1930 हेल्पलाइन बना सुरक्षा कवच: हरियाणा ने साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी का रिकॉर्ड तोड़ा, धोखाधड़ी में 50% की गिरावट

बीते दो वर्षों में हरियाणा ने न केवल ठगी की रकम में भारी गिरावट दर्ज की है, बल्कि वसूली दर को भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचाया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले डिजिटल खतरे साइबर अपराधी महज कुछ सेकंड में आम लोगों के बैंक खाते साफ कर दे रहे हैं।

Updated On 2025-10-04 08:10:00 IST

दिल्ली में साइबर क्राइम।

पूरे देश की जांच एजेंसियों के लिए जहां साइबर अपराध सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है, वहीं हरियाणा पुलिस की सक्रिय रणनीति और साइबर हेल्पलाइन 1930 की मदद से राज्य साइबर ठगों के खिलाफ देश का मॉडल सुरक्षा राज्य बनकर उभरा है। बीते दो वर्षों में हरियाणा ने न केवल ठगी की रकम में भारी गिरावट दर्ज की है, बल्कि वसूली दर को भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचाया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले डिजिटल खतरे

साइबर अपराधी अब केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका डिजिटल जाल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैल चुका है। देश-विदेश में बैठे ठग महज कुछ सेकंड में आम लोगों के बैंक खाते साफ कर दे रहे हैं।

परंपरागत जेबकतरी की जगह अब साइबर ठग ओटीपी चोरी, पासवर्ड फिशिंग, सिम क्लोनिंग, यूपीआई रिक्वेस्ट का दुरुपयोग और रिमोट/स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसके अलावा, नकली निवेश प्लेटफॉर्म, फर्जी क्रिप्टो करेंसी ऐप्स और सोशल मीडिया पर वायरल फर्जी पोर्टफोलियो डैशबोर्ड के जरिए भी बड़ी रकम का झांसा दिया जा रहा है।

'डिजिटल गिरफ्तारी' घोटाला

हरियाणा पुलिस ने एक नई और खतरनाक प्रवृत्ति की पहचान की है, जिसे "डिजिटल गिरफ्तारी" घोटाला कहा जा रहा है। इसमें साइबर ठग वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे पैसों या संवेदनशील जानकारी की उगाही करते हैं। अनुमान है कि साल 2025 तक साइबर अपराधों से वैश्विक नुकसान 10.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

हरियाणा पुलिस की निर्णायक कार्रवाई

हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर के नेतृत्व में राज्य ने साइबर अपराध के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है, जिसके परिणाम आंकड़ों में स्पष्ट दिखते हैं।

• धोखाधड़ी की रकम में गिरावट: बीते दो वर्षों में साइबर धोखाधड़ी की रकम में करीब 50% की गिरावट दर्ज की गई है।

• रिकॉर्ड वसूली दर: साइबर ठगी की गई राशि की वसूली दर 10% से बढ़कर 2025 में 45% तक पहुंच गई है।

• गिरफ्तारियों में तेजी: पहले जहां रोजाना औसतन 5 गिरफ्तारियां होती थीं, अब यह संख्या 22 प्रतिदिन तक पहुंच गई है।

• कुल गिरफ्तारी: जनवरी 2024 से अगस्त 2025 के बीच लगभग 9770 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें बड़ी संख्या में अपराधी अन्य राज्यों से जुड़े थे।

साइबर हेल्पलाइन नंबर बना डिजिटल सुरक्षा की ढाल

हरियाणा पुलिस ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 को तकनीकी और मानव संसाधनों से सशक्त बनाकर देश की सबसे प्रभावी हेल्पलाइनों में से एक बना दिया है।

इस हेल्पलाइन की सबसे बड़ी ताकत इसकी त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली है। यहां प्रशिक्षित अधिकारी, समर्पित कॉल टर्मिनल और प्रमुख बैंकों के नोडल अफसरों की 24x7 टीम मौजूद है, जो तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए ठगी की गई राशि को समय रहते ब्लॉक करने में सक्षम है। इस प्रणाली ने हजारों लोगों को वित्तीय नुकसान से बचाने में सफलता हासिल की है।

संदिग्ध बैंक खातों की पहचान

1. म्यूल अकाउंट टारगेट (MAT) टीम: इस विशेष इकाई ने पिछले दो वर्षों में 6.5 लाख से अधिक म्यूल खातों की सूचना बैंकों को दी है, जिससे धोखेबाजों द्वारा उनका दोबारा इस्तेमाल रोका जा सका है।

2. मोबाइल और IMEI ब्लॉकिंग: उक्त अवधि में 1.7 लाख से अधिक धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं, जिससे अपराधियों के संचार माध्यम बाधित हुए हैं।

जन-जागरूकता बना सबसे अहम हथियार

हरियाणा पुलिस का मानना है कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए जन-जागरूकता सबसे अहम हथियार है। इसी सोच के साथ 8,000 से अधिक जागरूकता कार्यक्रम 2024-25 के बीच आयोजित किए गए हैं। प्रत्येक महीने के पहले बुधवार को “साइबर जागरूकता दिवस” और अक्टूबर माह को “राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह” के रूप में मनाया जा रहा है।

हरियाणा पुलिस का यह सक्रिय, सहयोगात्मक और तकनीक-संचालित मॉडल न सिर्फ राज्य के लिए, बल्कि देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक प्रभावी और अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है। यह मॉडल साबित करता है कि तकनीकी दक्षता, वित्तीय संस्थानों के साथ समन्वय और जन-जागरूकता का संगठित उपयोग ही डिजिटल अपराधों पर ठोस नियंत्रण का रास्ता है। 


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