बेटी बचाओ का नया अध्याय: अब हरियाणा में बेटी के 'आगमन' पर कुआं पूजन और गोद भराई, मिटेगा भेदभाव, सुधरेगा लिंगानुपात

सरकार ने ऐसे 481 गांवों की पहचान की है जहां लिंगानुपात 700 से भी कम है, और इन गांवों के नाम सार्वजनिक रूप से उजागर करने की चेतावनी दी है यदि स्थिति नहीं सुधरी तो। शादियों में 'सात फेरों' के बाद 'आठवां फेरा' भी करवाया जाएगा, जिसमें दूल्हा-दुल्हन कन्या भ्रूण हत्या न करने की शपथ लेंगे। आइए जानते हैं...

Updated On 2025-07-29 20:39:00 IST

हरियाणा में बेटियों को बचाने की सरकारी मुहिम। 

हरियाणा जिसे कभी देश में सबसे खराब लिंगानुपात वाले राज्यों में गिना जाता था, अब इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए प्रदेश एक क्रांतिकारी पहल करने जा रहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के अस्थिर लिंगानुपात पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक व्यापक और अनूठी योजना तैयार की है। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ आंकड़ों में सुधार लाना नहीं, बल्कि प्रदेशवासियों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाना है।

कम लिंगानुपात वाले गांवों पर कड़ी नजर

हरियाणा सरकार ने इस दिशा में एक कड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। प्रदेश के 481 ऐसे गांवों की पहचान की गई है जहां प्रति 1000 लड़कों पर 700 या उससे भी कम लड़कियां हैं। ये वो गांव हैं जहां लिंगानुपात की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि यदि इन गांवों में लगातार प्रयासों के बावजूद हालात नहीं सुधरे तो सरकार उन्हें सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करेगी। इसके लिए जिला सचिवालयों के नोटिस बोर्ड पर इन गांवों के नाम लिखे जाएंगे, जिनमें उनके खराब लिंगानुपात के आंकड़े स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, पंचायत स्तर पर विशेष बैठकें आयोजित कर भी इन गांवों को उनकी स्थिति के लिए शर्मिंदा किया जाएगा। प्रभावित गांवों की सूची पहले ही उपायुक्तों के साथ साझा कर दी गई है और सरपंचों को जागरूकता अभियान व सामुदायिक सहभागिता में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए कहा गया है। यह एक साहसिक कदम है, जिसका उद्देश्य सामाजिक दबाव बनाकर बदलाव लाना है।

बेटियों के जन्म पर भी निभाए जाएंगे पारंपरिक रीति-रिवाज

डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए सरकार ने सामाजिक रीति-रिवाजों में बदलाव लाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में अभी तक बेटे के जन्म पर ही गोद भराई, कुआं पूजन और छठी गाने जैसे रीति-रिवाज निभाए जाते थे। अब इस भेदभाव को खत्म करते हुए बेटी के जन्म पर भी इन रीति-रिवाजों को धूमधाम से मनाया जाएगा।

महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर इस अभियान की शुरुआत कर दी है, जिसका उद्देश्य बेटियों के जन्म को सार्वजनिक रूप से जश्न का अवसर बनाना है। यह पहल न केवल लड़कियों के महत्व को स्थापित करेगी, बल्कि परिवारों को भी बेटी पैदा होने पर गर्व महसूस करने के लिए प्रेरित करेगी।

शादियों में 8वें फेरे में ली जाएगी कन्या भ्रूण हत्या न करने की शपथ

यह योजना सिर्फ जन्म के बाद जश्न तक सीमित नहीं है, बल्कि विवाह जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक रस्म में भी बदलाव ला रही है। डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर पंडितों और पुजारियों का एक सम्मेलन आयोजित करने को कहा जाएगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य उन्हें यह प्रेरित करना है कि वे शादियों के दौरान दूल्हा-दुल्हन के सात फेरों के बाद एक 'आठवां फेरा' भी करवाएं।

