कोडीन सिरप तस्करी कांड की पूरी कहानी: 2000 करोड़ के सिंडिकेट का भंडाफोड़, जहरीली मौतों का दुबई कनेक्शन; बाहुबली लिंक उजागर
MP–UP में संदिग्ध मौतों से शुरू हुई जांच में सोनभद्र में 2000 करोड़ की कोडीन सिरप तस्करी का नेटवर्क पकड़ा गया। किंगपिन शुभम जायसवाल, अमित ‘टाटा’ और बाहुबली लिंक पर ED की नजर।
एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, अमित सिंह टाटा और मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल से बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी रिश्ता है।
लखनऊ : देश में प्रतिबंधित नशीले 'कोडीन युक्त कफ सिरप' की अवैध तस्करी का यह मामला सिर्फ संगठित अपराध सिंडिकेट का पर्दाफाश नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें उन दर्दनाक मौतों तक जाती हैं, जो कथित तौर पर इन संदिग्ध सिरपों के सेवन से हुईं।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हुई कई मौतों के बाद, डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) जैसे जहरीले तत्वों की आशंका के चलते, प्रतिबंधित सिरपों पर सरकारी एजेंसियों का ध्यान केंद्रित हुआ।
इसी जांच के दौरान, सोनभद्र में एक चिप्स लदी गाड़ी से कफ सिरप की बड़ी खेप बरामद हुई, जिसने शुभम जायसवाल नामक किंगपिन, उसके पार्टनर अमित सिंह टाटा और पूर्वांचल के एक बड़े बाहुबली धनंजय सिंह के कथित करीबी संबंधों तक फैले विशाल 2000 करोड़ से अधिक के अवैध कारोबार का पर्दाफाश किया। एसटीएफ और ईडी अब इस सिंडिकेट के हर तार को खंगाल रहे हैं।
प्रतिबंधित कफ सिरप- कैसे हुई मौतों से इस कांड की शुरुआत और जांच
नशीले कफ सिरप के अवैध कारोबार की पूरी कहानी की शुरुआत उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से होती है, जिनमें कथित तौर पर कफ सिरप पीने से कई मासूमों की जान चली गई थी।
मध्य प्रदेश में मौतें: मार्च 2025 के आसपास, मध्य प्रदेश के खरगोन और आसपास के क्षेत्रों में कई बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आए। जांच में आशंका जताई गई कि इन मौतों का कारण दूषित कफ सिरप में मिला डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) हो सकता है।
यूपी में भी संदिग्ध मामले: इसी दौरान, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से भी ऐसी ही संदिग्ध मौतें रिपोर्ट हुईं, जिसके बाद राज्य सरकार और ड्रग कंट्रोलर ने नशीले और सिरप की बिक्री पर सख्ती करने और इनकी आपूर्ति शृंखला की गहन जांच का आदेश दिया।
सोनभद्र में पर्दाफाश: इसी सख़्ती और निगरानी के चलते, 18 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एसटीएफ ने एक ट्रक को पकड़ा। यह ट्रक ऊपर से चिप्स के पैकेट से लदा हुआ था, लेकिन तलाशी लेने पर नीचे भारी मात्रा में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध खेप बरामद हुई।
यह खेप झारखंड की फर्जी फर्मों के नाम पर उठाई गई थी, और यहीं से शुभम जायसवाल के नेतृत्व वाले इस 2000 करोड़ के सिंडिकेट का पहला सुराग मिला।
सिंडिकेट का किंगपिन- मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल और पिता की गिरफ्तारी
एसटीएफ की जांच में शुभम जायसवाल इस पूरे सिंडिकेट का 'किंगपिन' बनकर उभरा। शुभम के नाम पर झारखंड से कई फर्जी फर्म (जैसे 'देव कृपा मेडिकल एजेंसी' और 'श्री मेडिकल') बनाकर सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त की जा रही थी।
