पुराने रिकॉर्ड के मिलान में फंसा पेंच: यूपी में दो सप्ताह बढ़ सकती है मतदाता सूची पुनरीक्षण की मियाद

पुराने रिकॉर्ड का मिलान न होने और बीएलओ पर काम के बढ़ते दबाव को देखते हुए दो सप्ताह के विस्तार की मांग की गई है। इसका उद्देश्य सूची को त्रुटि रहित बनाकर 14 फरवरी 2026 को अंतिम सूची प्रकाशित करना है।

Updated On 2025-12-10 22:21:00 IST

लगभग 27% मतदाताओं का पुराना रिकॉर्ड अभी भी लंबित है और उनका मिलान नहीं हो पाया है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की समय सीमा को आगे बढ़ाने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है।

यह अभियान, जो मतदाता सूची को त्रुटि रहित और अधिक सटीक बनाने के लिए 22 साल बाद चलाया जा रहा है, में पुराने रिकॉर्ड का मिलान न होने और बूथ लेवल अधिकारियों पर बढ़ते काम के दबाव के कारण बाधाएं आ रही थीं।

सीईओ नवदीप रिनवा ने दो सप्ताह के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध किया है ताकि सभी पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल किया जा सके और सूची की शुद्धता सुनिश्चित की जा सके।

पुराने रिकॉर्ड का न मिलना बनी मुख्य चुनौती

इस गहन पुनरीक्षण अभियान में सबसे बड़ी चुनौती 2003 की मतदाता सूची के रिकॉर्ड का वर्तमान मतदाताओं से पूरी तरह से मिलान न हो पाना है। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 27% मतदाताओं का पुराना रिकॉर्ड अभी भी लंबित है और उनका मिलान नहीं हो पाया है। इस वजह से निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ऐसे मतदाताओं को नोटिस भेज रहे हैं।

आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस मिलान कार्य को प्राथमिकता के आधार पर फिर से बारीकी से किया जाए। आयोग का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अधिकतम शुद्ध और सटीक बनाना है, और इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए यह विस्तार आवश्यक माना गया है।

राजनीतिक दलों और बीएलओ पर बढ़ते दबाव का मुद्दा

कांग्रेस सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने मांग की थी कि विशेष गहन पुनरीक्षण की समय सीमा को कम से कम छह महीने तक बढ़ाया जाए ताकि इस कार्य को बिना किसी जल्दबाजी के पूरा किया जा सके।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने यह आरोप भी लगाया था कि बूथ लेवल अधिकारियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों पर मतदाताओं के नाम जाति/धर्म के आधार पर हटाने का दबाव बनाया जा रहा है।

उन्होंने इस दबाव के चलते कई स्थानों पर कर्मचारियों की आत्महत्या या हार्ट अटैक से मौत होने का दावा करते हुए न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसके बाद यह समय विस्तार और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

आयोग को दो सप्ताह विस्तार का भेजा गया अनुरोध

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने गणना प्रपत्र भरने और जमा करने की अंतिम तिथि को लगभग दो सप्ताह तक बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग को पत्र भेजा है। यह मांग इसलिए भी जायज मानी जा रही है क्योंकि चुनाव आयोग इससे पहले भी 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे SIR का समय एक सप्ताह तक बढ़ा चुका है।

अधिकारियों का तर्क है कि चूंकि प्रदेश में अभी कोई चुनाव नहीं है, इसलिए मतदाता सूची को व्यवस्थित करने के लिए SIR का समय बढ़ाया जा सकता है, जिससे किसी भी पात्र मतदाता को सूची से बाहर न रहना पड़े और सूची की शुद्धता सुनिश्चित हो।

पुनरीक्षण प्रक्रिया का अंतिम चरण

विशेष गहन पुनरीक्षण का दूसरा चरण 4 नवंबर से शुरू हुआ था, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित किए गए थे। इन प्रपत्रों को जमा करने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर निर्धारित की गई थी, जिसके विस्तार की मांग की गई है।

पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत, मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन 16 दिसंबर को किया जाएगा। इसके बाद सभी पात्र नागरिकों को इसमें किसी भी प्रकार के दावे और आपत्तिया दर्ज करने का अवसर मिलेगा। 

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