Haryana MBBS Exam Scam: सीएम नायब सैनी ने एमबीबीएस परीक्षा घोटाले की जांच CID को सौंपी, तीन प्राइवेट कॉलेजों के बदले जाएंगे एग्जाम सेंटर

Rohtak MBBS Exam Scam: रोहतक की पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में MBBS परीक्षा घोटाले की जांच, अब सीआईडी करेगी। सीआईडी ने इस मामले में परीक्षा घोटाले से जुड़ी रिपोर्ट भी मंगवाई है।

Updated On 2025-01-15 12:22:00 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर।

Rohtak MBBS Exam Scam: रोहतक की पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में MBBS परीक्षा घोटाले की जांच, अब  क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) को सौंप दी गई है।  CID हेडक्वार्टर ने इस मामले अब तक हुई जांच रिपोर्ट भी मंगवा ली है। इसके अलावा फैसला लिया गया है कि परीक्षा घोटाले में शामिल तीन प्राइवेट कॉलेजों के MBBS-MD एग्जाम के लिए  परीक्षा केंद्र भी बदले जाएंगे। नायब सैनी आज रोहतक आएंगे। वे यहां पर स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। बताया जा रहा है कि एमबीबीएस घोटाले की जांच को लेकर सरकार गंभीर है, लिहाजा जांच सीआईडी को सौंपी गई है। 

क्या है पूरा मामला ?

यूनिवर्सिटी के कर्मचारी MBBS स्टूडेंट से पेपर पास कराने के बदले  5 लाख रुपये लेते थे। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब  MBBS के एक स्टूडेंट ने यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को बता दिया। स्टूडेंट का कहना था कि एग्जाम में पास करने के लिए एक स्पेशल पेन का इस्तेमाल किया जाता था। छात्र ने बताया कि इस पेन से लिखने के बाद स्याही को साफ किया जा सकता था।

जिसके बाद आरोपी उत्तर पुस्तिकाओं को सेंटर से बाहर भेज देते थे। जहां  हेयर ड्रायर की मदद से उत्तर पुस्तिका से स्याही मिटा दी जाती थी। इसके बाद प्रश्नों के सही जवाब लिखकर उत्तर पुस्तिका को सेंचर से बाहर भेज दिया जाता था। MBBS एग्जाम घोटाले में अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी MBBS के अलावा एनईईटी-यूजी और फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में छात्रों से पैसा लेकर उनकी मदद करते थे। आरोपी कैश ऑनलाइन माध्यम से छात्रों से पैसे लेते थे।

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उत्तर पुस्तिकाओं की होगी फिर से जांच

इस मामले में  PGIMS के जनसंपर्क विभाग के इंचार्ज वरुण अरोड़ा का कहना है कि 6 दिन पहले उन्हें सबूत के तौर पर डॉक्यूमेंट्स और वीडियों मिले थे। जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कर्मचारी रोशन लाल और रोहित को सस्पेंड कर दिया था। इसके अलावा कर्मचारी दीपक, इंदू बजाज और रितु की सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। फिलहाल  विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच के अग्रवाल द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। पैनल को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके अलावा उत्तर पुस्तिकाओं के दोबारा मूल्यांकन के आदेश दिए गए हैं।

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