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CBI Raids Against Harsh Mander's NGO: हर्ष मंदर ने लगभग दो दशकों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम किया। 2002 में उन्होंने गुजरात दंगों के बाद नौकरी छोड़ दी थी। आरोप लगाया था कि गुजरात में दंगे प्रायोजित थे। आगे चलकर हर्ष मंदर कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य बने। 

CBI Raids Against Harsh Mander's NGO: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर के आवास और कार्यालय पर छापेमारी की। उनके खिलाफ एनजीओ अमन बिरादरी को विदेशी फंडिंग का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम यानी FCRA का उल्लंघन किया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है। हर्ष मंदिर, लेखक, मानवाधिकार कार्यकर्ता होने के साथ सोनिया गांधी के नेतृत्व वाले यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे।  

गृह मंत्रालय ने की थी जांच की सिफारिश
केंद्रीय गृह मंत्रालय की शिकायत के बाद विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए अमन बिरादरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने हर्ष मंदिर के एनजीओ से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरू की थी। उस वक्त भी उनके आवास पर छापा मारा गया था। 2023 में गृह मंत्रालय ने हर्ष मंदर के एनजीओ के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 

कौन हैं हर्ष मंदर?
हर्ष मंदर ने लगभग दो दशकों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में काम किया। 2002 में उन्होंने गुजरात दंगों के बाद नौकरी छोड़ दी थी। आरोप लगाया था कि गुजरात में दंगे प्रायोजित थे। आगे चलकर हर्ष मंदर कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य बने। 

हर्ष मंदर ने अपने संगठन कारवां-ए-मोहब्बत के साथ मिलकर सीएए को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें उन्होंने छात्रों का समर्थन किया था। यूपी पुलिस के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। हालांकि बाद में उनकी रिपोर्ट झूठी निकली। शाहीद बाग प्रदर्शन में में भी हर्ष मंदिर काफी एक्टिव थे। 

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