हमीरपुर: यमुना और बेतवा नदियों का कहर, बाढ़ से बस्तियों में मचा हाहाकार, किसान बेहाल
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदियों के उफान से बाढ़ ने तबाही मचा दी है। निचली बस्तियों तक पानी पहुंच गई है, सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना और बेतवा नदियों के उफान पर होने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना और बेतवा नदियों के उफान पर होने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे शहर की निचली बस्तियों और तटवर्ती गांवों में बाढ़ का पानी घुसना शुरू हो गया है।
यमुना नदी अपने खतरे के निशान 103.63 मीटर से ऊपर बह रही है, जबकि बेतवा नदी भी खतरे के निशान 104.54 मीटर के करीब पहुंच चुकी है। जिला प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
प्रशासन अलर्ट मोड पर
प्रशासन द्वारा 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है, साथ ही लोगों को नदियों के किनारे से दूर रहने की हिदायत दी गई है। शहर में बारिश के पानी को पंपिंग सेट के जरिए बांधों के बाहर निकाला जा रहा है ताकि जलभराव की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय लोगों ने प्रशासन के प्रति नाराजगी भी जाहिर की है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सही समय पर सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, जिससे हमें नुकसान उठाना पड़ा। अगर, समय रहते सही जानकारी उपलब्ध कराई जाती तो वे पहले ही अपने सामान और परिवार को सुरक्षित स्थानों पर ले जा सकते थे। बाढ़ के पानी ने निचली बस्तियों में बने घरों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे लोग अपने सामान को छतों या ऊंचाई वाले स्थानों पर ले जाने को मजबूर हैं।
इसके अलावा, नदियों के किनारे सैकड़ों बीघा कृषि भूमि भी जलमग्न हो चुकी है, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविर
जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविरों में भोजन, पेयजल और अन्य जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की है। बाढ़ प्रभावित गांवों में मुनादी कराकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर काबू पाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। फिर भी, ग्रामीणों का कहना है कि राहत कार्यों में और तेजी लाने की जरूरत है ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
बाढ़ की इस विभीषिका ने हमीरपुर के तटवर्ती क्षेत्रों में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच बेहतर समन्वय और त्वरित कार्रवाई से ही इस संकट से निपटा जा सकता है।