झालावाड़ स्कूल हादसा: बड़ी लापरवाही आई सामने, 10 सस्पेंड; वसुंधरा राजे ने उठाए सवाल
राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और 27 से अधिक घायल हो गए। 78 साल पुरानी जर्जर इमारत को लेकर पहले ही चेतावनी दी गई थी। जानिए हादसे की पूरी कहानी और प्रशासन की लापरवाही।
झालावाड़ स्कूल हादसे में सामने आई बड़ी लापरवाही, 10 सस्पेंड; वसुंधरा ने उठाए सवाल
राजस्थान: झालावाड़ जिले के पिपलौद गांव में स्कूल बिल्डिंग गिरने के मामले में हैरान करन देने वाला खुलासा हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 78 साल पुरानी यह बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी, लेकिन जिम्मेदारों ने इसे डिस्पोज कराने की बजाय रंगरोगन कराते रहे। हादसे के वक्त बच्चियों ने शिक्षकों को अलर्ट किया, लेकिन उन्होंने डांटकर बैठा दिया।
शुक्रवार (25 जुलाई) सुबह हुए दिल दहला देने वाले इस हादसे में 7 बच्चों की मौके पर मौत हो गई है। जबकि, 27 से ज्यादा छात्र घायल हैं। हादसे के वक्त स्कूल परिसर में लगभग 50 छात्र मौजूद थे।
पहले ही चेताया था, सुनवाई नहीं हुई
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की जर्जर हालत को लेकर पहले भी कई बार शिकायतें की गई थीं, लेकिन प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए। 78 साल पुरानी स्कूल बिल्डिंग की छत और दीवारों की हालत बेहद खराब थी। कुछ माह पहले ही इसमें प्लास्टर करवाकर खानापूर्ति कर दी गई थी।
छात्रा ने बयां किया हादसे का मंजर
घायल छात्रा वर्षा ने बताया कि प्रार्थना सभा के दौरान हादसे से पहले छत के कंकड़ गिरने लगे थे। हमने शिक्षक को बताया, लेकिन उन्होंने डांट कर बैठा दिया। थोड़ी ही देर में पूरी छत गिर गई। हादसे के वक्त अधिकांश शिक्षक स्कूल परिसर में नाश्ता कर रहे थे और बच्चों के साथ कोई वयस्क मौजूद नहीं था।
तत्काल कार्रवाई में 10 अधिकारी निलंबित
हादसे के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और 5 शिक्षकों और शिक्षा विभाग के 5 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। साथ ही जांच समिति गठित कर रिपोर्ट मांगी है। कहा, जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वसुंधरा ने जताया दुख, राज्यव्यापी सर्वे की मांग की
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेत्री वसुंधरा राजे ने हादसे पर चिंता जताया है। कहा, घटना की जानकारी मिलते ही हम लोग मौके पर पहुंचे, लेकिन बच्चियों को बचा नहीं पाए। उन्होंने कहा, जर्जर हो चुकी इस इमारत की पहचान यदि पहले कर ली जाती और बच्चों को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया जाता तो यह हादसा नहीं होता। सभी स्कूलों का तुरंत सर्वे कराया जाए और जर्जर भवनों को ध्वस्त कर नए भवन बनवाए जाएं।
गांव में मातम और गुस्से का माहौल
गांव के लोगों में गहरा आक्रोश है। शोक संतप्त परिवारों के साथ पूरा गांव सदमे में है। लोगों का कहना है कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, और इसके लिए सिर्फ निलंबन नहीं, जवाबदेही तय होनी चाहिए।