काम की खबर: योगी सरकार का बड़ा ऐलान 100 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य!

सीएम योगी ने जल संरक्षण के लिए निर्देश जारी किया है, जिसके तहत प्रदेश में 100 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य होगी।

Updated On 2025-10-04 17:06:00 IST

सीएम योगी ने 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट दी गई है, ताकि तालाब रिचार्ज होकर रोजगार के अवसर पैदा कर सकें।

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बढ़ते जल संकट पर चिंता जताते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों चाहे वे शहरी हों या ग्रामीण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य होगी। उन्होंने कहा कि यह कदम जल संरक्षण और भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए निर्णायक साबित होगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अतिदोहित क्षेत्रों को सामान्य श्रेणी में लाने के प्रयास तेज करने और जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण एवं जीर्णोद्धार को जनांदोलन बनाने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, कुम्हारों को बारिश से पहले 1 अप्रैल से 15 जून तक तालाबों से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट दी जाएगी, ताकि तालाब रिचार्ज के लिए तैयार हो सकें।

100 वर्ग मीटर से अधिक के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है। यह अनिवार्यता भूजल स्तर में सुधार लाने और वर्षा जल को व्यर्थ बहने से रोकने के लिए लागू की गई है।

क्रिटिकल क्षेत्रों में सुधार के प्रयास

मुख्यमंत्री ने भूजल की स्थिति में आ रहे सुधार की जानकारी दी। वर्ष 2017 में प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल भूजल क्षेत्र थे। राज्य सरकार के प्रयासों से वर्ष 2024 में इनकी संख्या घटकर क्रमशः 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गई है। उन्होंने अधिकारियों को इस दिशा में और तेजी लाने का निर्देश दिया, ताकि आने वाले वर्षों में इन सभी क्षेत्रों को पूरी तरह से सामान्य श्रेणी में लाया जा सके।

जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण और जनांदोलन

जल संरक्षण के लिए चेक डैम, तालाब, और ब्लास्टकूप के निर्माण एवं जीर्णोद्धार पर जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इसे 'एक पेड़ मां के नाम' की तर्ज पर जनांदोलन बनाने का निर्देश दिया।

प्रदेश में अब तक 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया गया है, जिससे 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित हुई है और 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग व मरम्मत की गई है। 16,610 तालाबों में से 1,343 का जीर्णोद्धार किया गया है, तथा 2017 से 2025 तक 6,192 ब्लास्टकूप से भी सिंचन क्षमता सृजित हुई है। इन प्रयासों से किसानों को दो से तीन फसल लेने में सहायता मिल रही है।

कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट

वर्षा जल संचयन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश से पहले तालाबों को रिचार्ज के लिए तैयार करने हेतु, 1 अप्रैल से 15 जून तक की अवधि में कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त में मिट्टी निकालने की छूट दी जाए। मिट्टी निकालने से तालाबों की गाद हटेगी और उनकी जलधारण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे वे अधिक पानी रोककर भूजल रिचार्ज कर सकेंगे।

रोजगार सृजन और रिकॉर्ड का रखरखाव सुनिश्चित

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि तालाबों को रिचार्ज होने के बाद उन्हें मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन के उपयोग में लाकर रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। साथ ही, उन्होंने सभी जिलों में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों की फोटोग्राफी कराकर उनका व्यवस्थित रिकॉर्ड रखने का भी निर्देश दिया है।

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