गो-संवर्धन और 'काऊ टूरिज्म': ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई उड़ान देने की तैयारी में योगी सरकार

गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई पहचान देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 'काऊ टूरिज्म' की संभावनाएं तलाश रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रत्येक जिले में एक 'आदर्श गोशाला' को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

Updated On 2025-10-14 14:26:00 IST

दीपावली पर गोबर से बने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने गोशालाओं को केवल संरक्षण केंद्र तक सीमित न रखकर, उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार बनाने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और 'काऊ टूरिज्म' (गौ-पर्यटन) की नई संभावनाओं को तलाशना है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के नए साधन उपलब्ध हो सकें।

हर जिले में 'आदर्श गोशाला' का विकास

राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में एक 'आदर्श गोशाला' स्थापित करने का निर्णय लिया है। इन गोशालाओं को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इन आदर्श गोशालाओं को वेस्ट-फ्री शेड डिज़ाइन और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के साथ एक मॉडल के रूप में स्थापित किया जाएगा। इन गोशालाओं के जरिए न केवल गोवंश का बेहतर संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित होगा, बल्कि ये ग्रामीण नवाचार और रोजगार का केंद्र भी बनेंगी।

आत्मनिर्भरता का आधार-पंचगव्य और गो-आधारित उत्पाद

गोशालाओं की आर्थिक मजबूती के लिए गो-आधारित उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध, घी और अन्य पंचगव्य से बने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की व्यापक योजना है।

महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी

इस योजना की सफलता में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाया जाएगा। उन्हें स्थानीय स्तर पर गोबर से पेंट, जैविक खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और दीपावली के लिए गोबर से बने दीये व अन्य उत्पादों के निर्माण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बायोगैस और ऊर्जा संरक्षण

चयनित गोशालाओं में बायोगैस संयंत्र भी लगाए जाएंगे, जिससे स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन होगा। गोबर से बने बायोगैस का उपयोग गोशाला की जरूरतों को पूरा करने और आसपास के गांवों को भी लाभ पहुंचाने में किया जाएगा।

जागरूकता अभियान

दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों पर गोबर से बने उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिससे इन स्थानीय उत्पादों को एक बड़ा बाजार मिल सके।

'काऊ टूरिज्म' से रोजगार सृजन

'काऊ टूरिज्म' के माध्यम से गोशालाओं को पर्यटन से जोड़ा जाएगा। पर्यटक इन आदर्श गोशालाओं का भ्रमण कर सकेंगे, जहां उन्हें भारतीय गोवंश की महत्ता, गो-आधारित कृषि, पंचगव्य उत्पादों के निर्माण की प्रक्रिया और ग्रामीण जीवनशैली को करीब से जानने का मौका मिलेगा। इस पहल से पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा और स्थानीय लोगों को गाइड, हस्तशिल्प विक्रेता और अन्य सेवाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ होगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई पहचान और मजबूती मिलेगी।

'मुख्यमंत्री सहभागिता योजना' का विस्तार

गोवंश संरक्षण की दिशा में सरकार पहले से ही 'मुख्यमंत्री सहभागिता योजना' चला रही है, जिसके तहत किसानों को गोवंश गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और प्रति पशु रखरखाव के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इस योजना में अब मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कैटल शेड और बायोगैस यूनिट भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। 'काऊ टूरिज्म' और 'आदर्श गोशाला' की पहल इसी व्यापक योजना का विस्तार है, जिसका अंतिम लक्ष्य प्रदेश की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और गो-संवर्धन के माध्यम से ग्रामीण विकास को गति देना है।


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