आश्चर्यजनक किंतु सत्य: जिस युवक की तेरहवीं हो चुकी थी, वह 13 साल बाद कैसे लौटा घर?

बुलंदशहर में एक अविश्वसनीय घटना सामने आई है, जहां 13 साल पहले सांप के काटने से मृत माने गए युवक ने ज़िंदा घर वापसी की है।

Updated On 2025-10-27 13:36:00 IST

तक़रीबन 13 साल बाद, दीपू सैनी अपने घर लौट आया। 

बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सूरजपुर टीकरी गांव में 13 साल पहले एक ऐसी घटना घटी थी जिसने पूरे परिवार और इलाके को गहरे सदमे में डाल दिया था। वर्ष 2012 में, 22 वर्षीय युवक दीपू सैनी को सांप ने काट लिया था। झाड़-फूंक और तमाम प्रयासों के बाद जब कोई लाभ नहीं हुआ और युवक की नब्ज थम गई, तो परिजनों ने उसे मृत मान लिया। हिंदू मान्यताओं और ग्रामीण परंपराओं के अनुसार, सांप काटने से हुई मृत्यु के बाद कुछ विशेष परिस्थितियों में शव को जलाया नहीं जाता है, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए उसे गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसी विश्वास के चलते दीपू को गंगा की लहरों को सौंप दिया गया था। परिवार ने तेरहवीं और अन्य रस्में पूरी कर ली थीं और वह युवक उनकी यादों में बस एक अतीत बन गया था।

तेरह साल बाद अचानक घर वापसी

करीब 13 साल बाद, दीपू सैनी अचानक अपने घर लौट आया। उसकी वापसी ने पूरे गांव को अचंभित कर दिया। परिजनों की माने दीपू गंगा में प्रवाहित होने के बाद, वह जीवित था और बहता हुआ कहीं दूर किनारे लग गया। 

दरसल ​युवक दीपू की 'मृत्यु' के बाद, दीपू की मां सुमन देवी ने हार नहीं मानी और इस घटना की जानकारी कुछ सपेरों को दी। परिवार के अनुसार, सपेरों ने दीपू को गंगा किनारे खोजा और उसे हरियाणा के पलवल में स्थित एक बंगाली बाबा के आश्रम तक पहुचाया। परिवार का दावा है कि बंगाली बाबा दीपू को इलाज के लिए बंगाल ले गए। वहा तंत्र-मंत्र की विशेष विद्या द्वारा उसका उपचार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप वह पुनः जीवित हो गया। दीपू ने लगभग 6-7 साल बंगाल में बिताए, जिसके बाद वह वापस पलवल आ गया। दीपू के परिजनों को लगभग एक साल पहले पलवल में इस तरह के उपचार के बारे में पता चला, जिसके बाद वे उसे तलाशते हुए आश्रम पहुचे। परिवार ने दीपू के कान के पीछे के एक निशान से उसकी पहचान की। दीपू ने भी अपने परिवार को पहचान लिया, जिसके बाद आश्रम के संतों को भी इस बात का यकीन हो गया। आश्रम के नियमों के अनुसार, ठीक एक साल के इंतजार के बाद 25 अक्टूबर को संत दीपू को वापस उसके पैतृक गांव छोड़ गए।


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