इस आठवें फेरे का विशेष महत्व होगा। इसमें दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे से यह वादा या कसम लेंगे कि वे न तो खुद कभी कन्या भ्रूण हत्या करवाएंगे और न ही इसे होने देंगे। यह एक प्रतीकात्मक और सशक्त कदम है, जो नए वैवाहिक जीवन की शुरुआत से ही लैंगिक समानता और बेटी बचाओ के संदेश को जोड़ेगा।

'लौटा-नमक' प्रथा और 'हवन-यज्ञ' में आहुति

योजना के तहत सरकार लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए कई पारंपरिक प्रथाओं का सहारा ले रही है।

• लौटा-नमक की प्रथा से शपथ : डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि सामूहिक सभाओं में 'लौटा-नमक' की प्रथा के तहत लोगों को बेटा-बेटी में भेदभाव न करने की शपथ दिलाई जाएगी। इस प्रथा में कसम तोड़ने पर नमक की तरह घुल जाने का शाब्दिक अर्थ होता है, जो सामाजिक दबाव बनाने में सहायक होगा।

• हवन-यज्ञ में आहुति : प्रदेश में होने वाले हवन और यज्ञ के दौरान भी पंडित-पुजारियों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे समारोह के आयोजकों और परिवारों से लड़का-लड़की में कोई भेदभाव नहीं करने की आहुति भी डलवाएं। रोहतक में आर्य समाज द्वारा शुरू की गई यह पहल अब पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी।

धार्मिक और मनोरंजक आयोजनों से सरकार देना चाहती है कड़ा संदेश

सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके संदेश व्यापक रूप से जनता तक पहुंचें, इसलिए राज्य में होने वाले विभिन्न धार्मिक और मनोरंजक आयोजनों पर भी सरकार की नजर रहेगी। डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि इन आयोजनों की स्वीकृति लेने के लिए आयोजकों को अब जिला उपायुक्त (डीसी) से परमिशन लेनी होगी और एक एफिडेविट (शपथ पत्र) भी देना होगा। इस एफिडेविट के अनुसार कार्यक्रम के आयोजक, धर्मगुरु, कथावाचक और गायक व अन्य कलाकार कार्यक्रम से पहले लोगों को राज्य सरकार का यह संदेश देंगे कि वे कभी भी बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं करेंगे, कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे, जिसे मानव हत्या माना जाता है। मुख्यमंत्री नायब सैनी और स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभागों के संदेश भी लोगों तक पहुंचाए जाएंगे।

जागरूकता के लिए वीडियो क्लिप और गाने तैयार

लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से जागरूकता संबंधी वीडियो क्लिप तैयार की गई हैं, जिन्हें जल्द ही जारी किया जाएगा। इन क्लिप्स के माध्यम से लोगों को लिंगानुपात को संतुलित करने, बेटा-बेटी में भेदभाव न करने और कन्या भ्रूण हत्या न करने संबंधी संदेश दिया जाएगा। 

गायक भी इस अभियान में अपनी भूमिका निभाएंगे। राज्य में होने वाले कार्यक्रमों में गायक अपने गीत और गानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगे। डॉ. कुलदीप सिंह ने उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे "ओ री चिरैया, नन्ही सी चिड़िया-अंगना में फिर आजा रे" जैसे गानों से लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया जाएगा।

लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने का प्रयास

डीजी स्वास्थ्य पी. कुलदीप सिंह ने जोर देकर कहा कि एक स्वस्थ और संतुलित समाज के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव आना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्वीकार किया कि स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग अपने प्रयासों से लिंगानुपात में लगातार सुधार लाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्राकृतिक रूप से संतुलित लिंगानुपात में स्थिरता तभी आ सकेगी जब लोगों की सोच और व्यवहार में वास्तविक बदलाव आएगा। हरियाणा सरकार की यह नई और व्यापक योजना निश्चित रूप से इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सामाजिक जागरूकता और पारंपरिक रीतियों का उपयोग करके एक बड़े बदलाव की नींव रख रही है। 

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