नौसेना भवन दिल्ली का क्लर्क जासूसी में गिरफ्तार: रेवाड़ी के युवक के खाते में पाकिस्तान से आए रुपये, राजस्थान इंटेलिजेंस का खुलासा
आरोपी पुलिस परिवार से आता है। उसे 16 जून को मानेसर से हिरासत में लिया गया था। परिजनों को 24 जून को उसकी गिरफ्तारी का पता चला। जयपुर में एसपी इंटेलिजेंस ने परिजनों को उसके खाते में हुई पाकिस्तानी ट्रांजेक्शन और हैंडलर के साथ चेट के सबूत दिखाए हैं।
विशाल यादव।
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक युवक को जासूसी के आरोप में राजस्थान इंटेलिजेंस ने गिरफ्तार किया है। विशाल यादव दिल्ली स्थित नौसेना भवन में अपर डिविजनल क्लर्क (UDC) के पद पर तैनात था। उसके बैंक खाते में पाकिस्तान से डेढ़ लाख रुपये की संदिग्ध ट्रांजैक्शन मिली है। हर छोटी जानकारी के लिए उसे 5 से 10 हजार रुपये दिए जा रहे थे, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय उसे 50 हजार रुपये की बड़ी रकम मिली, जिससे जांच एजेंसियों का शक पुख्ता हो गया।
नौसेना भवन में तैनात क्लर्क जासूसी के आरोप में गिरफ्तार
रेवाड़ी जिले के पुंसिका गांव निवासी और वर्तमान में रेवाड़ी शहर की उत्तम नगर कॉलोनी में रह रहे विशाल यादव को जासूसी के गंभीर आरोप में गिरफ्तार किया गया है। विशाल दिल्ली स्थित नौसेना भवन में अपर डिविजनल क्लर्क (UDC) के पद पर कार्यरत था, जिससे उसकी गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। राजस्थान इंटेलिजेंस ने इस मामले का खुलासा किया है।
पिता और चाचा हरियाणा पुलिस में
विशाल यादव का पारिवारिक बैकग्राउंड पुलिस का रहा है, जिसने इस गिरफ्तारी को और अधिक चौंकाने वाला बना दिया है। विशाल के पिता सुनील यादव हरियाणा पुलिस में एएसआई (सहायक उप-निरीक्षक) के पद पर तैनात थे, जिनकी लगभग 12 साल पहले रोहड़ाई गांव के पास एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। विशाल के दो चाचा, अनिल और सुशील भी हरियाणा पुलिस में सेवा दे चुके हैं। चाचा अनिल एएसआई के पद से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले चुके हैं, जबकि चाचा सुशील यादव वर्तमान में एएसआई के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
विशाल यादव दो बच्चों का पिता है, जिसमें एक बेटी बड़ी और एक बेटा छोटा है। गिरफ्तारी के समय उसकी पत्नी सनाया बच्चों के साथ अपने मायके गई हुई थी। वर्तमान में, घर पर विशाल की मां अकेली रहती हैं। उन्हें विशाल की गिरफ्तारी का पता 24 जून को चला, जिसके बाद से वह सदमे में हैं और घर से बाहर नहीं निकल पा रही हैं।
16 जून को हिरासत में लेने का दावा
विशाल यादव के परिवार द्वारा किए गए दावे के अनुसार, राजस्थान इंटेलिजेंस ने 16 जून को ही उसे हिरासत में ले लिया था। परिवार का कहना है कि विशाल दिल्ली से घर के लिए निकला था और जैसे ही वह मानेसर पहुंचा, इंटेलिजेंस टीम ने उसकी गाड़ी रोक ली और उसे अपनी गाड़ी में बैठा लिया। विशाल की गाड़ी को मानेसर में एक मेडिकल स्टोर के बाहर खड़ी करवा दिया गया, और टीम उसे अपने साथ ले गई।
16 जून को दिल्ली से निकले विशाल की कोई जानकारी परिवार को नहीं मिल रही थी, जिससे वे चिंतित थे। फिर अचानक 22 जून को उसके चचेरे भाई के पास एक कॉल आई, जिसमें कहा गया कि विशाल 2 दिन में आ जाएगा और कहीं बाहर घूमने गया है। इस कॉल के बाद परिवार सक्रिय हुआ और पुलिस से विशाल के फोन को सर्विलांस पर लगवाया। फोन की आखिरी लोकेशन मानेसर की मिली, जिसके बाद परिवार मानेसर पहुंचा तो वहां विशाल की गाड़ी खड़ी मिली।
बोलेरो के नंबर से जयपुर पहुंचे परिजन, पुलिस ने दिखाए सबूत
विशाल को उठाने के लिए राजस्थान इंटेलिजेंस टीम जिस गाड़ी (बोलेरो) से आई थी, उसका नंबर किसी ने नोट कर लिया था। जब विशाल के परिवार ने उस नंबर का रजिस्ट्रेशन चेक करवाया तो वह एसपी इंटेलिजेंस, जयपुर का निकला। इसके बाद विशाल के चाचा अनिल 24 जून को जयपुर पहुंचे और एसपी इंटेलिजेंस से मुलाकात की। जयपुर इंटेलिजेंस कार्यालय में जब विशाल के चाचा अनिल ने गिरफ्तारी का कारण पूछा, तो उन्हें विशाल के बैंक खाते में पाकिस्तान से हुई संदिग्ध ट्रांजैक्शन के सबूत दिखाए गए। इसके अलावा, पाकिस्तानी हैंडलर के साथ विशाल की हुई चैट के स्क्रीनशॉट भी दिखाए गए। यह चैट फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप के अलावा अन्य सोशल साइट्स पर भी हुई थी, जो उसकी गतिविधियों पर संदेह पैदा करती है।
'ऑपरेशन सिंदूर' से हुई गिरफ्तारी
विशाल यादव जांच एजेंसियों के रडार पर अचानक नहीं आया। साल 2022 में जासूसी के आरोप में 'प्रिया' नाम की आईडी से बातचीत करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जब उस प्रिया शर्मा के सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की गई, तो विशाल यादव भी उसकी फ्रेंड लिस्ट में मिला। विशाल यादव की प्रोफाइल चेक करने पर पता चला कि वह नौसेना मुख्यालय में क्लर्क के पद पर कार्यरत है। इसके बाद इंटेलिजेंस ने उस पर लगातार नजर रखना शुरू कर दिया।
जांच एजेंसियां विशाल यादव की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही थीं। इसी दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक एक विशेष अभियान के दौरान जब विशाल यादव के खाते में 50 हजार रुपये का एक बड़ा ट्रांजेक्शन वेरिफाई हुआ, तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। उसके फोन की फॉरेंसिक जांच में लेन-देन और सामरिक महत्व की सूचनाएं पाकिस्तान भेजने की पुष्टि हुई, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी पुख्ता हो गई। विशाल के चाचा, रिटायर्ड एएसआई अनिल, जो उनके पड़ोस में ही रहते हैं, ने कहा कि इंटेलिजेंस को कुछ तो मिला होगा, तभी उन्होंने विशाल को उठाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और कानून अपना काम करेगा। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे को उजागर करता है और दिखाता है कि कैसे दुश्मन देश संवेदनशील जानकारी निकालने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर रहे हैं।