इस्लामाबाद में तनाव: टीएलपी के मार्च से मचा बवाल, इंटरनेट बंद; हाई अलर्ट पर अमेरिकी दूतावास
इस्लामाबाद में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के प्रदर्शन से हालात बिगड़े। अमेरिकी दूतावास के बाहर सुरक्षा अलर्ट, इंटरनेट बंद और झड़पें जारी।
पुलिस और TLP कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़पें
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद शुक्रवार को तनाव और अराजकता के माहौल बढ़ गया। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) नाम का धार्मिक संगठन गाजा में हो रही हिंसा के विरोध में अमेरिकी दूतावास तक मार्च करना चाहता था।
सरकार ने प्रदर्शन रोकने के लिए शहर की मुख्य सड़कों को शिपिंग कंटेनरों से बंद कर दिया और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दीं। अब पूरे शहर में सुरक्षा हाई अलर्ट है।
रेड जोन को बनाया गया किला
अमेरिकी दूतावास और सरकारी इमारतों वाले इलाके को रेड जोन करके पूरी तरह सील कर दिया गया है। शहर के प्रवेश बिंदुओं पर भारी बैरिकेडिंग की गई है।
टीएलपी प्रदर्शनों का केंद्र फैजाबाद इंटरचेंज को भी कंटेनरों से बंद कर दिया गया है। मुर्री रोड के आसपास के होटलों को खाली कराने के आदेश दिए गए हैं।
इंटरनेट बंद और सुरक्षा एडवाइजरी जारी
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने दूरसंचार प्राधिकरण (PTA) को इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच संपर्क बाधित हो सके।
अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि वे भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहें और सतर्क रहें, क्योंकि प्रदर्शन के कारण कई सड़कें बंद हैं। लाहौर, कराची और पेशावर के अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों ने भी इसी तरह की चेतावनी जारी की है।
लाहौर में हिंसक झड़पें
गुरुवार को लाहौर में जब टीएलपी ने मार्च शुरू किया, तो पुलिस और प्रदर्शनकारियों में हिंसक झड़पें हुईं। डॉन की रिपोर्ट्स के मुताबिक, दर्जनों लोग घायल हुए और एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है। टीएलपी ने दावा किया है कि उनके दो कार्यकर्ता मारे गए। प्रदर्शनकारियों ने "गाजा के लिए न्याय" के नारे लगाते हुए सड़कों को जाम किया और कई जगह वाहनों व संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
सरकार का आरोप और कार्रवाई
गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने कहा कि टीएलपी गाजा मुद्दे का इस्तेमाल देश में अशांति फैलाने के लिए कर रही है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के पास से डंडे, कांच के गोले, आंसू गैस के गोले और हथियार मिले हैं। सरकार ने टीएलपी नेताओं के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत केस दर्ज किए हैं।
टीएलपी का इतिहास क्या है?
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) की स्थापना 2015 में मौलाना खादिम हुसैन रिजवी ने की थी। यह संगठन ईशनिंदा कानूनों के समर्थन के लिए जाना जाता है, जिसमें इस्लाम का अपमान करने पर मृत्युदंड का प्रावधान है।
2020 में रिजवी के निधन के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने नेतृत्व संभाला। 2018 के चुनावों में टीएलपी ने 22 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए और पाकिस्तान की पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
यह समूह पहले भी कई बार हिंसक प्रदर्शनों के लिए चर्चा में रहा है। 2021 में फ्रांस में प्रकाशित विवादित कार्टूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया था, लेकिन बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया। अब टीएलपी गाजा के समर्थन में एक बार फिर सड़कों पर है और सरकार को डर है कि यह प्रदर्शन हिंसक रूप ले सकता है।