दिवाली पर सीएम योगी ने खोला पिटारा: 1.86 करोड़ माताओं-बहनों को मुफ्त LPG रिफिल के साथ शिक्षामित्रों को मानदेय जारी!

उज्ज्वला योजना के तहत प्रदेश की 1.86 करोड़ माताओं-बहनों को वित्तीय वर्ष 2025-26 में दो मुफ्त एलपीजी रिफिल सिलेंडर मिलेंगे। यह वितरण दो चरणों (पहला अक्टूबर-दिसंबर 2025, दूसरा जनवरी-मार्च 2026) में किया जाएगा, जिसके लिए 1500 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।

Updated On 2025-10-14 23:30:00 IST

यह दोनों निर्णय त्योहारों से पहले लाखों परिवारों को बड़ी आर्थिक राहत देंगे।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दीपावली के पावन अवसर से ठीक पहले राज्य की गरीब और जरूरतमंद माताओं-बहनों को एक बड़ा तोहफा देने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत पंजीकृत 1.86 करोड़ लाभार्थियों को प्रति वर्ष दो मुफ्त एलपीजी रिफिल सिलेंडर देने का ऐलान किया है। यह एक ऐसी पहल है जो न केवल त्योहारों की खुशियों को दोगुना करेगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत मई, 2016 में हुई थी और तब से यह योजना ग्रामीण भारत की रसोई को धुएं से मुक्त करने में प्रभावी साबित हुई है, जिससे महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक दुष्प्रभाव भी काफी हद तक कम हुए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को लोकभवन सभागार में आयोजित होने वाले एक विशेष कार्यक्रम में उज्ज्वला योजना के पात्र महिला लाभार्थियों को मुफ्त सिलेंडर रिफिल का उपहार देकर इस महत्वाकांक्षी योजना का औपचारिक शुभारंभ करेंगे। यह कदम प्रदेश सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके तहत वह गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें आर्थिक सहारा देने के लिए निरंतर कार्यरत है।

मुफ्त रिफिल वितरण का विस्तृत चरण और कार्यान्वयन

राज्य सरकार द्वारा मुफ्त एलपीजी रिफिल का वितरण वित्तीय वर्ष 2025-26 में दो चरणों में किया जाएगा, ताकि योजना का लाभ लक्षित समूह तक सुचारू रूप से पहुँच सके। पहला चरण अक्टूबर 2025 से दिसंबर 2025 तक चलेगा, जिसे मुख्य रूप से दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार के साथ जोड़ा गया है। वहीं, दूसरा चरण जनवरी 2026 से मार्च 2026 तक संचालित होगा, जो होली के अवसर पर लाभार्थियों को लाभान्वित करेगा। इस योजना के सफल और निर्बाध क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने अपने बजट में 1500 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया है। वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बनाए रखने के लिए, पहले चरण में केवल उन्हीं लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जा रहा है जिनका आधार प्रमाणन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।

वर्तमान में, राज्य में 1.23 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों का आधार प्रमाणन पूरा हो चुका है, और शेष लाभार्थियों को शामिल करने के लिए आधार सत्यापन अभियान जारी है। इस पूरी वितरण प्रक्रिया को देश की तीनों प्रमुख ऑयल कंपनियों - इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम - के माध्यम से सुनिश्चित कराया जाएगा। राज्य स्तरीय समन्वयकों द्वारा मांगी गई 346.34 करोड़ रुपये की अग्रिम धनराशि भी कंपनियों को जारी कर दी गई है, ताकि सिलेंडर रिफिल के वितरण में किसी भी प्रकार की वित्तीय या लॉजिस्टिक देरी न हो। लाभार्थियों को पहले गैस एजेंसी पर सिलेंडर का भुगतान करना होगा, जिसके बाद रिफिल की कीमत सब्सिडी के रूप में उनके बैंक खाते में सीधे वापस भेज दी जाएगी।

शिक्षामित्रों के मानदेय पर आई बड़ी राहत, दीपावली से पहले भुगतान

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के लगभग 1.30 लाख शिक्षामित्रों को भी दीपावली से पहले बड़ी राहत दी है। शिक्षकों के मानदेय को लेकर हो रही देरी के कारण परेशान शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की मांग को गंभीरता से लेते हुए, बेसिक शिक्षा विभाग ने इनके सितंबर माह के मानदेय के लिए 129 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी कर दी है। अगले एक-दो दिन के भीतर यह राशि सीधे शिक्षामित्रों के बैंक खातों में भेज दी जाएगी। प्रदेश के 4.50 लाख से अधिक नियमित शिक्षकों को वेतन पहले ही जारी किया जा चुका था, लेकिन शिक्षामित्रों का मानदेय रुका हुआ था।

राज्य परियोजना निदेशक मोनिका रानी की ओर से यह बजट जारी किया गया है, जिसके साथ ही सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि मानदेय का भुगतान केवल पात्र शिक्षामित्रों के खाते में ही किया जाए और किसी भी नए या अपात्र शिक्षामित्र को भुगतान न हो। विभाग को इसकी व्यय रिपोर्ट भी जल्द से जल्द निदेशालय को भेजनी होगी। इस कदम से लंबे समय से मानदेय वृद्धि की उम्मीद लगाए बैठे शिक्षामित्रों और उनके परिवारों को त्योहार अच्छे से मनाने में आर्थिक सहायता मिलेगी, जिससे उनकी नाराजगी दूर होगी और वे नए उत्साह के साथ शिक्षण कार्य में संलग्न हो सकेंगे।


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