Holi 2024: सर्वार्थ सिद्ध योग में होगा होलिका दहन, हवा की दिशा का होता है काफी प्रभाव, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Holika Dahan 2024
X
होलिका दहन।
Holi 2024: होली भारत देश का एक प्रमुख सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। पूरे देश में होली के दिन अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। यह त्यौहार भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना लेकर आता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं।

Holi 2024: होली भारत देश का एक प्रमुख सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। पूरे देश में होली के दिन अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। यह त्यौहार भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना लेकर आता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं।

होलिका दहन पर इस साल एक अद्भुत योग बन रहा है। मां शारदा देवी धाम मैहर के प्रख्यात वास्तु एवं ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि प्रातः 07 बजकर 40 मिनिट से सर्वार्थ सिद्ध योग बन रहा है, जो पूरी रात तक रहेगा। यह योग होलिका दहन हेतु सर्वत्र शुभ फलदाई है।

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है होलिका दहन
बसंत का महीना लगने के बाद से ही सबको होली का इंतजार शुरू हो जाता है। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली खेली जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होली के दिन ज्यादातर घरों में गुझिया और विशेष प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। इसके साथ ही लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पैर छूकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं।

शुभ मुहूर्त
होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल होली का त्यौहार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 11 बजकर 31 मिनट पर होगा।

होलिका दहन
पंडित द्विवेदी के अनुसार होलिका दहन के तीन नियम है पहले तो पूर्णिमा तिथि हो, रात्रि का समय हो और भद्रा न हो। इस साल होलिका दहन का समय रात्रि 10 बजकर 28 मिनिट के बाद है। होली के दिन रात्रि 10 बजकर 28 मिनिट तक भद्रा है। इसलिए होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 10 बजकर 28 मिनट के बाद ही शुरू होगा।

होलिका दहन पर हवा की दिशा से फलकथन
पंडित द्विवेदी ने बताया कि सनातन हिंदू धर्म शास्त्रों में होलिका दहन के समय हवा की दिशा और गति देखकर शुभ अशुभ का निर्णय किया जा सकता है। होलिका दहन के समय यदि वायु का वेग पूर्व दिशा की ओर हो, तो सर्वत्र खुशहाली आती है। अगर वेग दक्षिण दिशा की ओर हो, तो इसे अशुभ माना जाता है। जिसके अशुभ प्रभाव से महामारी, फसलों को नुकसान, विद्रोह एवं राज्य की सत्ता भंग होने की संभावना बनती है। इसलिए इन चीजों का विशेष ध्यान दें।

यदि पश्चिम दिशा की ओर वायु का वेग हो तो कृषि को नुकसान और अगर उत्तर की ओर है तो यह अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा होने से सर्वत्र धन धान्य से पूर्णता रहेगी। इसके साथ ही आर्थिक क्षेत्र में उन्नति होती है। अगर वायु का वेग अथवा होली का धुंआ आकाश की ओर जाता है, तो इसे राजनीति में बदलाव का सूचक माना जाता है।

होलिका दहन पूजा की विधि
पं. मोहनलाल द्विवेदी के बताए अनुसार होलिका दहन पूजा की विधि इस प्रकार से करें।
होलिका दहन की पूजा करने से पहले स्नान करना जरूरी है।
स्नान करने के बाद आप होलिका दहन की पूजा वाली जगह पर पूर्ब या उत्तर दिशा की ओर घूमकर करके बैठ जाएं।
पूजा के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा को बनाएं।
पूजा की सामग्री के लिए रोली, कच्चा सूत, फूल, फूलों की माला, हल्दी,.मूंग, बताशे, गुड़, साबुत, गुलाल, नारियल सहित अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा कर मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
होलिका की पूजा के दौरान ही भगवान नरसिंह की विधि-विधान से पूजा करें।
पूजा करने के बाद सात बार होलिका के चारों ओर परिक्रमा करें।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story