जनजातीय संस्कृति का महाकुंभ: यूपी में 18 दिनों तक गूंजेगी जनजातीय गौरव और परंपरा की आवाज!
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने 1 से 18 नवंबर 2025 तक 'जनजातीय गौरव पखवाड़ा' और 'भागीदारी उत्सव' के भव्य आयोजन की घोषणा की है। 22 राज्यों के 900 से अधिक कलाकार भाग लेंगे।
केंद्र की पहल "एक भारत श्रेष्ठ भारत" के तहत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय को इस उत्सव का साझेदार राज्य नामित किया गया है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय सभ्यता के मूल आधार रहे जनजातीय समुदायों के सम्मान में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और पिछड़ा कल्याण मंत्री असीम अरुण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, 1 नवंबर से 18 नवंबर 2025 तक चलने वाले 'जनजातीय गौरव पखवाड़ा' और 'भागीदारी उत्सव' के आयोजन की घोषणा की।
यह आयोजन भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित है, जिसका मुख्य लक्ष्य जनजातीय संस्कृति, कला और परंपराओं को पुनर्जीवित कर राष्ट्रीय एकता को अभूतपूर्व मजबूती प्रदान करना है।
प्रदेश भर में 1 से 15 नवंबर तक उत्सव का माहौल
जनजातीय गौरव पखवाड़ा 1 नवंबर से 15 नवंबर तक राज्य के सभी जिलों में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान, प्रत्येक जिले में जनजातीय संस्कृति, पारंपरिक नृत्य, कला प्रदर्शनियां और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन आयोजनों के माध्यम से स्कूलों और आम जनता को जनजातीय समुदाय के गौरवशाली इतिहास और योगदान से अवगत कराया जाएगा।
लखनऊ में 13 से 18 नवंबर तक 22 राज्यों का संगम
पखवाड़े के बाद, राजधानी लखनऊ का इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान 13 से 18 नवंबर तक राष्ट्रीय स्तर के 'जनजातीय भागीदारी उत्सव' का केंद्र बनेगा। यह उत्सव जनजातीय कार्य मंत्रालय, यूपी सरकार और IGRS के सहयोग से आयोजित हो रहा है, जिसका शुभारंभ 13 नवंबर की शाम 5 बजे होगा।
900 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुति और सांस्कृतिक यात्रा
यह उत्सव देश की विविध कलाओं का अद्भुत संगम होगा। उद्घाटन के दिन 1090 चौराहे से एक भव्य सांस्कृतिक यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें 300 से अधिक कलाकार भाग लेंगे। देशभर के 22 राज्यों से आए 900 से अधिक कलाकार अपनी पारंपरिक कला, नृत्य और संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे।
उत्सव में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शिल्प मेला और शाम 5.30 बजे से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कला, व्यंजन और साहित्य की विशेष झांकी
उत्सव में जनजातीय कला और जीवनशैली को नजदीक से जानने का मौका मिलेगा। यहां 100 से अधिक शिल्प और हस्तशिल्प स्टॉल होंगे, जहां जनजातीय कला, वनज उत्पाद और हैंडलूम का प्रदर्शन किया जाएगा।
विभिन्न जनजातीय व्यंजनों का विशेष फूड फेस्ट आगंतुकों के लिए मुख्य आकर्षण होगा। साथ ही, जनजातीय साहित्य पर आधारित वाचन, संगोष्ठियां और "घर की आवाज़" नामक नाटक का मंचन भी होगा।
प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कड़े निर्देश और साझेदार राज्य
मुख्य सचिव ने सभी जिलों को कार्यक्रमों के प्रभावी और सफल आयोजन के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। सभी गतिविधियों की रिपोर्ट adiprasaran.tribal.gov.in पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड की जाएगी। इस आयोजन की निगरानी के लिए जिला समाज कल्याण अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। केंद्र की पहल "एक भारत श्रेष्ठ भारत" के तहत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय को इस उत्सव का साझेदार राज्य नामित किया गया है।