लोक आस्था का महापर्व छठ 2025 संपन्न: भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ पूर्ण हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रत! देखें तस्वीरें

छठ महापर्व 2025 मंगलवार, 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। इस दिन व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण किया।

Updated On 2025-10-28 09:42:00 IST

लखनऊ में सुबह 6 बजकर 13 मिनट के आसपास व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया।

लखनऊ : लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को उगते सूर्य को अर्घ्य (उषा अर्घ्य) देने के साथ संपन्न हो गया। इस कठिन व्रत के अंतिम दिन, व्रती महिलाओं ने नदियों, तालाबों और अस्थाई घाटों पर खड़े होकर भगवान भास्कर की आराधना की और उन्हें अर्घ्य अर्पित किया। उषा अर्घ्य के बाद ही व्रती 36 घंटे का अपना कठोर निर्जला उपवास तोड़ती हैं, जिसे पारण कहा जाता है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश और दुनिया के कोने-कोने में इस महापर्व की दिव्य छटा देखने को मिली, जहा आम से लेकर खास तक, सभी ने सूर्य देव की उपासना की।

लखनऊ में छठ महापर्व का समापन- घाटों पर आस्था का सैलाब
लखनऊ में छठ महापर्व का समापन मंगलवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। शहर के प्रमुख घाटों, जैसे गोमती नदी के घाटों (कुड़िया घाट, लक्ष्मण मेला मैदान घाट) और झील/तालाबों के किनारे भारी भीड़ उमड़ी। सूर्योदय का समय लगभग सुबह 6 बजकर 13 मिनट रहा, जब व्रतियों ने अर्घ्य दिया।

व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए थे। घाटों पर सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात रहा, गोताखोरों की टीमें मौजूद थीं, और प्रकाश व्यवस्था व साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया। कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी व्रतियों की सुविधा के लिए सहायता शिविर लगाए थे। लोगों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ इस महापर्व में भाग लिया, जिससे सभी घाटों पर भक्तिमय और शांतिपूर्ण वातावरण बना रहा।

उषा अर्घ्य का विशेष महत्व और समय
छठ महापर्व का चौथा दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए समर्पित होता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले ही घाटों पर पहुंचकर पूजा की सामग्री और सूप लेकर तैयार हो जाती हैं। सूर्य की पहली किरण दिखाई देते ही व्रती जल में खड़े होकर, कच्चे दूध और जल से सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह माना जाता है कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने से संतान की दीर्घायु, परिवार में सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।


विभिन्न शहरों में इस वर्ष सूर्योदय का समय थोड़ा भिन्न रहा। उदाहरण के लिए, पटना में सूर्योदय लगभग सुबह 5 बजकर 55 मिनट पर हुआ, जबकि राजधानी दिल्ली में यह समय लगभग सुबह 6 बजकर 30 मिनट रहा। वाराणसी में सुबह 6 बजकर 3 मिनट और लखनऊ में सुबह 6 बजकर 13 मिनट के आसपास व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया। अर्घ्य देने के बाद, व्रती छठी मैया और सूर्य देव को साष्टांग प्रणाम कर अपने व्रत का पारण करती हैं।


घाटों पर उमड़ा जनसैलाब और भक्तिमय वातावरण
छठ पर्व के अंतिम दिन, घाटों पर आस्था का अद्भुत और विहंगम दृश्य देखने को मिला। व्रती और श्रद्धालु पारंपरिक गीतों को गाते हुए, पवित्र नदियों के तटों पर एकत्र हुए। रंग-बिरंगे परिधानों में सजी महिलाओं ने पारंपरिक छठ गीतों से पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। घाटों पर केले के पत्तों और सूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, और विभिन्न मौसमी फलों को सजाकर रखा गया था।


 सुरक्षा और व्यवस्था के दृष्टिकोण से, स्थानीय प्रशासन ने सभी प्रमुख घाटों पर विशेष इंतज़ाम किए थे। नदी के किनारों को सजाया गया था और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात था। 


चार दिवसीय अनुष्ठान की समाप्ति
25 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू हुआ यह महापर्व 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ। नहाय-खाय के बाद, 26 अक्टूबर को खरना का आयोजन हुआ, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ। 27 अक्टूबर की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया और अंततः 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया गया। इस प्रकार, सूर्य की उपासना का यह कठिन और पवित्र अनुष्ठान पूर्ण हुआ।

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