किलोल कुंज' से लेकर सात फेरों तक: कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय आज शिप्रा शर्मा संग वैदिक रीति से बंधेंगे विवाह बंधन में, जयपुर में उमड़ा संत-समाज का सैलाब
इस भव्य समारोह में जया किशोरी सहित कई संत-महात्मा और नामचीन हस्तियां पहुंची हैं। विवाह सात्विक और पारंपरिक तरीके से हो रहा है, जो धर्म और भक्ति के मिलन का उत्सव है।
इस विवाह को 'भागवत भास्कर' के परिवार में अनुष्ठान माना जा रहा है, जहा नई पीढ़ी धार्मिक मूल्यों के साथ गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर रही है।
मथुरा : युवा कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय आज जयपुर के ताज आमेर होटल में विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं। उनका विवाह यमुनानगर हरियाणा की शिप्रा शर्मा के साथ हो रहा है। विवाह समारोह को पूरी तरह से सनातन परंपराओं और वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित किया गया है, जिसके साक्षी बनने के लिए देश भर से संत-महात्मा और उनके अनुयायी जयपुर पहुंचे हैं।
सुबह बारात निकलने के साथ ही विवाह की रस्में शुरू हो जाएंगी, जिसने पूरे दिन भक्ति और उल्लास का माहौल बना दिया है।
निकली इंद्रेश उपाध्याय की बारात, तैयारियां पूरी
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय की बारात आज सुबह ताज आमेर होटल से निकलने के लिए पूरी तरह तैयार है। बारात में साधु-संतों, परिवारजनों और देश-विदेश से आए अनुयायियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रहने वाली है, जो इस आयोजन को एक धार्मिक उत्सव का रूप देगी।
बारात निकलने के बाद, विवाह की मुख्य रस्में पूरी तरह से वैदिक विधि और शास्त्रों के अनुसार सम्पन्न होंगी। इस शुभ विवाह में प्रख्यात कथावाचक जया किशोरी सहित कई अन्य धार्मिक हस्तियां मौजूद हैं
'किलोल कुंज' और मायरा-भात की रस्मों ने बांधा समां
विवाह से पहले की रस्में, जो वृंदावन और जयपुर में आयोजित की गईं, बेहद भव्य और पारंपरिक थीं। मेहंदी-हल्दी समारोह को एक विशेष नाम दिया गया किलोल कुंज', जो राधा-कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कराता है। कल, वैवाहिक तैयारियों के बीच मायरा-भात की महत्वपूर्ण रस्म भी पूरी की गई।
इन सभी उत्सवों में भक्ति संगीत और पारंपरिक अनुष्ठानों का मेल रहा, जिसने पूरे वैवाहिक कार्यक्रम को एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान किया।
कौन हैं दुल्हन शिप्रा शर्मा और वैवाहिक जीवन की शुरुआत
इंद्रेश उपाध्याय की होने वाली जीवनसंगिनी शिप्रा शर्मा मूल रूप से हरियाणा के यमुनानगर की हैं और वर्तमान में उनका परिवार अमृतसर में रहता है। शिप्रा ने वृंदावन में शिक्षा प्राप्त की है और वह भी सनातन संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
यह विवाह दोनों परिवारों की आपसी सहमति से हो रहा है। विवाह बंधन में बंधने के बाद, यह नवदंपति अपने नए जीवन की शुरुआत करेगा।
विवाह का सात्विक और धार्मिक स्वरूप - संतों का आशीर्वाद
इस भव्य विवाह समारोह में सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से शाकाहारी और सात्विक रखी गई हैं, जो सनातन परंपरा के अनुरूप है। आयोजन स्थल पर देश भर से आए साधु-संतों और अनुयायियों के ठहरने की विशेष व्यवस्था की गई है।
दूल्हा-दुल्हन वैदिक मंत्रों के साथ सात फेरे लेंगे और अग्नि को साक्षी मानकर जीवन भर साथ निभाने का संकल्प लेंगे। यह विवाह समारोह धर्म और भक्ति का एक बड़ा संगम बन चुका है, जिसने भक्तों के बीच अपार खुशी का माहौल पैदा कर दिया है।
पिता कृष्ण चंद्र शास्त्री की 50 वर्षों की विरासत
यह विवाह समारोह इसलिए भी खास है क्योंकि इंद्रेश उपाध्याय मशहूर कथावाचक कृष्ण चंद्र शास्त्री के सुपुत्र हैं, जिन्होंने पिछले 50 वर्षों से कथावाचन के माध्यम से सनातन धर्म की सेवा की है। इंद्रेश उपाध्याय अपने पिता की इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
इस विवाह को 'भागवत भास्कर' के परिवार में एक बड़ा अनुष्ठान माना जा रहा है, जहा नई पीढ़ी धार्मिक मूल्यों के साथ गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर रही है।
विवाह के बाद आज शाम प्रीतिभोज का आयोजन
विवाह बंधन में बंधने के बाद, आज शाम नवविवाहित जोड़े के लिए प्रीतिभोज का आयोजन भी किया गया है। यह कार्यक्रम भी ताज आमेर होटल में ही होगा।
प्रीतिभोज में भी बड़ी संख्या में मेहमानों के शामिल होने की उम्मीद है। विवाह के सभी कार्यक्रम सात्विक और पारंपरिक तरीके से संपन्न हो रहे हैं।