हरियाणा लाडो-लक्ष्मी योजना: BPL राशन कार्ड कटने के डर से 20 लाख पात्रों में सिर्फ 6.2 लाख का आवेदन, CM चिंतित
हरियाणा की लाडो-लक्ष्मी योजना में 20 लाख पात्रों के मुक़ाबले सिर्फ़ 6.2 लाख आवेदन आए। महिलाओं को डर है कि मासिक 2100 रुपये मिलने से उनकी वार्षिक आय बढ़ेगी और BPL/गुलाबी राशन कार्ड कट जाएगा।
हरियाणा लाडो-लक्ष्मी योजना से संबंधित AI जनरेटेड फोटो।
हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी दीनदयाल लाडो-लक्ष्मी योजना को लेकर उत्साहजनक शुरुआत के बावजूद आवेदनों की संख्या उम्मीदों से काफी कम रही है, 25 सितंबर को पोर्टल लॉन्च कर सरकार ने दावा किया था कि राज्य की 20 लाख से अधिक महिलाएं इस योजना की पात्र होंगी, लेकिन 25 अक्टूबर की अंतिम तारीख तक केवल 6.2 लाख महिलाओं ने ही इसके लिए आवेदन किया। आवेदनों की यह अल्प संख्या तब है जब सभी जिलों में विशेष कैंप लगाए गए थे।
इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1 नवंबर से हर महीने 2100 रुपये मिलने शुरू होंगे, 25 अक्टूबर की समय सीमा समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चिंता व्यक्त की है और अधिकारियों को मेगा प्लानिंग बनाने का निर्देश दिया है। इसके चलते अब आवेदन की समय सीमा को बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया गया है, जिससे आवेदकों की संख्या 8 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है।
वीडियो देखें -https://youtu.be/ULp8v61kjYA?si=O4VHKTBE51cGimJs
पात्रता बनाम पंजीकरण की वास्तविकता
हरियाणा में 23 से 60 वर्ष की आयु वर्ग की उन महिलाओं की संख्या लगभग 19.62 लाख है जिनकी वार्षिक आय 1 लाख या उससे कम है। ये सभी महिलाएं योजना की संभावित पात्र हैं। हालांकि, आवेदन करने वाली महिलाओं की संख्या इसकी तुलना में एक तिहाई से भी कम रही है।
उदाहरण के लिए फतेहाबाद जिले में 1 लाख तक की वार्षिक आय वाली 95 हजार महिलाएं पात्र थीं, लेकिन 27 अक्टूबर तक 'क्रीड' के माध्यम से सिर्फ 4360 आवेदन ही प्राप्त हुए। इनमें से भी केवल 3842 आवेदन के लिए ही योजना की ID जनरेट हो पाई, जो यह दर्शाता है कि प्रक्रिया के अंतिम चरण तक पहुंचने वाले आवेदनों की संख्या और भी कम है।
आवेदन में कम रुचि के पीछे का 'राशन कार्ड' डर
कम आवेदनों के पीछे योजना की शर्तों के अलावा एक बड़ा और संवेदनशील कारण सामने आया है बीपीएल (पीले) और अंत्योदय (गुलाबी) राशन कार्ड कटने का डर। योजना संचालित कर रहे तीन प्रमुख विभागों (समाज कल्याण, पंचायत और क्रीड) ने मुख्यमंत्री को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में इस आशंका पर प्रकाश डाला है। महिलाओं को यह डर सता रहा है कि उनके बैंक खातों में हर महीने ₹2100 आने से उनके परिवार की वार्षिक आय में लगभग ₹25,200 की वृद्धि हो जाएगी।
• गुलाबी कार्ड धारक : ये वे अंत्योदय परिवार हैं जिनकी वार्षिक आय ₹25 हजार से ₹50 हजार के बीच होती है। इन्हें हर महीने 35 किलो गेहूं जैसी विशेष सुविधाएं मिलती हैं।
• पीले कार्ड धारक : ये बीपीएल परिवार हैं जिनकी आय ₹50 हजार से ₹1.80 लाख तक होती है।
महिलाओं को लग रहा है कि ₹2100 की मासिक आय जुड़ने से उनकी कुल वार्षिक आय गुलाबी या पीले कार्ड की पात्रता सीमा से अधिक हो जाएगी, जिससे उनका राशन कार्ड कट जाएगा और वे सस्ती दर पर मिलने वाले अनाज और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित हो सकती हैं। एक छोटी मदद (₹2100) के बदले एक बड़ी और स्थायी सुविधा (राशन कार्ड) खोने का यह डर आवेदन में बड़ी बाधा बन रहा है।
दूसरे राज्यों से आई महिलाओं के लिए जटिल प्रक्रिया
आवेदन कम होने का एक और महत्वपूर्ण कारण उन महिलाओं से संबंधित है जो दूसरे राज्यों से हरियाणा में ब्याह कर आई हैं। इन महिलाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया को जटिल बनाया गया है।
• आधार कार्ड की अनिवार्यता : उनसे उनके माता-पिता का आधार कार्ड मांगा जा रहा है।
• मृत्यु प्रमाण पत्र की समस्या : यदि माता-पिता जीवित नहीं हैं, तो उनका मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है।
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि जब इन महिलाओं का विवाह हुआ था, तब आधार कार्ड की व्यवस्था सामान्य नहीं थी, और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर भी जागरूकता का अभाव था। इस कारण, प्रमाण-पत्रों की अनुपलब्धता के चलते, एक बड़ा वर्ग आवेदन करने में असमर्थ है।
भ्रम को दूर करना होगा
दीनदयाल लाडो-लक्ष्मी योजना का लक्ष्य प्रशंसनीय है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन में दो बड़ी चुनौतियां हैं: पहला, राशन कार्ड कटने के डर को दूर करना; दूसरा, दूसरे राज्यों से आई महिलाओं के लिए दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना।
मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा 31 अक्टूबर तक आवेदन की सीमा बढ़ाना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन आवेदन की संख्या को 20 लाख के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए सरकार को न सिर्फ विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे कथित "भ्रम" (जैसा कि मंत्री बेदी ने कहा है) को दूर करना होगा, बल्कि पात्र महिलाओं के बीच जाकर यह स्पष्ट करना होगा कि ₹2100 की मदद से उनके राशन कार्ड नहीं कटेंगे। पारदर्शिता और विश्वास बहाली ही इस योजना को वास्तव में सफल बना सकती है।
जिला स्तर पर चार चरणों में प्रक्रिया पूरी होती है
1. क्रीड (CREED) द्वारा प्राप्ति: हरियाणा परिवार पहचान पत्र ऑथोरिटी (क्रीड) को एप्लिकेशन मिलती है।
2. एप्लिकेशन वर्गीकरण : प्राप्त आवेदनों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है: पहला- 'डाउटफुल एप्लिकेशन होल्ड फॉर अप्रूवल' (संदेहास्पद, अनुमोदन के लिए रोका गया)।
दूसरा- 'एप्लिकेशन पुश टू डिस्ट्रिक्ट फॉर अप्रूवल' (जिला अनुमोदन के लिए भेजा गया)। और तीसरा 'अप्रूवल पेंडिंग' (अनुमोदन लंबित)।
3. संदेह निवारण: संदेहास्पद आवेदनों पर रोक लगाकर उनका संदेह दूर किया जाता है।
4.DDLLY ID जनरेशन: बाकी दोनों स्टेप पूरे होने पर 'DDLLY' ID जनरेट होती है, जिसके बाद पैसा मिलना शुरू होता है।
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