भिवानी के बॉक्सर ने थाईलैंड में जीता गोल्ड: नमन तंवर ने चाइना के बॉक्सर को 4-1 से हराकर लहराया परचम

14 साल की उम्र में फिटनेस के लिए बॉक्सिंग शुरू करने वाले नमन ने चोट के कारण दो साल रिंग से दूर रहने के बाद यह शानदार वापसी की है। उत्तरी रेलवे में सीनियर टीटीई के पद पर कार्यरत नमन के पिता राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी रहे हैं।

Updated On 2025-06-01 17:04:00 IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हाथ मिलाते नमन।

हरियाणा के भिवानी जिले के लिए यह एक गर्व का क्षण है। युवा मुक्केबाज नमन तंवर ने थाईलैंड में चल रहे प्रतिष्ठित थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। उन्होंने फाइनल मुकाबले में चीन के बॉक्सर को 4-1 से करारी शिकस्त देकर यह उपलब्धि हासिल की। नमन तंवर वही बॉक्सर हैं जिन्होंने साल 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को बॉक्सिंग में पहला पदक दिलाया था। उनकी यह जीत, चोट से वापसी के बाद मिली एक बड़ी सफलता है।

फिटनेस से शुरू हुआ सफर, बन गए इंटरनेशनल चैंपियन

मूलरूप से भिवानी के हालुवास गांव और वर्तमान में डीसी कॉलोनी भिवानी में रहने वाले नमन तंवर का बॉक्सिंग का सफर काफी दिलचस्प है। उन्होंने खेल की शुरुआत किसी बड़े लक्ष्य के साथ नहीं, बल्कि खुद को फिट रखने के उद्देश्य से की थी। नमन बताते हैं कि उन्हें नहीं पता चला कि कब उन्हें बॉक्सिंग से गहरा लगाव हो गया। उन्होंने साल 2012 में, जब उनकी उम्र करीब 14 साल थी, तब इस खेल में कदम रखा। नमन तंवर भिवानी की प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य अवार्डी कैप्टन हवासिंह श्योराण एकेडमी में प्रैक्टिस करते हैं, जिसने देश को कई नामी मुक्केबाज दिए हैं। खेल के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखते हुए, नमन तंवर वर्तमान में उत्तरी रेलवे में सीनियर टीटीई के पद पर कार्यरत हैं और उनकी पोस्टिंग आनंद विहार स्टेशन पर है। यह दिखाता है कि नमन ने खेल और करियर दोनों में संतुलन बनाए रखा है।

कॉमनवेल्थ गेम्स में भी जीत चुके हैं कांस्य पदक

यह पहला मौका नहीं है जब नमन तंवर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स) में उन्होंने पुरुषों के 91 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता था। उस समय 19 वर्षीय नमन को सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के जेसन व्हाटली के खिलाफ 0-4 से हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। लेकिन उस पदक ने ही उन्हें भारतीय बॉक्सिंग में एक उभरते सितारे के रूप में पहचान दिलाई थी।

चोट के बाद शानदार वापसी, दो साल रिंग से रहे दूर

नमन तंवर का करियर चुनौतियों से भरा रहा है। टोक्यो ओलिंपिक गेम्स के क्वालिफायर टूर्नामेंट के दौरान उन्हें कमर में गंभीर चोट लग गई थी। इस चोट के कारण वे लगभग 2 साल तक रिंग से दूर रहे। इतनी लंबी दूरी के बाद वापसी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद मुश्किल होता है, लेकिन नमन ने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से उन्होंने रिंग में वापसी की। चोट से उबरने के बाद, उन्होंने बरेली में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता। इस जीत ने ही थाईलैंड ओपन इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए उनका रास्ता साफ किया। थाईलैंड में गोल्ड मेडल जीतकर नमन ने साबित कर दिया कि वह एक सच्चे चैंपियन हैं जो मुश्किलों से डरते नहीं। उनकी यह वापसी कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

MDU रोहतक के स्टूडेंट, पिता ने दिया था खेलों का रास्ता

नमन तंवर सिर्फ रिंग में ही नहीं, बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल रहे हैं। उन्होंने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) रोहतक से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की है। वर्तमान में वे इंग्लिश ऑनर्स से अपनी मास्टर डिग्री कर रहे हैं। नमन के जीवन में उनके पिता का भी बड़ा योगदान रहा है। नमन ने 10वीं कक्षा में अपने पिता से कहा था कि वह एक ही चीज में सही कर सकते हैं। जिस पर उनके पिता ने उन्हें खेल को अपनाने की सलाह दी थी। उनके पिता ने कहा था गेम्स करो, जहां से तुम्हें पहचान मिलेगी। पिता की इस सलाह को नमन ने गंभीरता से लिया और पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी देश के लिए मेडल हासिल कर नाम रोशन किया।

राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी रहे हैं पिता, दादा थे श्रीलंका शांति सेना के सदस्य

नमन तंवर के परिवार का देश सेवा का एक लंबा इतिहास रहा है। भिवानी के हालूवास गांव निवासी नमन के पिता सुंदर तंवर भारत के राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी रहे हैं। हालांकि, परिवार में कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के चलते उन्हें अपनी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा, नमन के दादा श्रीलंका शांति सेना के सदस्य थे, जो वहां देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए थे। परिवार के त्याग और बलिदान के इस इतिहास को देखते हुए, उनके दादा की अनुकंपा के आधार पर साल 2016 में प्रदेश सरकार ने नमन के पिता को राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर नियुक्ति दी थी। वर्तमान में वे भिवानी के डीसी ऑफिस में तैनात हैं। नमन की यह उपलब्धि उनके परिवार के लिए भी गर्व का विषय है, जिसने देश सेवा की एक लंबी परंपरा निभाई है। 

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