Independence Day 2025: यमुनानगर के 'इंकलाब मंदिर' ने शहीदों का बढ़ाया मान, जानिए इसकी खासियत

Inquilaab Mandir: यमुनानगर में देश की आजादी के लिए कुर्बान हुए शहीदों की याद में 'इंकलाब मंदिर' बनाया गया है। इस मंदिर में दूर दराज से लोग दर्शन करने आते हैं।

Updated On 2025-08-15 07:50:00 IST

यमुनानगर में शहीदों के सम्मान में बनाया गया इंकलाब मंदिर।

Inquilaab Mandir: यमुनानगर में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर शहीदों की पूजा की जाती है। शहर के गुमथला राव गांव में बसा 'इंकलाब मंदिर' शहीदों के सम्मान में स्थापित किया गया था। बताया जाता है कि इस मंदिर में करीब 250 शहीदों की प्रतिमा स्थापित की गई है। देश को आजाद कराने में इन शहीदों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। चलिए जानते हैं कि इंकलाब शहीद स्मारक चैरिटी क्लब के संस्थापक 'वरयाम सिंह' ने मंदिर के इतिहास के बारे में क्या बताया है।

2000 में हुई थी स्थापना
इंकलाब शहीद स्मारक चैरिटी क्लब के संस्थापक वरयाम सिंह के मुताबिक गांव में सबसे पहले शहीदों के मंदिर की स्थापना साल 2000 में की गई थी। वरयाम सिंह का कहना है कि सबसे पहले यहां पर 'शहीद ए आजम' भगत सिंह की मूर्ति को स्थापित किया गया था। उसके बाद धीरे- धीरे मंदिर में करीब 250 शहीदों की मूर्तियां स्थापित की गई थीं। जिनमें भारत माता की स्टैच्यू, भगत सिंह सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडे समेत करीब 20 स्टैच्यू लगाई‌ गई। तकरीबन 250 पोर्टेबल फोटो और स्टैच्यू शहीद मंदिर में स्थापित किए गए हैं। वरयाम सिंह का कहना है कि इस मंदिर में लोग शहीदों की पूजा करने आते हैं।

देश का इकलौता मंदिर
वरयाम सिंह का कहना है कि यह मंदिर देश का इकलौता शहीद मंदिर है। इस मंदिर को शहीदों के सम्मान में बनाया गया है। उनका कहना है कि किसी भी राज्य में इस तरह का मंदिर नहीं है। इस मंदिर में शहीदों की पूजा की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जब 'इंकलाब मंदिर' की नींव रखी गई, तब उस दौरान गांव में किसी भी धर्म से जुड़ा धार्मिक स्थल नहीं था। लेकिन अब गांव में गुरुद्वारा बनवा दिया गया है। गुरुद्वारे से पहले शहीदों की याद में इंकलाब मंदिर स्थापित किया गया था।

हर धर्म के लोग करने आते हैं दर्शन
वरयाम सिंह ने बताया कि मंदिर में दर्शन करने के लिए हरियाणा के अलावा दूसरे राज्यों के लोग भी यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि दूरदराज से आए लोगों के लिए यहां ठहरने के लिए मुफ्त व्यवस्था भी की गई है। इस मंदिर को एकता का प्रतीक माना जाने लगा है, क्योंकि इस शहीद मंदिर में हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम सभी धर्म के लोग शहीदों को सम्मान अर्पित करते हैं।

ग्रामीणों को है गर्व
वरयाम सिंह के मुताबिक यह मंदिर सरकारी स्कूल के प्रांगण में बनाया गया है। बच्चे स्कूल जाने से पहले इंकलाब मंदिर में आकर शहीदों को नमन करते हैं। इसके अलावा गांव के पास से मुख्य मार्ग कुरुक्षेत्र से करनाल की ओर जाता है, यहां से गुजरने वाले ड्राइवर भी नमन करते हैं। गुमथला राव गांव के लोगों को गर्व है कि उनके यहां देश का इकलौता शहीदों के सम्मान में मंदिर बनाया गया है।

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