मिशन 2027: 9 अक्टूबर को मायावती करेंगी शंखनाद !10 लाख की भीड़ जुटाकर विरोधियों को देंगी सीधी चुनौती
बसपा प्रमुख मायावती 9 अक्टूबर को कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर अपनी राजनीतिक ताकत प्रदर्शन करेंगी। पार्टी ने राजधानी में होने वाली इस रैली के लिए 10 लाख से अधिक समर्थकों को जुटाने का लक्ष्य रखा है।
बसपा संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर 9 अक्टूबर को होने वाली रैली में 10 लाख से अधिक भीड़ जुटाने के लक्ष्य पर काम कर रही है।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर इस साल 9 अक्टूबर को राजधानी में आयोजित होने वाली रैली को लेकर पूरे संगठन में जबरदस्त उत्साह और सक्रियता है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस आयोजन को पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ने के एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा है। बसपा का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है कि इस रैली में 10 लाख से अधिक समर्थक एकजुट हों, जो न केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी आएंगे। इतनी विशाल जनसमूह के जमावड़े को सफलतापूर्वक व्यवस्थित करने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि बसपा इस आयोजन के माध्यम से राजनीतिक गलियारों में अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज कराना चाहती है।
बसपा का लक्ष्य: 10 लाख से अधिक समर्थकों को जुटाना और सियासी संदेश
बसपा नेताओं को विश्वास है कि काशीराम परिनिर्वाण दिवस पर होने वाला यह विशाल आयोजन एक ऐतिहासिक जमावड़ा बनेगा। उनका आकलन है कि रैली में 10 लाख से ज्यादा बसपा समर्थक शामिल होंगे, जो पार्टी के जनाधार और संगठन क्षमता को दर्शाएगा। यह अनुमानित संख्या इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रैली कई सालों के अंतराल के बाद पार्टी प्रमुख मायावती की उपस्थिति में हो रही है। इस कारण कार्यकर्ताओं में अभूतपूर्व जोश है।
यह विशाल भीड़ जुटाने का लक्ष्य सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि एक सीधा सियासी संदेश है। बसपा इसके जरिए यह दिखाना चाहती है कि उसका दलित और पिछड़ा वर्ग का कोर वोट बैंक अभी भी उसके साथ मजबूती से खड़ा है, खासकर ऐसे समय में जब अन्य पार्टियां इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं। यह रैली आगामी चुनावों के लिए शक्ति परीक्षण के तौर पर देखी जा रही है।
यूपी और उत्तराखंड से विशाल भागीदारी की उम्मीद
रैली की सफलता काफी हद तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी के संगठनात्मक कौशल पर निर्भर करेगी, और इन दोनों राज्यों से ही सबसे बड़ी संख्या में समर्थकों के आने का अनुमान है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अकेले यूपी के हर मंडल से 5 लाख से अधिक लोगों को लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए मंडल और सेक्टर स्तर पर व्यापक बैठकें और लामबंदी की जा रही है। रैली स्थल तक समर्थकों को पहुंचाने के लिए विशेष परिवहन व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से लगभग 200 बड़ी गाड़ियां समर्थकों को लेकर राजधानी पहुंचेंगी। यह व्यापक परिवहन योजना ही यह सुनिश्चित करेगी कि 10 लाख के आंकड़े को छुआ जा सके।
रिकॉर्ड तोड़ने और शक्ति प्रदर्शन की रणनीति का महत्व
बसपा इस रैली को केवल एक वार्षिक कार्यक्रम नहीं मान रही है। यह उसकी पुनर्जीवित होने की रणनीति का एक केंद्रीय हिस्सा है। पार्टी का उद्देश्य पिछले सभी रिकॉर्डों को तोड़ना है, जो कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरेगा और विरोधियों को गंभीर चुनौती पेश करेगा। रिकॉर्ड तोड़ उपस्थिति यह साबित करेगी कि बसपा के पास आज भी एक विशाल और समर्पित कार्यकर्ता आधार मौजूद है। यह शक्ति प्रदर्शन न केवल उत्तर भारत, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के राजनीतिक कद को फिर से स्थापित करने में मदद करेगा।
इस आयोजन के माध्यम से पार्टी युवाओं और नए मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करेगी, यह दर्शाते हुए कि बसपा ही वह राजनीतिक ताकत है जो दलितों और शोषितों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा सकती है।
रैली की तैयारियों का जायजा और प्रशासन से समन्वय
लाखों लोगों की संभावित भीड़ की वजह से, आयोजन स्थल पर सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए पार्टी और प्रशासन मिलकर काम कर रहे हैं। बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारी नियमित रूप से कांशीराम स्थल का दौरा कर रहे हैं। शनिवार को भी पदाधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया, जिसमें पीने का पानी, शौचालय, पार्किंग और चिकित्सा व्यवस्था जैसी जरूरी चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया। लाखों लोगों की आवाजाही को देखते हुए, जिला प्रशासन के साथ गहन समन्वय स्थापित किया जा रहा है। यातायात को सुगम बनाने, सुरक्षा घेरा बनाने और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक मंजूरी और व्यवस्थाएं की जा रही हैं।