IPS पूरन कुमार सुसाइड: CBI जांच पर फैसला टला, HC ने SIT जांच में दखल देने का कारण पूछा

लुधियाना निवासी याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील की है कि मामला बेहद संवेदनशील है, खासकर तब जब मृतक अधिकारी ने अपने सुसाइड नोट में डीजीपी समेत 15 अधिकारियों पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं।

Updated On 2025-10-31 15:29:00 IST

IPS पूरन कुमार की फाइल फोटो। 

हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या के बहुचर्चित मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) से जांच कराने की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। यह मामला केवल एक अधिकारी की मौत का नहीं है, बल्कि इसने हरियाणा पुलिस प्रशासन की कार्यशैली और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कथित उत्पीड़न के आरोपों को गंभीर सवालों के घेरे में ला दिया है। 

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की पीठ कर रही है। हालांकि, आज की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने बहस के लिए और समय की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने अगली तारीख देते हुए सुनवाई को स्थगित कर दिया। वर्तमान में इस संवेदनशील मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) द्वारा की जा रही है, लेकिन याचिकाकर्ता का मानना है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच CBI को सौंपना न्यायसंगत होगा।

गोली मारकर की थी आत्महत्या

सीनियर IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार रोहतक के सुनारिया स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (PTC) में IG पद पर तैनात थे। उन्होंने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने निजी आवास की बेसमेंट में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

8 पेज का सुसाइड नोट और एक पेज की वसीयत छोड़ी थी

आत्महत्या से पहले उन्होंने एक 8 पेज का सुसाइड नोट और एक पेज की वसीयत छोड़ी थी। इस सुसाइड नोट में उन्होंने हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक के SP नरेंद्र बिजारणिया समेत कुल 15 मौजूदा और पूर्व अधिकारियों पर उन्हें प्रताड़ित करने और परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों ने न केवल पुलिस महकमे में, बल्कि पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था।

IPS के गनमैन को गिरफ्तार किया था

आत्महत्या के बाद शाम को यह भी खुलासा हुआ कि घटना से ठीक एक दिन पहले रोहतक पुलिस ने पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार को शराब कारोबारी से रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। रोहतक SP नरेंद्र बिजारणिया ने उस समय बताया था कि सुशील ने पूछताछ में यह कबूल किया था कि वह पूरन कुमार के कहने पर रिश्वत मांग रहा था। हालांकि, 7 अक्टूबर तक पूरन कुमार को पुलिस ने इस संबंध में कोई आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किया था। इन दो घटनाओं का मेल इस केस की जटिलता को और बढ़ा देता है।

याचिका में जांच CBI को सौंपने की मांग 

लुधियाना निवासी नवनीत कुमार ने खुद को एक गैर-सरकारी संगठन 'होप वेलफेयर सोसाइटी' का अध्यक्ष बताते हुए कहा कि वकील वीके शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका (PIL) दायर की है। याचिका में साफ तौर पर इस केस की जांच CBI को सौंपने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की मुख्य दलीलें-:

• संवेदनशीलता: याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी का सुसाइड करना अपने आप में एक बेहद संवेदनशील मामला है।

• संस्थागत पूर्वाग्रह: वकील ने कहा कि जब वरिष्ठ अधिकारी आत्महत्या कर रहे हैं और कई IAS व IPS अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप लगा रहे हैं, तो यह गंभीर मामला है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न्याय "स्थानीय प्रभाव या संस्थागत पूर्वाग्रह से मुक्त" हो।

• पुलिस कार्यशैली पर सवाल: यह केवल आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह घटना पुलिस की कार्यशैली की भी पड़ताल की मांग करती है, इसलिए CBI जांच जरूरी है।

• अखंडता की रक्षा: याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने यह याचिका भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की अखंडता की रक्षा और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए दायर की है।

कोर्ट असाधारण परिस्थितियों में ही CBI को सौंप सकता है जांच

पिछली सुनवाई (17 अक्टूबर को) के दौरान मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने याचिकाकर्ता से स्पष्ट रूप से पूछा था कि इस मामले में ऐसा क्या खास है? हम जांच सीबीआई को कब सौंपेंगे? सर्वोच्च न्यायालय के वे कौन से फैसले हैं? कुछ असाधारण परिस्थितियां होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से उच्च न्यायालयों द्वारा केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय (SC) द्वारा बनाए गए दिशानिर्देशों को स्पष्ट करने के लिए कहा था।

इस मामले में कोर्ट का रुख साफ है कि वह केवल 'असाधारण परिस्थितियों' में ही SIT से जांच लेकर CBI को सौंप सकता है, और याचिकाकर्ता को इन असाधारण परिस्थितियों को सिद्ध करना होगा। आज याचिकाकर्ता ने इसी कानूनी बहस के लिए समय मांगा, जिसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई है। यह मामला अब कानूनी और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर महत्वपूर्ण हो गया है, जहां न केवल आईपीएस अधिकारी की मौत की गुत्थी सुलझानी है, बल्कि हरियाणा पुलिस प्रशासन के भीतर चल रही समस्याओं की भी पड़ताल करनी होगी। 


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