यूपी वालों के लिए काम की खबर: 14 अक्टूबर से ईवी खरीदारों को देना होगा रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क! पढ़िए इनसाइड स्टोरी
14 अक्टूबर से ईवी खरीदारों को वाहन की कीमत के आधार पर 9% से 11% रोड टैक्स और 300 (दोपहिया) या 600 (चार पहिया) पंजीकरण शुल्क देना होगा। हालांकि ईवी पर मिल रही 100 प्रतिशत रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क की छूट 13 अक्टूबर को समाप्त हो रही है।
सरकार अभी भी निश्चित संख्या तक के वाहनों पर (जैसे दोपहिया पर ₹5000, चार पहिया पर ₹1 लाख) सशर्त सब्सिडी दे रही है, जो 2027 तक जारी रहेगी।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने वाले लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। धनतेरस और दीपावली के त्योहारी सीजन से ठीक पहले, राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाली 100 प्रतिशत रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क की छूट को समाप्त कर दिया है। यह छूट 13 अक्टूबर को पूरी हो रही है, जिसका अर्थ है कि 14 अक्टूबर, 2025 से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों को वाहन का पंजीकरण कराते समय रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क दोनों का भुगतान करना होगा। आपको बता दें की सभी आरटीओ-एआरटीओ को पत्र भेजकर 13 अक्टूबर तक के आवेदनों पर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, ताकि उपभोक्ताओं को छूट का लाभ लेने में कोई समस्या न हो और ईवी की आरसी तुरंत जारी की जा सके।
14 अक्टूबर से कितना लगेगा रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क?
नए नियमों के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले शुल्क को वाहन की कीमत के आधार पर निर्धारित किया गया है। प्रदेश में यदि कोई व्यक्ति 14 अक्टूबर से दोपहिया ईवी खरीदता है तो उसे वाहन की लागत का नौ प्रतिशत रोड टैक्स और 300 रुपये पंजीकरण शुल्क देना होगा, क्योंकि दोपहिया ईवी का निर्माण यूपी में नहीं हो रहा है। ऐसे ही यदि चार पहिया ईवी की कीमत 10 लाख रुपये तक है तो उसे खरीदने वाले को नौ प्रतिशत रोड टैक्स देना होगा, और यदि कीमत 10 लाख रुपये से अधिक है तो 11 प्रतिशत रोड टैक्स देना होगा। इन दोनों प्रकार के चार पहिया वाहनों पर 600 रुपये पंजीकरण शुल्क का भुगतान भी करना पड़ेगा। चूंकि ये दोनों प्रकार के वाहन यूपी में निर्मित नहीं हो रहे हैं, इसलिए इन पर किसी भी तरह की छूट नहीं मिलेगी।
छूट क्यों हो रही है समाप्त?
उत्तर प्रदेश में 'इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति 2022' लागू है। इस नीति के तहत, 14 अक्टूबर 2022 से शुरू होकर, पहले तीन वर्षों के लिए प्रदेश में पंजीकृत ईवी खरीदारों को पंजीकरण शुल्क और रोड टैक्स से शत-प्रतिशत छूट दी गई थी। यह तीन वर्ष की समय सीमा सोमवार, 13 अक्टूबर, 2025 को पूरी हो रही है। नीति में यह भी प्रावधान है कि चौथे और पांचवें वर्ष में उन इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 प्रतिशत छूट जारी रहेगी जिनका विनिर्माण उत्तर प्रदेश में किया गया हो। हालांकि, वर्तमान में ई-रिक्शा को छोड़कर प्रदेश में दो व चार पहिया, ई-बस आदि इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण नहीं हो रहा है। इस कारण, चूंकि अधिकांश ईवी यूपी में निर्मित नहीं हो रहे हैं, इन पर अब रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क का भुगतान अनिवार्य होगा।
सब्सिडी की व्यवस्था अभी भी जारी, लेकिन सशर्त
भले ही रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट खत्म हो गई हो, लेकिन सरकार अभी भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों को सब्सिडी दे रही है। हालांकि, यह सब्सिडी अब सशर्त है और वाहनों की एक निश्चित संख्या तक ही सीमित रहेगी। सरकार दो पहिया ईवी खरीदारों को पांच हजार रुपये, चार पहिया खरीदारों को एक लाख रुपये और ई-बस पर 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है। नीति में संशोधन के बाद, ईवी पर सब्सिडी अब 2027 तक सशर्त मिलेगी, यानी नीति में घोषित संख्या के वाहनों को ही सब्सिडी दी जाएगी। उदाहरण के लिए, 17 हजार चार पहिया ईवी को सब्सिडी मिल चुकी है और यह संख्या 25 हजार होते ही इस श्रेणी में सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
सब्सिडी पाने वाले वाहनों की अधिकतम संख्या
सरकार ने प्रत्येक श्रेणी में सब्सिडी के लिए वाहनों की अधिकतम संख्या निर्धारित की है। दो पहिया वाहनों के लिए दो लाख, चार पहिया वाहनों के लिए 25 हजार, ई-बस के लिए 400 और ई-गुड्स कैरियर के लिए 1000 वाहनों को ही सब्सिडी दी जाएगी। यह बदलाव इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे लोगों के लिए लागत को बढ़ा देगा। इसलिए, 14 अक्टूबर से ईवी खरीदने पर आपको रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क दोनों के लिए तैयार रहना होगा, भले ही आपको घोषित संख्या के भीतर होने पर सब्सिडी का लाभ मिल जाए।