दुबई कनेक्शन: मामला दर्ज होते ही शुभम जायसवाल अपने पूरे परिवार के साथ देश छोड़कर दुबई भाग गया। जांच में सामने आया कि उसने तस्करी से कमाए करोड़ों रुपए से दुबई में होटल और बड़ी संपत्ति बनाई है।
पिता भोला प्रसाद की गिरफ्तारी: 30 नवंबर 2025 को सोनभद्र पुलिस ने शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, भोला प्रसाद भी इस अवैध कारोबार में अपने बेटे के साथ शामिल था और थाईलैंड भागने की फिराक में था।
अंतरराष्ट्रीय तस्करी का रूट: जांच एजेंसियों के अनुसार, इस सिंडिकेट का मुख्य उद्देश्य इन प्रतिबंधित सिरपों की तस्करी झारखंड और उत्तर प्रदेश के रास्ते बांग्लादेश तक करना था, जहा इनकी कीमत भारत के मुकाबले कई गुना ज्यादा हो जाती थी।
अमित सिंह 'टाटा' की गिरफ्तारी और बाहुबली कनेक्शन
शुभम जायसवाल की तलाश के दौरान ही एसटीएफ ने उसके पार्टनर अमित सिंह 'टाटा' को जौनपुर से हिरासत में लिया। अमित सिंह टाटा इस सिंडिकेट का एक प्रमुख मोहरा था, जिसके बाद मामले में पूर्वांचल के बाहुबली धनंजय सिंह का नाम सामने आया।
धनंजय सिंह से करीबी: अमित सिंह टाटा की गिरफ्तारी के बाद धनंजय सिंह और एक अन्य विधायक सुशील सिंह के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। एसटीएफ को अमित टाटा के पास से जो फॉर्च्यूनर कार (नंबर UP65 FN 9777) मिली, वह उसी नंबर प्लेट सीरीज की है जिसका इस्तेमाल धनंजय सिंह की गाड़ियों के काफिले में होता है।
पुराना आपराधिक इतिहास: अमित सिंह टाटा का पुराना आपराधिक इतिहास भी है। वह सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष राजा आनंद ज्योति सिंह की हत्या का आरोपी था और पूर्व में मुन्ना बजरंगी गैंग से भी जुड़ा रहा था।
एसटीएफ के बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की गिरफ्तारी
02 दिसंबर 2025 को, इस सिंडिकेट को एक और बड़ा झटका लगा जब एसटीएफ ने बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। आलोक सिंह इस रैकेट का एक अहम सदस्य था, जिसे अमित सिंह टाटा और शुभम जायसवाल का करीबी बताया जाता है।
गिरफ्तारी से ठीक पहले उसने लखनऊ की एक अदालत में आत्मसमर्पण की अर्जी भी दी थी।
2000 करोड़ का कारोबार: एसटीएफ की शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट ने अवैध कफ सिरप की तस्करी से कथित तौर पर ₹2000 करोड़ से अधिक का कारोबार किया है।
ईडी की रडार पर बाहुबली और 12 फर्मों पर FIR
इस अवैध कारोबार के विशाल वित्तीय पैमाने को देखते हुए अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है, जिससे बाहुबली कनेक्शन पर शिकंजा कसना तय है।
12 और फर्मों पर FIR: 29 नवंबर 2025 को ड्रग विभाग ने मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल से जुड़ी 12 और फर्मों के संचालकों पर औषधि अधिनियम के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई है। इन फर्मों पर अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप है। अब तक इस रैकेट से जुड़ी कुल 40 फर्में चिह्नित हो चुकी हैं।
जांच का दायरा और आगे की कार्रवाई
बड़ा नेटवर्क: एसटीएफ अब आलोक सिंह, अमित सिंह टाटा और शुभम जायसवाल के एक और पार्टनर विभोर राणा को रिमांड पर लेकर देश के तमाम राज्यों और बांग्लादेश तक फैले इस सिंडिकेट के अन्य सदस्यों और लेनदेन के बारे में तथ्य जुटा रही है।
राजनीतिक दबाव: मामले में बाहुबली का नाम आने के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। धनंजय सिंह ने खुद ही सोशल मीडिया पर पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।