गोरखपुर के नाम दर्ज होगी बड़ी उपलब्धि: बनेगा देश का पहला 'रिवर सेल', नदियों के संरक्षण का बदलेगा स्वरूप
यह विशेषज्ञों का एक ऐसा केंद्र होगा जो ड्रेनेज सिस्टम और नदी स्वच्छता के बीच बेहतर तालमेल बिठाएगा।
नदी संरक्षण के साथ-साथ यह प्रोजेक्ट गोरखपुर की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को भी निखारेगा।
गोरखपुर : गोरखपुर शहर अब पर्यावरण संरक्षण और नदी प्रबंधन के क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने गोरखपुर में देश का पहला 'रिवर सेल' स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
यह कदम न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों के लिए संजीवनी साबित होगा, बल्कि देश के अन्य शहरों के लिए भी एक रोल मॉडल बनेगा।
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल इस पहल का उद्देश्य नदियों के अस्तित्व को बचाते हुए शहर के विकास को एक नई दिशा देना है।
क्या होता है रिवर सेल?
रिवर सेल एक ऐसी विशेष इकाई है जो नदियों को प्रदूषण मुक्त करने, उनके प्रवाह को बनाए रखने और बाढ़ जैसी समस्याओं के वैज्ञानिक समाधान के लिए काम करती है। यह अलग-अलग सरकारी विभागों (जैसे नगर निगम, सिंचाई और जल निगम) के बीच एक सेतु का काम करता है ताकि नदी से जुड़ी हर योजना का क्रियान्वयन एक ही जगह से हो सके।
इसमें जल विज्ञान और पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम होती है जो सैटेलाइट मैपिंग और डेटा के जरिए नदी के स्वास्थ्य की निगरानी करती है और यह सुनिश्चित करती है कि शहर का गंदा पानी बिना साफ हुए नदी में न जाए।
रिवर सेल का गठन और विशेषज्ञों की भूमिका
यह रिवर सेल एक स्वतंत्र और उच्च स्तरीय तकनीकी इकाई के रूप में कार्य करेगा। इसमें केवल प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि जल विज्ञान, पर्यावरण इंजीनियरिंग और रिमोट सेंसिंग के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
इस सेल का सबसे महत्वपूर्ण काम नदियों के आंकड़ों का एक डिजिटल डेटाबेस तैयार करना होगा। यह इकाई आधुनिक तकनीक और सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए नदियों के बदलते स्वरूप, जलस्तर में उतार-चढ़ाव और जलीय जीवों की स्थिति पर चौबीसों घंटे निगरानी रखेगी, जिससे भविष्य की चुनौतियों का सामना वैज्ञानिक तरीके से किया जा सके।
नदियों के प्रदूषण पर वार और सीवेज प्रबंधन
इस परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य राप्ती, रोहिन और आमी जैसी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाना है। रिवर सेल यह सुनिश्चित करेगा कि शहर के किसी भी नाले का गंदा पानी बिना शोधन के नदियों में प्रवाहित न हो।
इसके लिए सेल मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की निगरानी करेगा और नए बायो-डाइजेस्टर व नेचुरल फिल्ट्रेशन सिस्टम स्थापित करने की योजना तैयार करेगा। नदियों के किनारों पर व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण और 'बफर जोन' का निर्माण किया जाएगा, ताकि मिट्टी के कटाव को रोका जा सके और जल की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो।
जलभराव और बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान
गोरखपुर के लिए जलभराव एक बड़ी चुनौती रही है। रिवर सेल शहर के संपूर्ण ड्रेनेज नेटवर्क और नदियों के बीच एक वैज्ञानिक सेतु का काम करेगा। यह सेल नदियों के 'कैचमेंट एरिया' को चिन्हित कर वहां से अतिक्रमण हटवाने और प्राकृतिक नालों को पुनर्जीवित करने का खाका तैयार करेगा।
इससे मानसूनी बारिश के दौरान शहर में जमा होने वाले पानी की निकासी सुगम होगी और राप्ती के बढ़ते जलस्तर से होने वाले खतरों को समय रहते कम किया जा सकेगा। यह सेल बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली को भी मजबूत करेगा।
ईको-टूरिज्म और रिवर फ्रंट का विकास
नदी संरक्षण के साथ-साथ यह प्रोजेक्ट गोरखपुर की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को भी निखारेगा। रिवर सेल के मार्गदर्शन में नदियों के किनारों पर घाटों का निर्माण, रिवर फ्रंट पार्कों का विकास और नौकायन की आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
इससे रामगढ़ ताल की तर्ज पर अन्य नदी तटों को भी पर्यटन हब बनाया जाएगा। इस पहल से स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और नदियों के प्रति जन-जागरूकता भी बढ़ेगी। केंद्र से अंतिम वित्तीय स्वीकृति मिलते ही इस पर धरातल पर काम शुरू हो जाएगा, जो गोरखपुर की तस्वीर बदलने वाला साबित होगा।