अखिलेश यादव ने जारी किया चुनावी 'ट्रेलर': सपा ने पांच प्रत्याशियों के टिकट का किया ऐलान! समझिए साल भर पहले टिकट देने की नई रणनीति
समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आगामी 2026 में होने वाले चुनावों हेतु पांच प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने अपने अनुभवी चेहरों और पूर्व विजेताओं पर भरोसा जताया है।
2026 के चुनावों के लिए 2025 में ही घोषणा करना अखिलेश यादव की बदली हुई रणनीति का प्रमाण है।
लखनऊ : समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के आगामी शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र चुनावों के लिए अपने पांच प्रत्याशियों की घोषणा कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। यह चुनाव वर्ष 2026 में 11 सीटों के लिए होने हैं। पार्टी ने इन चुनावों के लिए न केवल अपने अनुभवी और पूर्व विजेताओं पर भरोसा जताया है, बल्कि संगठनात्मक एकजुटता को दर्शाते हुए "पीडीए के नाम – एकजुट मतदान" का नारा भी दिया है। यह नारा पार्टी की 'पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक' (PDA) रणनीति को केंद्र में रखता है।
2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति का ट्रेलर
इन विधान परिषद चुनावों के लिए 2025 में ही प्रत्याशियों का ऐलान करना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की एक बदली हुई और आक्रामक चुनावी रणनीति की ओर इशारा करता है। हाल ही में अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों का ऐलान समाजवादी पार्टी चुनाव से लगभग छह महीने पहले ही कर देगी।
विधान परिषद चुनाव 2026 में होने हैं, और इसके लिए 2025 में ही घोषणा कर देना, यानी लगभग छह महीने पहले ही टिकट तय कर देना, इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि सपा अब अपनी इस नई रणनीति पर अमल करना शुरू कर चुकी है। यह कदम प्रत्याशियों को प्रचार और संगठन को मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उदाहरण के तौर पर: पार्टी ने उत्तर प्रदेश के गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र में इसी रणनीति के तहत काम शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने वहाँ लोटन राम निषाद को प्रभारी बनाकर भेजा है, और ऐसी प्रबल संभावना है कि उनका टिकट लगभग फाइनल है। अखिलेश यादव इस बार पिछली गलतियों से सीखते हुए, बदली हुई रणनीति और पीडीए (PDA) समीकरण के तहत प्रत्याशियों का चयन करेंगे।
स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में दिग्गजों की वापसी
स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए समाजवादी पार्टी ने तीन महत्वपूर्ण नाम घोषित किए हैं, जिनमें से दो ऐसे हैं जो पिछले चुनाव में अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे।
इलाहाबाद-झांसी खंड: डॉ. मान सिंह
वाराणसी-मिर्जापुर खंड: आशुतोष सिंह
लखनऊ खंड: कांति सिंह,
डॉ. मानसिंह और आशुतोष सिंह
सपा अपनी जीती हुई सीटों को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। वहीं, कांति सिंह की उम्मीदवारी लखनऊ खंड को लेकर पार्टी की गंभीरता को दर्शाती है। उनके पति एसपी सिंह वर्तमान में प्रतापगढ़ से समाजवादी पार्टी के लोकसभा सदस्य हैं, जो इस सीट पर पार्टी को संगठनात्मक और चुनावी गति प्रदान कर सकते हैं।
शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में अनुभवी चेहरे
शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए पार्टी ने दो उम्मीदवारों पर विश्वास जताया है, जिनमें से एक पूर्व विजेता हैं:
वाराणसी-मिर्जापुर खंड: लाल बिहारी यादव
गोरखपुर-फैजाबाद खंड: कमलेश
लाल बिहारी यादव
विधान परिषद की संरचना और चुनावी कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य होते हैं, जिनमें से 8 सदस्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से और 8 सदस्य स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं। आगामी चुनाव वर्ष 2026 में 11 सीटों के लिए होने हैं। वर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 7 दिसंबर, 2026 को समाप्त हो रहा है।
चुनाव वाले निर्वाचन क्षेत्र:-
स्नातक क्षेत्र: लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी।
शिक्षक क्षेत्र: लखनऊ, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद।
कार्यकाल समाप्त होने वाले वर्तमान सदस्यों का विवरण
जिन 11 स्नातक और शिक्षक सदस्यों का कार्यकाल 7 दिसंबर, 2026 को समाप्त हो रहा है, उनमें भाजपा के छह, समाजवादी पार्टी के तीन, शिक्षक दल के एक और एक निर्दलीय सदस्य शामिल हैं।
सपा ने अपने पुराने विजेताओं और अनुभवी प्रत्याशियों पर फिर से दाँव लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह 2026 के इन चुनावों को पूरी गंभीरता से ले रही है। विधान परिषद में अपनी संख्या बढ़ाकर सपा न केवल सरकार पर दबाव बनाने की अपनी क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि समय से पहले प्रत्याशी घोषित करके 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी एक सकारात्मक और निर्णायक माहौल तैयार करने की कोशिश करेगी। यह रणनीति बीजेपी को भी अपनी तैयारी में बदलाव करने के लिए मजबूर कर सकती है।