न्याय पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर में की अंतर्राष्ट्रीय विधि संगोष्ठी की शुरुआत
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि न्याय पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। इंदौर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विधि संगोष्ठी के शुभारंभ पर उन्होंने कहा कि समानता, पारदर्शिता और समय पर न्याय ही न्यायपालिका की आत्मा है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे।
सीएम मोहन यादव
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि न्याय पाना देश के हर नागरिक का मौलिक, बुनियादी और संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि भारत की संघीय शासन व्यवस्था का मूल उद्देश्य हर व्यक्ति के जीवन, भोजन और स्वास्थ्य के अधिकारों की समान रूप से रक्षा करना है। लोक कल्याणकारी राज्य का पहला दायित्व है कि कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि न्याय और सुशासन राष्ट्र को मजबूत बनाते हैं और शासन को जवाबदेह करते हैं। उन्होंने बताया कि बीते कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक निर्णयों ने देश को नई दिशा दी है और न्यायपालिका पर जन-आस्था को और मजबूत किया है।
मुख्यमंत्री यादव शनिवार को इंदौर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विधि संगोष्ठी “Evolving Horizons: Navigating Complexity and Innovation in Commercial and Arbitration Law in the Digital World” के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तिगणों और विधि विशेषज्ञों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि समानता, पारदर्शिता, विनम्रता और समय पर न्याय दिलाना ही न्यायपालिका की आत्मा है। भारत की न्याय परंपरा प्राचीन और गौरवशाली रही है, जिसे और सशक्त बनाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि “अब न्याय की देवी की आंखों की पट्टी भी खुल गई है, यानी अब न्याय खुली आंखों से निष्पक्ष रूप से होगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल युग में न्याय प्रणाली को तकनीकी बदलावों के अनुरूप ढालना समय की आवश्यकता है। इससे न्याय प्रदान करने में पारदर्शिता, निष्पक्षता और दक्षता बढ़ेगी। मध्यप्रदेश सरकार न्याय व्यवस्था को अधिक सुलभ, सरल और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में ग्राम न्यायालयों और जिला न्यायालयों की सुदृढ़ स्थापना की जा रही है।
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा सुरक्षा और डिजिटल अनुबंध जैसी नई तकनीकों से न्याय प्रणाली में नवाचार और चुनौतियाँ दोनों सामने आई हैं, जिनसे निपटने के लिए न्यायपालिका को निरंतर अनुकूलन करना होगा।
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानूनों को तकनीकी प्रगति के साथ विकसित होना चाहिए। वहीं डेनमार्क की उप महानिदेशक मारिया स्कोउ ने भारत-डेनमार्क के वाणिज्यिक और मध्यस्थता सहयोग को वैश्विक महत्व का बताया।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा कि मध्यप्रदेश कानूनी और तकनीकी नवाचार का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। इस अवसर पर तीन नई न्यायिक तकनीकी पहलें — ऑनलाइन इंटर्नशिप फॉर्म सिस्टम, केस डायरी कम्युनिकेशन सिस्टम, और “समाधान आपके द्वार” — का भी शुभारंभ किया गया।
दो दिवसीय यह अंतर्राष्ट्रीय विधि संगोष्ठी (11-12 अक्टूबर) में देश-विदेश के विधि विशेषज्ञों, न्यायाधीशों और छात्रों ने भाग लिया। संगोष्ठी में डिजिटल युग में वाणिज्यिक कानून, आर्बिट्रेशन, डेटा सुरक्षा, और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। यह आयोजन भारत की न्याय प्रणाली को डिजिटल युग के अनुरूप आधुनिक और सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।