CET Exam Updates: हरियाणा में नॉर्मलाइजेशन होगा लागू, आयोग ने बेहतर और कानूनी रूप से मान्य सुझाव मांगे
नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो विभिन्न शिफ्टों में हुए पेपरों की कठिनाई के अंतर को दूर करती है, ताकि सभी को समान अवसर मिलें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी उम्मीदवार को आसान या कठिन पेपर के कारण कोई नुकसान न हो।
HSSC चेयरमैन हिम्मत सिंह।
हरियाणा में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खबर है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने संकेत दिए हैं कि ग्रुप-सी भर्ती के लिए हुए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) में नॉर्मलाइजेशन लागू किया जाएगा। यह फैसला उन लाखों उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने यह परीक्षा दी है। चेयरमैन ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि नॉर्मलाइजेशन को लेकर यदि किसी के पास कोई बेहतर और कानूनी रूप से मान्य सुझाव हो तो वे उसे भेज सकते हैं। आयोग ने यह भी आश्वासन दिया है कि इस प्रक्रिया के बाद किसी भी उम्मीदवार को कोई शिकायत नहीं होगी।
इसलिए लागू किया जा रहा नॉर्मलाइजेशन
HSSC द्वारा नॉर्मलाइजेशन को लागू करने का मुख्य कारण यह है कि CET परीक्षा चार अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित की गई थी। जब कोई भी परीक्षा एक से अधिक शिफ्टों में होती है तो यह स्वाभाविक है कि सभी पेपरों का कठिनाई स्तर एक जैसा नहीं हो सकता। किसी शिफ्ट का पेपर थोड़ा आसान हो सकता है तो किसी का थोड़ा कठिन। ऐसे में सभी उम्मीदवारों को एक समान मंच प्रदान करने के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी उम्मीदवार को उसके पेपर की कठिनाई के कारण नुकसान न हो।
ये है नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला
नॉर्मलाइजेशन एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न शिफ्टों में हुई परीक्षाओं में उम्मीदवारों के अंकों को एक समान पैमाने पर लाने के लिए किया जाता है। इस फॉर्मूले से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी उम्मीदवार को केवल इसलिए अधिक या कम अंक न मिलें क्योंकि उसने आसान या कठिन पेपर दिया था।
उदाहरण के लिए अगर किसी शिफ्ट का पेपर बहुत कठिन था और उस शिफ्ट के उम्मीदवारों के औसत अंक कम आए तो नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला उनके अंकों को बढ़ाकर उन उम्मीदवारों के बराबर ला देगा जिन्होंने आसान पेपर दिया था। इसी तरह अगर किसी शिफ्ट का पेपर बहुत आसान था और उम्मीदवारों के औसत अंक बहुत ज्यादा आए, तो उनके अंकों में थोड़ी कमी की जा सकती है। इससे सभी उम्मीदवारों के साथ न्याय होता है।
क्यों पड़ती है नॉर्मलाइजेशन की जरूरत
नॉर्मलाइजेशन की जरूरत तब पड़ती है जब कोई भी बड़ी परीक्षा कई शिफ्टों में आयोजित की जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर शिफ्ट के उम्मीदवारों को समान अवसर मिलें, यह फॉर्मूला लागू किया जाता है। नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले में पेपर की कठिनाई तय करने के लिए कई तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें से एक तरीका यह है कि सभी शिफ्टों के पेपरों के औसत अंकों की तुलना की जाती है। जिस शिफ्ट में औसत अंक सबसे कम होते हैं, उसे सबसे कठिन माना जाता है। हां, नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले से किसी उम्मीदवार के अंक कम या ज्यादा हो सकते हैं, यह पूरी तरह से उस शिफ्ट के पेपर के कठिनाई स्तर और उसमें अन्य उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। अगर किसी शिफ्ट का पेपर आसान था और उस शिफ्ट के औसत अंक ज्यादा हैं, तो आपके अंक थोड़े कम हो सकते हैं।
हरियाणा में 2022 में हुए CET परीक्षा में भी HSSC ने नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लागू किया था। उस समय भी लाखों की संख्या में उम्मीदवारों के शामिल होने और अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा होने के कारण इसे अपनाया गया था, 2022 में नॉर्मलाइजेशन का विरोध भी हुआ था, जब कुछ उम्मीदवारों ने पंचकूला में HSSC कार्यालय के बाहर धरना दिया था। उनकी मुख्य मांग यह थी कि चयन केवल अंकों के आधार पर हो और हर पद के लिए एक ही पेपर आयोजित किया जाए। इस बार भी नॉर्मलाइजेशन को लेकर कुछ विरोध की आशंका है, यही वजह है कि आयोग ने कानूनी सुझाव मांगे हैं।
अभ्यर्थियों की उम्मीदें और आयोग की तैयारी
HSSC के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने आश्वासन दिया है कि इस बार नॉर्मलाइजेशन को इस तरह से लागू किया जाएगा कि किसी भी उम्मीदवार को कोई शिकायत नहीं होगी। आयोग सभी कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रहा है ताकि यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
CET परीक्षा में 13 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। अब सभी को इसके रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है। चेयरमैन के अनुसार, जल्द ही आंसर-की जारी की जाएगी और एक महीने के भीतर रिजल्ट भी घोषित कर दिया जाएगा। यह उम्मीद की जा रही है कि नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लागू होने के बाद रिजल्ट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी और सभी योग्य उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेगा।