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White Paper: वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने गुरुवार को संसद में श्वेत पत्र प्रस्तुत किया। इस श्वेत पत्र में मौजूदा केंद्र सरकार और यूपीए के कार्यकाल का तुलना किया गया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने व्हाइट पेपर प्रस्तुत करते हुए कहा कि यूपीए ने अपने 10 साल के कार्यकाल में इकोनॉकी को नॉन परफॉर्मिंग बना दिया।

White Paper: केंद्र सरकार ने गुरुवार को संसद में व्हाइट पेपर पेश किया।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे संसद के पटल पर रखा। इस श्वेत पत्र में मौजूदा केंद्र सरकार और यूपीए के कार्यकाल के दौरान रही सरकार का तुलना किया गया है। सीतारमण ने व्हाइट पेपर पेश करने के बाद कहा यूपीए सरकार को विरासत में एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली थी लेकिन अपने दस सालों के कार्यकाल में इसने इसे बेकार कर दिया।

पूर्व पीएम मनमोह सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर निशाना
केंद्र सरकार ने इस श्वेत पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था गर्त में चला गया। अपने कार्यकाल के दौरान यूपीए सरकार ने आर्थिक उदारीकरण लाने वाले सिद्धांतों को त्याग दिया। इकोनॉमिक मिसमैनेजमेंट और भ्रष्टचार के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा। 

यूपीए कार्यकाल से पहले बढ़ रही थी इकोनॉमी
व्हाइट पेपर में बताया गया है कि जब साल 2004 में यूपीए सरकार का कार्यकाल शुरू हुआ था तो अर्थव्यवस्था 8 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा था। उद्योग और सेवा क्षेत्र में सात प्रतिशत से अधिक के दर से बढोतरी हो रही थी। वहीं कृषि सेक्टर की बढोत्तरी भी 9 प्रतिशत से ऊपर थी, जबकि उस समय पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रहा था। 

 बैंकों की कॉमर्शियल लेंडिंग में दखअंदाजी  की गई
सरकार ने व्हाइट पेपर में लिखा है कि बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की अहम विरासतों में से एक था। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई, तो पब्लिक सेक्टर के बैंकों में ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (जीएनपीए) का अनुपात 16.0 प्रतिशत था। वहीं, जब वाजपेयी का कार्यकाल पूरा तो यह 7.8 प्रतिशत था। सितंबर 2013 में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कॉमर्शियल लेडिंग से जुड़े फैसलों में में यूपीए सरकार ने राजनीतिक दखलअंदाजी शुरू की। 

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