निजी अस्पताल ने रोका शव: रेवाड़ी में पुलिस के हस्तक्षेप और 20 हजार रुपये देने पर मिला मृत शरीर
पुलिस की मौजूदगी में अस्पताल प्रशासन ने पहले 40 हजार और फिर 20 हजार रुपये में शव देने पर सहमति जताई। अस्पताल प्रबंधन ने हालांकि आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वे सिर्फ बकाया बिल के बारे में बात कर रहे थे।
सुनील शर्मा (मृतक)।
रेवाड़ी के निजी अस्पताल पर आरोप है कि उसने मौत होने के बाद शव देने से इनकार कर दिया। इसका कारण फीस का पूरा भुगतान न करना बताया गया। यह घटना तब सामने आई जब पाडला गांव के सुनील शर्मा की अस्पताल में मृत्यु हो गई। उनके बेटे रोहित ने आरोप लगाया है कि उनके पिता की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रशासन ने 55 हजार की मांग की और पैसे न देने तक शव देने से मना कर दिया। यह मामला तब सुलझ पाया जब पीड़ित परिवार ने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया और शव परिजनों को सौंप दिया गया।
55 हजार रुपये बकाया मांगा
रोहित ने बताया कि उनके 42 वर्षीय पिता सुनील शर्मा को शनिवार को खून की उल्टी होने के बाद शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भर्ती के समय परिवार ने 15 हजार रुपये जमा भी कराए थे। रविवार सुबह करीब 10 बजे उनकी मृत्यु हो गई। रोहित का आरोप है कि जब वह अपने पिता का शव लेने अस्पताल पहुंचे तो प्रबंधन ने उनसे 55 हजार रुपये की बकाया राशि की मांग की। जब रोहित ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं तो अस्पताल ने शव सौंपने से साफ इनकार कर दिया।
पुलिस की दखल के बाद हुआ समझौता
जब अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इनकार किया तो रोहित और उनके परिवार ने विरोध प्रदर्शन किया और तत्काल डायल 112 की टीम को बुलाया। पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद स्थिति नियंत्रण में आई और दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हुई।
रोहित के अनुसार पुलिस की दखल के बाद अस्पताल प्रशासन ने पहले बकाया राशि को 40 हजार रुपये तक कम करने की बात कही, लेकिन बाद में 20 हजार रुपये में शव देने पर सहमति बनी। इस घटना से परिवार सदमे में है। रोहित ने बताया कि उनके पिता गांव के जलघर में ठेकेदार के तहत काम करते थे और उनकी दो बहनें हैं। वह खुद अभी पढ़ाई कर रहा है।
अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों से किया इनकार
जब इस मामले में निजी अस्पताल के एजीएम डॉ. एसएन यादव से बात की गई, तो उन्होंने आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि मरीज को पीलिया के कारण लीवर डैमेज होने की स्थिति में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि मरीज का 49 हजार रुपये का बिल पेंडिंग था, जिसे जमा करने के लिए कहा गया था। डॉ. यादव ने कहा कि जब परिजनों ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति का हवाला दिया, तो बिल को कम कर दिया गया। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि अस्पताल ने शव देने से मना किया था, उनका कहना था कि वे केवल बिल के पैसे के बारे में बात कर रहे थे।