। 25 में से 22 स्टेट यूनिट ने चुनाव में हिस्सा लिया था। 47 वोट पड़े थे, जिसमें से 40 मुझे मिले थे।"

निलंबित WFI अध्यक्ष ने आगे कहा कि इस सबके बाद भी अगरआप ये कहें कि हमें सस्पेंड कर दिया गया है तो हम इसे मानने को तैयार नहीं हैं। लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई बॉडी को अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया। ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। 

जब उनसे ये पूछा गया कि आगे आप क्या करेंगे तो संजय सिंह ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ स्वायत्त संस्था है और सरकार ने सही तरीके से इसे निलंबित नहीं किया। हम सरकार से बात करेंगे और अगर सरकार ने सस्पेंशन का फैसला वापस नहीं लिया तो हम कानूनी  सलाह लेंगे और कोर्ट जाएंगे। 

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