8वां वेतन आयोग: कितनी बढ़ेगी 50 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी? रिटायर्ड IAS हीरालाल का खुलासा, देखें वीडियो

8th Pay Commission को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। जानिए रिटायर IAS हीरालाल और विशेषज्ञों ने क्या कहा, कितनी बढ़ेगी सैलरी और किन्हें नहीं मिलेगा फायदा।

Updated On 2025-10-29 23:12:00 IST

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने मंगलवार, 28 अक्टूबर को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही करीब 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनर्स में खुशी की लहर दौड़ गई है।

सरकार ने आयोग को अपनी सिफारिशें 18 महीनों के भीतर सौंपने का निर्देश दिया है, जिन्हें 1 जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है।

क्या वाकई सैलरी में होगी बड़ी बढ़ोतरी?

8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है। हालांकि, इस फैसले के साथ कई सवाल भी उठ रहे हैं —

जब महंगाई भत्ता (DA) पहले ही इंडेक्स के हिसाब से बढ़ता है, तो फिर नए वेतन आयोग की जरूरत क्यों?

क्या मौजूदा वेतन और पेंशन पर्याप्त नहीं हैं?

और क्या इससे प्राइवेट सेक्टर व कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के बीच असमानता नहीं बढ़ेगी?

खास चर्चा: "8वें वेतन आयोग की सच्चाई" 

इस विषय पर INH 24x7 और हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने विशेष चर्चा की। इस चर्चा में शामिल हुए-

  • रिटायर्ड IAS हीरालाल त्रिवेदी
  • अर्थशास्त्री सारथी आचार्य
  • अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा

पूरा विश्लेषण वीडियो यहां देखें

Full Viewविशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्री सारथी आचार्य ने कहा- “पिछले 10-15 सालों में सरकार ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है। ऐसे में 8वें वेतन आयोग का लाभ केवल स्थायी पदों (IAS, UPSC, आर्मी आदि) को मिलेगा, अस्थायी कर्मियों को नहीं।”

रिटायर्ड IAS हीरालाल त्रिवेदी ने आयोग का समर्थन करते हुए कहा- “वेतन आयोग कभी भी वेतन घटाने के लिए नहीं आता, बल्कि बढ़ाने के लिए आता है। अब देखना होगा कि यह बढ़ोतरी कितनी होगी।”

उन्होंने आगे कहा, “देश में अधिकतर भर्ती मेरिट के आधार पर होती है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों के पास उतनी जिम्मेदारी या नॉलेज नहीं होती।”

कर्मचारियों के पक्ष में सुभाष लांबा का बयान

सुभाष लांबा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते कहा कि, “यह एक भ्रष्ट और शोषणकारी व्यवस्था बन चुकी है। एक ही टेबल पर दो तरह के कर्मचारी बैठे हैं-

एक रेगुलर और दूसरा नॉन-रेगुलर, जिनकी तनख्वाह में बड़ा फर्क है। यह असमानता खत्म होनी चाहिए।”

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