यूपी में सड़क हादसों पर लगेगी लगाम: थानों में 'क्रिटिकल टीम' का गठन, दुर्घटनाओं की जांच और रोकथाम का होगा जिम्मा
ये टीमें दुर्घटना स्थलों की वैज्ञानिक जांच करेंगी और ब्लैक स्पॉट की पहचान कर संबंधित विभागों को निवारक उपाय करने के लिए रिपोर्ट करेंगी।
क्रिटिकल टीम' सड़क दुर्घटनाओं की जांच करेंगी और हादसों को रोकने के लिए निवारक उपायों की जिम्मेदारी भी संभालेंगी।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने और हादसों की जांच में पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है। अब राज्य के सभी थानों में 'क्रिटिकल टीम' का गठन किया जा रहा है। ये टीमें न केवल सड़क दुर्घटनाओं की जांच करेंगी, बल्कि अपने थाना क्षेत्रों में हादसों को रोकने के लिए निवारक उपायों की जिम्मेदारी भी संभालेंगी।
यह पहल दुर्घटनाओं की जांच को अधिक पेशेवर और केंद्रित बनाने तथा सड़क सुरक्षा को एक स्थायी प्राथमिकता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निर्णय से पुलिस व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
क्रिटिकल टीम का दोहरा दायित्व- जांच और रोकथाम
गठित की जा रही ये क्रिटिकल टीमें दोहरे दायित्व के साथ काम करेंगी। इनका प्राथमिक उद्देश्य सड़क दुर्घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुचना, वैज्ञानिक तरीके से सबूत जुटाना और दुर्घटना के वास्तविक कारणों की गहन जांच करना होगा। क्रिटिकल टीमें दुर्घटना स्थल का निरीक्षण करेंगी और तकनीकी एवं वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाकर यह निर्धारित करेंगी कि दुर्घटना का कारण क्या था मानवीय भूल, वाहन की तकनीकी खराबी, या खराब सड़क इंजीनियरिंग।
इसके साथ ही, इन टीमों को अपने थाना क्षेत्र के भीतर 'ब्लैक स्पॉट' यानी दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान करनी होगी। इन टीमों का काम होगा कि वे ब्लैक स्पॉट पर चेतावनी बोर्ड, स्पीड ब्रेकर लगवाने, या खराब सड़कों की मरम्मत के लिए सड़क परिवहन विभाग और नगर निगम को तत्काल रिपोर्ट भेजें।
प्रत्येक टीम में शामिल होंगे विशेषज्ञ अधिकारी और कर्मचारी
'क्रिटिकल टीम' में शामिल होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे दुर्घटना जांच को सामान्य अपराध से अलग, एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कर सकें। प्रत्येक क्रिटिकल टीम में थाने के वरिष्ठ उप-निरीक्षक या एक योग्य पुलिस अधिकारी को नामित किया जाएगा।
इनके साथ फोटो/वीडियोग्राफी में कुशल एक कॉन्स्टेबल और टेक्निकल ज्ञान रखने वाला एक कर्मचारी भी शामिल होगा।
इन टीमों को दुर्घटना स्थल की मैपिंग, डिजिटल साक्ष्य एकत्र करने, दुर्घटना के शिकार लोगों को प्राथमिक चिकित्सा देने और दुर्घटनाग्रस्त वाहनों की जांच करने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन टीमों के गठन से दुर्घटना जांच में जवाबदेही बढ़ेगी, क्योंकि अब जांच की गुणवत्ता सीधे तौर पर टीम के प्रभारी अधिकारी की दक्षता पर निर्भर करेगी।
बढ़ते सड़क हादसों पर नियंत्रण की सख्त जरूरत
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, यूपी सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है। अक्सर देखा जाता था कि दुर्घटना की जांच का काम सामान्य पुलिसकर्मियों को सौंप दिया जाता था, जिससे जांच की गुणवत्ता प्रभावित होती थी और वास्तविक दोषियों को सजा नहीं मिल पाती थी।