इलाहाबाद हाईकोर्ट का सख्त रुख: चुनाव आयोग से पूछा- प्रत्याशियों की संपत्ति के सत्यापन का क्या है ठोस प्लान?

कोर्ट ने पारदर्शिता और चुनावी शुचिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग से विस्तृत हलफनामा मांगा है।

Updated On 2025-12-05 15:54:00 IST

चुनाव आयोग को न्यायालय के समक्ष अपनी सत्यापन प्रक्रिया का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करना होगा।

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों द्वारा दाखिल हलफनामे में उनकी और उनके आश्रितों की संपत्ति की घोषणा के सत्यापन की व्यवस्था को लेकर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है।

कोर्ट ने जानना चाहा है कि आयोग के पास ऐसी घोषणाओं की सत्यता जांचने और गलत जानकारी पाए जाने पर क्या कार्रवाई करने का तंत्र मौजूद है। 

हाईकोर्ट ने आयोग से मांगा हलफनामा

न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इस याचिका में प्रत्याशियों द्वारा नामांकन के समय दिए गए संपत्ति विवरण में विसंगतियों और संभावित गलत बयानी पर चिंता व्यक्त की गई थी।

हाईकोर्ट ने आयोग से पूछा है कि संपत्ति विवरण की जांच का मौजूदा मैकेनिज़्म क्या है और यदि कोई जानकारी असत्य पाई जाती है तो उसके लिए क्या दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाते हैं।

कोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि केवल घोषणा पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके सत्यापन की एक ठोस और प्रभावी व्यवस्था होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश और निहितार्थ

यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों के आलोक में भी महत्वपूर्ण हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि उम्मीदवारों द्वारा स्वयं, जीवनसाथी या आश्रितों की संपत्ति के बारे में झूठी घोषणा करना भ्रष्ट आचरण माना जाएगा।

कोर्ट ने यह भी माना है कि गलत घोषणा का उसके चुनाव पर असर पड़ सकता है, जैसा कि कुछ मामलों में चुनाव रद्द करने के फैसलों से साबित हुआ है।

हाईकोर्ट का यह सवाल आयोग को अपनी सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे मतदाताओं का जानने का अधिकार और भी पुख्ता होगा।

पारदर्शिता और शुचिता की महत्ता पर जोर

न्यायालय ने जोर दिया है कि चुनाव में शुचिता और पारदर्शिता राष्ट्रीय महत्व का विषय है। संपत्ति की घोषणा में बेईमानी को माफ कर देना जनहित और संविधान की भावना के खिलाफ होगा। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह में होने की उम्मीद है।

इस दौरान चुनाव आयोग को न्यायालय के समक्ष अपनी सत्यापन प्रक्रिया का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करना होगा। यह न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करेगी कि चुनावी प्रक्रिया में शामिल उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि मतदाताओं के समक्ष सही और सत्यापित रूप में प्रस्तुत हो।


Tags:    

Similar News