पाकिस्तान में महंगाई से हाहाकार: बकरीद से पहले पेशावर में टमाटर 200 रुपए KG बिका, प्रशासन ने धारा 144 लगाई 

Tomato Prices: ईद-उल-अज़हा से पहले टमाटर की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है। पाकिस्तान में पेशावर के बाहर टमाटरों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

Updated On 2024-06-16 23:08:00 IST
Pakistan Tomato Prices

Tomato Prices: ईद से पहले पाकिस्तान में जनता बेतहाशा महंगाई से त्राहिमाम कर रही है। पड़ोसी मुल्क में टमाटर की कीमतें पिछले कुछ दिनों में आसमान छू रही हैं। रविवार को यहां बाजारों में एक किलोग्राम टमाटर खरीदने के लिए लोगों को 200 रुपए (स्थानीय मुद्रा) तक चुकाने पड़े। जबकि पेशावर में स्थानीय प्रशासन ने इसका रेट 100 रुपए तय किया था।  

धारा 144 लागू, पेशावर से बाहर टमाटर ले जाने पर रोक
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में लोकल रिटेल मार्केट में ईद-उल-अज़हा के महज एक दिन पहले टमाटर की कीमतों में भारी उछाल देखा गया। पेशावर में कीमतें पीकेआर 200 प्रति किलोग्राम से अधिक हो गईं। पेशावर के डिप्टी कमिश्नर ने धारा 144 लागू कर जिले से बाहर टमाटर ले जाने पर रोक लगाई दी है। आमतौर पर टमाटर की कीमतों में हर साल रमज़ान और ईद-उल-अधा के दौरान उछाल आता है।

पाकिस्तान में अप्रैल में 500 रुपए किलो बिका था टमाटर
ट्रिब्यून अखबार ने स्थानीय लोगों के हवाले से बताया कि कीमतें एक ही दिन में 100 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ गईं। ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन की कोशिशें एक बार फिर मौखिक निर्देश बनकर रह जाएंगी। इसी साल अप्रैल में ईदुल फितर के दौरान लिमिटेड सप्लाई के कारण खुदरा बाजार में टमाटर की कीमतें 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई थीं।

एसडीपीआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने बताए उपाय

  • सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एसडीपीआई) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आबिद सुलेरी का मानना है कि सरकार को व्यक्तिगत आयकर ब्रैकेट की रूपरेखा तैयार करते समय मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम कर योग्य आय सीमा को समायोजित करना चाहिए। 
  • ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, वह पीकेआर 50,000 की मौजूदा मासिक छूट की आलोचना करते हुए इसे नाकाफी मानते हैं। चेतावनी देते हैं कि प्रारंभिक कर स्लैब के भीतर आने वाले लोगों पर कर दोगुना करने से उनकी डिस्पोजेबल आय कम हो सकती है, जिससे आर्थिक कठिनाइयां बढ़ सकती हैं।
  • डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सुलेरी ने खेती से आय के कराधान के बारे में किसी भी उल्लेख की अनुपस्थिति पर जोर दिया है। उनका मानना ​​है कि इससे कर आधार काफी हद तक बढ़ सकता है।

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