कैंसर संस्थान होगा हाई-टेक: इलाज को मिलेगी 'साइबरनाइफ' की धार, सरकार ने जारी किया ₹129.06 करोड़!
कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान के आधुनिकीकरण और उपकरण खरीद के लिए ₹129.06 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति दी है।
ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान को भी उपकरण खरीदने के लिए ₹11.46 करोड़ दिए गए हैं।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने घोषणा की कि संस्थान को नए और आधुनिक चिकित्सा उपकरण खरीदने के लिए 129.06 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश भर से आने वाले कैंसर रोगियों को और भी बेहतर और आधुनिक इलाज मुहैया कराना है। इसके अतिरिक्त, ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान को भी उपकरणों की खरीद के लिए 11.46 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति मिली है। सरकार प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने पर जोर दे रही है।
कैंसर रोगियों के लिए बड़ी राहत
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया कि कैंसर संस्थान में पूरे प्रदेश से मरीज इलाज के लिए आते हैं, इसलिए उन्हें सर्वोत्तम इलाज उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। ₹129.06 करोड़ की यह बड़ी धनराशि संस्थान में कई महत्वपूर्ण और अत्याधुनिक मशीनों की खरीद में इस्तेमाल की जाएगी।
नई साइबरनाइफ मशीन का आगमन
संस्थान के लिए एक बड़ी उपलब्धि यह है कि यहां हाल ही में साइबरनाइफ मशीन स्थापित की गई है। डिप्टी सीएम ने बताया कि यह मशीन फेफड़े, लिवर, किडनी और प्रोस्टेट समेत कई जटिल प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मशीन अभी तक प्रदेश के किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध नहीं थी, जो लखनऊ कैंसर संस्थान को एक विशेष दर्जा प्रदान करती है। साइबरनाइफ एक उन्नत रेडियोसर्जरी प्रणाली है जो ट्यूमर को उच्च खुराक वाली रेडिएशन से सटीकता से निशाना बनाती है, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों को कम नुकसान होता है और इलाज अधिक प्रभावी बनता है।
ग्रेटर नोएडा संस्थान को भी मिली सहायता
लखनऊ के संस्थान के साथ ही, ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान को भी मजबूत किया जा रहा है। वहां के रोगियों को बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के लिए 11.46 करोड़ रुपये की राशि उपकरणों की खरीद के लिए मंजूर की गई है। यह दिखाता है कि सरकार केवल राजधानी ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन उपकरणों की मदद से संस्थान अपनी डायग्नोस्टिक और उपचार क्षमताओं का विस्तार कर सकेगा, जिससे स्थानीय आबादी को लाभ मिलेगा।
उपकरणों की खरीद और आधुनिकीकरण का लक्ष्य
129.06 करोड़ रुपये की राशि से खरीदे जाने वाले उपकरण कैंसर संस्थान की इलाज की क्षमता और गुणवत्ता में क्रांति लाएंगे। इसमें संभवतः लीनियर एक्सीलेरेटर (LINAC), एमआरआई, पीईटी-सीटी स्कैन जैसी मशीनें शामिल होंगी, जो कैंसर की जल्द पहचान और सटीक उपचार के लिए जरूरी हैं। डिप्टी सीएम ने बताया कि सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल और संस्थानों में रोगियों को आधुनिक इलाज उपलब्ध हो। इसके लिए संस्थानों को लगातार नई तकनीक और उपकरणों से जोड़ा जा रहा है। इस आधुनिकीकरण से संस्थान न केवल मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से कर पाएगा, बल्कि यह मेडिकल रिसर्च और ट्रेनिंग का भी एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।
सरकार का विजन- आधुनिक इलाज सबकी पहुंच में हो
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक चिकित्सा तक पहुंच सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है। उनका विजन यह है कि राज्य के किसी भी नागरिक को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए महंगे निजी अस्पतालों या दूसरे राज्यों पर निर्भर न रहना पड़े। यह वित्तीय स्वीकृति इस विजन को ज़मीनी स्तर पर उतारने का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। लखनऊ का यह कैंसर संस्थान अब उत्तर प्रदेश के लिए कैंसर के इलाज में एक नोडल और अत्याधुनिक केंद्र के रूप में उभरेगा, जहां विश्वस्तरीय इलाज न्यूनतम दरों पर उपलब्ध होगा।