शिक्षक-छात्र अनुपात सुधरेगा: यूपी के 4000 एकल विद्यालयों को मिलेगा नया जीवन- विभाग ने भेजा शिक्षक समायोजन का प्रस्ताव!

सरप्लस शिक्षकों को एकल स्कूलों में समायोजित किया जाएगा, जिससे हर स्कूल में न्यूनतम दो शिक्षक उपलब्ध हो सकें।

Updated On 2025-10-28 07:51:00 IST

इस समायोजन से करीब 50 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण होने का अनुमान है।

लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश के 4000 परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने की तैयारी शुरू कर दी है, जहा वर्तमान में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। विभाग ने इन विद्यालयों में अन्य शिक्षकों के समायोजन और तैनाती का एक प्रस्ताव शासन को भेजा है। यह पहल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act) के तहत निर्धारित शिक्षक-छात्र अनुपात को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश भर में लगभग 1.30 लाख परिषदीय स्कूल संचालित हैं, और यह देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक है लेकिन शिक्षकों की संख्या कम है, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

शिक्षकों के समायोजन का प्रस्ताव

बेसिक शिक्षा विभाग का यह प्रस्ताव उन स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने पर केंद्रित है जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक स्कूल में न्यूनतम दो शिक्षक उपलब्ध हों, सरप्लस शिक्षकों की पहचान करके उन्हें इन एकल-शिक्षक वाले स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। समायोजन की इस प्रक्रिया में शिक्षकों को जिले के भीतर स्थानांतरण के अवसर भी दिए जाएंगे। यह प्रक्रिया डीएम की अध्यक्षता वाली एक समिति की निगरानी में पूरी की जाएगी, जिसमें सीडीओ, डायट प्राचार्य और बेसिक शिक्षा अधिकारी जैसे अधिकारी शामिल होंगे। शिक्षकों को अपनी पसंद के अधिकतम 25 स्कूलों का विकल्प देने का मौका मिलेगा। इस समायोजन से करीब 50 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण होने का अनुमान है, जिससे शिक्षा के अधिगम स्तर में सुधार आएगा और बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक वातावरण बनेगा।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। एकल शिक्षक वाले स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती से शिक्षण कार्य की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आएगा। RTE अधिनियम प्राथमिक स्कूलों में 30:1 और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35:1 का शिक्षक-छात्र अनुपात अनिवार्य करता है। इस समायोजन प्रक्रिया से न केवल अनुपात को संतुलित करने में मदद मिलेगी, बल्कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से कुछ राहत भी मिल सकती है, जिससे वे अपने मुख्य कार्य, यानी पठन-पाठन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। इसके अलावा, विभाग कुछ कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का भी समायोजन कर रहा है, जिससे संसाधनों का उचित उपयोग हो सके और बच्चों को प्रतिस्पर्धात्मक माहौल मिल सके।

पूर्व में समायोजन रद्द होने की चुनौती

हालांकि, शिक्षकों के समायोजन के संबंध में पहले भी कुछ चुनौतिया आ चुकी हैं। जून 2025 में किए गए सरप्लस शिक्षकों के समायोजन को तीन महीने बाद रद्द कर दिया गया था, जिससे प्रभावित शिक्षकों और उनके परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कई शिक्षकों ने नए स्थानों पर अपने बच्चों के दाखिले करा लिए थे और अब उन्हें वापस अपने मूल स्कूलों में लौटने के आदेश दिए गए थे। इसलिए, यह नया प्रस्ताव जो 4000 एकल विद्यालयों पर केंद्रित है, को पारदर्शी और सुचारू रूप से लागू करने की आवश्यकता है। इस बार विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि समायोजन से संबंधित सभी कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं का ठीक से पालन किया जाए।


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