वाशिंगटन डीसी: ट्रंप का बड़ा बयान, बोले- "हमने भारत-रूस को चीन के हाथों खो दिया"
एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को चीन के करीब बताकर विवाद खड़ा कर दिया। जानें पूरा मामला।
टैरिफ वॉर पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान
वाशिंगटन डीसी: ट्रंप का बड़ा बयान, भारत-रूस को चीन के करीब बतायाअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के बाद एक विवादास्पद बयान दिया है। यह बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद आया है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर तीनों नेताओं की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "लगता है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और सबसे अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।"
इस बयान ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह भारत और रूस जैसे महत्वपूर्ण देशों के चीन के साथ बढ़ते संबंधों पर टिप्पणी करता है। एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन के बीच सहयोग पर जोर दिया गया था, जिसे ट्रंप ने अपने बयान में नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया।
ट्रंप का यह ताजा पोस्ट ऐसे समय आया है, जब उन्होंने गुरुवार (4 september) को अदालत में दिए अपने बयान में भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ को सही ठहराया था। ट्रंप ने कहा था कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसके साथ व्यापारिक संतुलन बनाए रखने के लिए शुल्क आवश्यक हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिकी उद्योग और नौकरियों की रक्षा के लिए टैरिफ नीति को जारी रखना जरूरी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान मौजूदा विवादित पोस्ट से सीधे जुड़ा है और अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों पर दबाव को और गहरा कर सकता है। यह बयान अमेरिका की बदलती विदेश नीति और क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर चिंता को दर्शाता है। भारत ने इस बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर भारत सरकार ने औपचारिक प्रतिक्रिया देने से फिलहाल परहेज किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा—
"इस पोस्ट के संबंध में, इस समय मेरे पास इस पर कोई टिप्पणी करने के लिए कुछ नहीं है।"
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह सावधानीपूर्ण चुप्पी अमेरिका, रूस और चीन के बीच बदलते कूटनीतिक समीकरणों को देखते हुए रणनीतिक दृष्टिकोण का हिस्सा हो सकती है।
वाशिंगटन के टैरिफ विवाद के बीच मोदी-जिनपिंग द्विपक्षीय वार्ता
सप्ताह की शुरुआत में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी की थी।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रविवार को वाशिंगटन के टैरिफ विवाद की पृष्ठभूमि में द्विपक्षीय वार्ता की। इस बातचीत का असर दुनिया की लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा। यह प्रधानमंत्री मोदी की सात वर्षों में पहली चीन यात्रा थी और 2018 के बाद पहली बार चीन की जमीन पर दोनों नेताओं की आमने-सामने की मुलाकात हुई।
- तनाव कम करने की दिशा में दोनों देशों ने कई अहम कदमों की घोषणा की।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू की गई, जिससे भारतीय तीर्थयात्रियों को तिब्बत जाने का अवसर मिलेगा।
- भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवाएं बहाल करने का फैसला हुआ, जो आपसी आदान-प्रदान और संपर्क को सामान्य बनाने की दिशा में अहम कदम है।
द्विपक्षीय वार्ता के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने कार यात्रा के दौरान लगभग 45 मिनट की निजी बातचीत की। पुतिन ने बाद में खुलासा किया कि उनकी चर्चा हाल ही में अलास्का में हुए अमेरिका-रूस शिखर सम्मेलन पर केंद्रित रही।