विश्व पटल पर लखनऊ की दस्तक: अवधी व्यंजन को यूनेस्को की मान्यता - मिला 'गैस्ट्रोनॉमी सिटी' का ख़िताब!

यह सम्मान शहर के मशहूर अवधी व्यंजनों और सांस्कृतिक मेल-जोल के लिए मिला है। हैदराबाद के बाद लखनऊ, भारत का दूसरा शहर है जिसे यह दर्जा मिला है।

Updated On 2025-11-02 10:41:00 IST

इससे स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए रास्ते खुलेंगे और लखनऊ की अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिलेगा।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी, को खान-पान यानी अवधी व्यंजनों को अब दुनिया भर में पहचान मिल गई है। यूनेस्को (UNESCO) ने लखनऊ को 'क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी' का ख़िताब दिया है। यह सम्मान शहर को खाने-पीने की खास परंपरा और संस्कृति के लिए मिलता है। लखनऊ यह ख़िताब पाने वाला हैदराबाद के बाद भारत का दूसरा शहर है।

इस सम्मान से लखनऊ के मशहूर व्यंजन, जैसे गलौटी कबाब, अवधी बिरयानी, और मक्खन मलाई अब दुनिया के नक्शे पर चमकेंगे। सरकार का मानना है कि इससे यहां पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए मौके खुलेंगे।

नवाबों के शहर का स्वाद अब पूरी दुनिया में मशहूर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ हमेशा से अपने नवाबों जैसे शाही अंदाज़ और तहज़ीब के लिए जानी जाती रही है, लेकिन अब यहां के जायके ने भी पूरी दुनिया में धूम मचा दी है। उज़्बेकिस्तान में हुए एक कार्यक्रम में यूनेस्को ने लखनऊ को यह बड़ा सम्मान दिया।

इसका मतलब है कि लखनऊ का खाना सिर्फ़ स्वादिष्ट ही नहीं है, बल्कि यह यहां की पुरानी संस्कृति और नवाचार को भी दिखाता है।यह सम्मान उन शहरों को मिलता है जो अपने खाने के ज़रिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाकर रखते हैं।

आखिर क्यों मिला यह बड़ा इनाम?

लखनऊ को यह खिताब इसलिए मिला क्योंकि यहां का खाना सिर्फ़ मीट और मसाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' की झलक दिखती है।

लखनऊ के मशहूर गलौटी कबाब खुशबूदार अवधी बिरयानी, और मलाई गिलोरी जैसी मिठाइयां इस बात का सबूत हैं कि यहां खाना बनाना एक कला है। सरकार ने यूनेस्को को एक लंबी रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें बताया गया था कि यहां के शाही खानों से लेकर ठेले पर बिकने वाली चाट तक, हर व्यंजन में यहां की संस्कृति और भाईचारा झलकता है।

पर्यटकों के लिए होगा बड़ा फायदा

यूनेस्को का यह दर्जा मिलने से अब लखनऊ में पर्यटकों की भीड़ और बढ़ेगी। दुनिया भर के फूडी अब इस शहर को देखने और यहां का स्वाद चखने आएंगे। यह सम्मान मिलने के बाद सरकार की योजना है कि यहां के स्थानीय कबाब बेचने वालों और छोटे दुकानदारों को बढ़ावा दिया जाए, ताकि वे अपने काम को और आगे बढ़ा सकें। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए रास्ते खुलेंगे और लखनऊ की अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिलेगा।

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