RGPV कुलपति ने दिया इस्तीफा: सुनील गुप्ता छुट्‌टी से लौटते ही पहुंचे राजभवन, सैलरी अकाउंट्स को छोड़कर सभी खाते फ्रीज

RGPV University Scam
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RGPV University Scam: राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय में 19.48 करोड़ के घोटाले मामले में आज राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया है। हालांकि अभी इस्तीफा मंजूर हुआ है या नहीं इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। 

RGPV University Scam: राजधानी भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार गुप्ता बुधवार सुबह इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे। प्रोफेसर कई दिनों से छुट्‌टी पर थे। बुधवार सुबह छुट्टी से लौटते ही गर्वनर हाउस इस्तीफा देने पहुंच गए। सूत्रों के अनुसार वे सुबह करीब 11 बजे गर्वनर हाउस पहुंचे और इस्तीफा सौंपा। हालांकि, अभी इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं इसके बारे में अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

सुबह आएग विश्वविद्यालय, फिर राजभवन रवाना
RGPV सूत्रों ने बताया कि कुलपति प्रो. सुनील कुमार सुबह करीब 10 बजे विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने विभिन्न डिपार्टमेंट के एचओडी से मुलाकात की। उन्होंने यूनिवर्सिटी के अलग-अलग डिपार्टमेंट के एचओडी को कैबिन में बुलाया। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने इस्तीफे के फैसले के बारे में बताया। इसके करीब 15 मिनट बाद वे यूनिवर्सिटी से राजभवन के लिए रवाना हो गए।

RGPV के सभी बैंक खाते फ्रीज
यूनिवर्सिटी में करोड़ों के गबन का खुलासा होने के बाद RGPV प्रशासन ने अपने सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। इसमें खास तौर पर एक्सिस बैंक और यूनियन बैंक के खाते हैं। इन बैंकों से कोई भी लेन-देन RGPV प्रशासन की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा। सिर्फ सैलरी के खाते ही चालू रखे गए हैं। करप्शन के इस पूरे खेल में 200 से 250 करोड़ रुपए का लेन-देन जांच के दायरे में है। 50 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जाने के बाद करीब 20 करोड़ रुपए अवैध तौर पर निकाले जाने का खुलासा हो चुका है, और बाकी की जांच हो रही है।

यूनिवर्सिटी के 19.48 करोड़ रुपए प्राइवेट खाते में जमा
यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, फाइनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने विश्वविद्यालय के 19.48 करोड़ रुपए कुमार मयंक के प्राइवेट खाते में जमा कराए हैं। कुमार मयंक और दलित संघ के अकाउंट में जमा कराए गए इन रुपयों के चैक पर कुलपति, तत्कालीन रजिस्ट्रार और फाइनेंस कंट्रोलर के दस्तखत मामले की जांच कर रही तीन सदस्यीय समिति को मिले हैं।

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