'भारत किसी से शत्रुता नहीं रखता, लेकिन..': RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कराया शक्ति का अहसास; भगवान राम से भामाशाह तक..जानिए क्या कहा?

Updated On 2025-05-17 20:27:00 IST

Mohan Bhagwat Jaipur Speech

Mohan Bhagwat jaipur Visit: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार (17 मई) को कहा कि दुनिया तभी आपकी बात सुनती है, जब आपके पास शक्ति हो। उन्होंने देश को विश्व का सबसे प्राचीन देश बताते हुए कहा कि भारत की भूमिका बड़े भाई की तरह है, जो विश्व में शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए कार्य कर रहा है। डॉ. भागवत जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में संत रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

डॉ. मोहन भागवत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र करते हुए कहा, भारत किसी से शत्रुता नहीं रखता, लेकिन दूसरा कोई यह दुष्साहस करता है तो उसे सबक सिखाने की ताकत भी रखता है और रखना भी चाहिए। क्योंकि दुनिया प्रेम और मंगल की भाषा तभी समझती है, जब आपके पास शक्ति हो। दुनिया का यह स्वभाव है, जिसे बदला नहीं जा सकता।


विश्व कल्याण हमारा धर्म
मोहन भागवत ने कहा, दुनिया ने भारत की ताकत को देखा है। हमारी यह ताकत विश्व कल्याण के लिए है। विश्व कल्याण हमारा धर्म है। खासकर, हिंदू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है। संत समाज हमारी ऋषि परंपरा का निर्वहन कर रहा है। इस दौरान उन्होंने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभव साझा किए। कहा, उनकी करुणा से हम लोग अच्छे कार्य के लिए प्रेरित होते हैं।

समाज में शक्ति की ही पूजा होती है
मोहन भागवत ने कहा, समाज में शक्ति की ही पूजा होती है। इसलिए साधना के साथ शक्तिशाली जीवन जरूरी है। कमजोर लोग तो सम्मान के अधिकारी हैं और न ही भाषण देने के।

आरएसएस की 100 साल पुरानी परंपरा
मोहन भागवत ने आरएसएस की 100 साल पुरानी परंपरा से अवगत कराया। कहा, इसमें लाखों कार्यकर्ताओं का परिश्रम लगा है। आज अगर संघ की परंपरा सम्मान योग्य है, तो यह उन लाखों कार्यकर्ताओं का सम्मान है। संतों की आज्ञा के कारण वे यह सम्मान ग्रहण कर रहे हैं। इस दौरान भावनाथ महाराज ने डॉ. भागवत को सम्मानित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

भगवान श्रीराम से लेकर भामाशाह
डॉ. मोहन भागवत ने त्याग की परंपरा का उल्लेख करते हुए भगवान श्रीराम से लेकर भामाशाह तक के योगदान का उल्लेख किया। कहा, दुनिया को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए भी शक्ति जरूरी है।

संत-महात्माओं के उपदेश व्यवहार में उतारें
आरएसएस चीफ भागवत ने संत तुकाराम के कोट का उल्लेख करते हुए कहा, हम बैकुंठवासी इस धरती पर इसलिए आए हैं ताकि संत-महात्माओं के उपदेशों को अपने व्यवहार में लाकर दिखाएं। यह व्यवहार आज हम सबके लिए जरूरी है। यह हमारी जिम्मेदारी भी है। आज आप सबको समरस और शक्ति संपन्न जीवन जीने की जरूरत है, क्योंकि कमजोर लोग कुछ नहीं कर पाते।

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