वाल्मीकि जयंती पर उत्तर प्रदेश में 'रामायण उत्सव': प्रदेश भर के मंदिरों में गूंजेगा आदि काव्य का पाठ, चित्रकूट में होगा मुख्य समारोह

योगी सरकार 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती को प्रदेशव्यापी 'रामायण उत्सव' के रूप में मनाएगी। इस दौरान सभी जिलों के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों पर वाल्मीकि कृत रामायण पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। मुख्य समारोह महर्षि की तपोस्थली चित्रकूट में होगा।

Updated On 2025-10-06 14:52:00 IST

रामायण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएगी यूपी सरकार, स्थानीय कलाकारों को मिलेगा मंच।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती को प्रदेशव्यापी उत्सव के रूप में मनाएगी। इस अवसर पर सभी जिलों के देव मंदिरों और महर्षि वाल्मीकि से संबंधित ऐतिहासिक स्थलों पर वाल्मीकि कृत रामायण पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ जनसहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य कार्यक्रम महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली चित्रकूट में आयोजित होगा, जिसका समन्वय पर्यटन विभाग कर रहा है।

प्रदेशव्यापी आयोजन और रामायण पाठ

योगी सरकार के निर्देश पर महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर प्रदेश के सभी जिलों में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे ज़िले के महत्वपूर्ण देव मंदिरों और महर्षि वाल्मीकि से जुड़े स्थलों का चयन करें, जहाँ रामायण पाठ और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ होंगी। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य महर्षि वाल्मीकि के योगदान और उनकी अमर कृति 'रामायण' के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।

चित्रकूट में वृहद कार्यक्रम की रूपरेखा

महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली चित्रकूट इस प्रदेशव्यापी उत्सव का मुख्य केंद्र होगी। पर्यटन विभाग के उप निदेशक आरके रावत को कार्यक्रम का नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके अनुसार, चित्रकूट के लालापुर में महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ सुबह 11 बजे कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। इस दौरान विराट महाराज और संस्कृत के अध्ययनरत छात्रों द्वारा रामायण पाठ किया जाएगा। पूजन, हवन, भजन और लव-कुश प्रसंग जैसे विविध कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

स्थानीय प्रतिभाओं को मंच और जनसहभागिता पर जोर

इस उत्सव का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान किया जाएगा। यह कदम स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और उन्हें पहचान दिलाने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी कार्यक्रमों का आयोजन न केवल जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में हो, बल्कि इसमें अधिकतम जनसहभागिता भी सुनिश्चित की जाए, ताकि यह एक सरकारी कार्यक्रम न रहकर जनता का उत्सव बन सके।

बिठूर, अयोध्या और प्रयागराज समेत प्रमुख स्थल

चित्रकूट के अलावा, महर्षि वाल्मीकि से संबंधित अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर भी विशेष आयोजन होंगे। इनमें कानपुर का वाल्मीकि आश्रम बिठूर, वाल्मीकि आश्रम श्रावस्ती, तथा अयोध्या और प्रयागराज जैसे प्रमुख धार्मिक नगर शामिल हैं। सभी ज़िलों में कार्यक्रमों के सुचारू आयोजन के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जिसने कार्यक्रमों और कलाकारों का चयन कर लिया है।

रामायण उत्सव का उद्देश्य

​महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर आयोजित किए जा रहे इस 'रामायण उत्सव' का उद्देश्य केवल एक धार्मिक आयोजन करना नहीं है। यह पर्व सामाजिक समरसता और नैतिक शिक्षा के प्रसार का माध्यम बनेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर दिया है कि रामायण के संदेशों को केवल पूजा-पाठ तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उसे समाज के हर वर्ग, विशेषकर युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जाए। इसलिए, आयोजनों में संगोष्ठियाँ और परिचर्चाएँ भी शामिल की गई हैं जहाँ विद्वान रामायण के प्रबंधन कौशल, आदर्श शासन, और पारिवारिक मूल्यों पर प्रकाश डालेंगे।

​सरकार की विशेष पहल- संस्कृति का संरक्षण

​संस्कृति विभाग इस अवसर पर प्रदेश के पुस्तकालयों और शैक्षणिक संस्थानों में महर्षि वाल्मीकि के जीवन और कृतित्व पर आधारित विशेष प्रदर्शनियाँ आयोजित कर रहा है। इन प्रदर्शनियों का लक्ष्य यह बताना है कि वाल्मीकि कृत 'आदि काव्य' किस प्रकार भारतीय सभ्यता और कला का आधार स्तंभ है। इस वर्ष के उत्सव में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी जोड़ा गया है, क्योंकि रामायण में प्रकृति और वन संपदा के महत्व को बार-बार दर्शाया गया है। जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि हर कार्यक्रम स्थल पर वृक्षारोपण का कार्य भी सुनिश्चित किया जाए। यह पहल राज्य सरकार की 'विरासत एवं विकास' की नीति को दर्शाती है, जहाँ आस्था के साथ-साथ जागरूकता पर भी बल दिया जाता है। इस तरह, यह उत्सव केवल एक दिन का कार्यक्रम न होकर, प्रदेश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक व्यापक मुहिम बनेगा।

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