फर्जी कॉल सेंटर रैकेट का मास्टरमाइंड गिरफ्तार: पंचकूला में ED की बड़ी कार्रवाई, हवाला से आता था भारत तक कैश
आरोपी ठगी गई रकम को बिटकॉइन, जेल्ल जैसे माध्यमों से वसूलता था और फिर हवाला नेटवर्क के जरिए भारत में कैश लाता था। यह पैसा बाद में आरोपी के व्यक्तिगत और फर्म के खातों के साथ-साथ उसकी मां के खाते में जमा किया जाता था।
पंचकूला में फर्जी कॉल सेंटरों से गिरफ्तार युवा।
पंचकूला में फर्जी कॉल सेंटरों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट चलाने वाले एक मुख्य आरोपी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान महेश चंद्रशेखर शेट्ये के रूप में हुई है। ईडी ने यह गिरफ्तारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत की है। ईडी के अनुसार महेश शेट्ये हवाला नेटवर्क का उपयोग करके अपराध से अर्जित की गई रकम (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) को गैरकानूनी तरीके से भारत ला रहा था और विभिन्न खातों में डालकर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल था। यह पूरा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का नेटवर्क पंचकूला के आईटी पार्क, सेक्टर-22 में स्थित एक नकली टेक्निकल-सपोर्ट कॉल सेंटर से संचालित किया जा रहा था।
आरोपी 7 दिन की ईडी हिरासत में
ईडी ने 29 नवंबर को आरोपी महेश शेट्ये को गिरफ्तार किया था और उसी दिन उसे पंचकूला की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया। मामले की जटिलता और रैकेट के सभी पहलुओं की विस्तृत जांच की आवश्यकता को देखते हुए कोर्ट ने आरोपी महेश शेट्ये को सात दिनों की ईडी कस्टडी में भेज दिया है। इस दौरान ईडी उससे हवाला नेटवर्क और मनी लॉन्ड्रिंग के तरीकों के बारे में गहन पूछताछ करेगी।
अमेरिकी नागरिकों को बनाया जाता था निशाना
शिकायतों और ईडी की जांच में सामने आया कि आरोपी महेश शेट्ये और उसके साथी बिना किसी वैध अनुमति के आईटी पार्क में फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे और मुख्य रूप से अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर रहे थे। जांच से पता चला है कि ये कॉल सेंटर कर्मचारी खुद को नेटफ्लिक्स, अमेजन, स्पेक्ट्रम और एटीएंडटी जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों के प्रतिनिधि बताते थे। वे वीओआईपी डायलर (VoIP Dialer) और रिमोट-एक्सेस टूल (Remote-Access Tool) का इस्तेमाल करके अमेरिकी नागरिकों को झूठे टेक्निकल-सपोर्ट कॉल करते थे। उन्हें यह कहकर डराया जाता था कि उनके सिस्टम में गंभीर तकनीकी समस्याएं हैं, जिसके बहाने उनसे 100 से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक की बड़ी रकम ठगी जाती थी।
ठगी के पैसों का मनी लॉन्ड्रिंग खेल
ईडी की जांच में सामने आया है कि ठगी की गई राशि को अवैध रूप से भारत कैसे लाया जाता था और फिर वैध संपत्ति में बदला जाता था। ठगी की गई राशि को प्राप्त करने के लिए आरोपी जेल (Zelle), रेमिटली (Remitly), बिटकॉइन और कैश ऐप गिफ्ट कार्ड जैसे विभिन्न डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते थे। एक बार राशि वसूलने के बाद, उसे हवाला चैनलों के जरिए कैश में भारत ट्रांसफर किया जाता था, ताकि भारतीय एजेंसियों की नजर से बचा जा सके।
खातों में पैसे का लेन-देन
ईडी ने पाया कि यूएस से आई इस गैर-कानूनी कमाई (POC) को पहले महेश शेट्ये के व्यक्तिगत बैंक खाते और उसकी फर्म 'एमएसी एंड क्रिस इंटरप्राइजेज' के खाते में जमा किया जाता था। इसके बाद, इस राशि को उसकी मां शालिनी के बैंक खाते में भी ट्रांसफर किया गया, जिसका उद्देश्य पैसे की उत्पत्ति को छिपाना था। बाद में इसी गैर-कानूनी कमाई का इस्तेमाल आरोपी द्वारा प्रॉपर्टी खरीदने, महंगी कारें खरीदने और अपने व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया गया, जिससे अपराध से अर्जित धन को वैध संपत्ति में बदला जा सके। कॉल सेंटर के अन्य कर्मचारियों ने भी महेश शेट्ये को इस पूरे रैकेट का मुख्य संचालक बताया है।
पुलिस ने पहले ही किया था भंडाफोड़
इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ अगस्त 2025 में हुआ था। पंचकूला के पुलिस कमिश्नर शिबास कबिराज ने बताया था कि पुलिस ने 20 अगस्त की रात को आईटी पार्क में छापा मारकर 3 फर्जी कॉल सेंटरों का भंडाफोड़ किया और इस दौरान 85 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें कॉल सेंटरों के मालिक और कर्मचारी शामिल थे। पुलिस ने अब तक 10 मालिकों में से 6 को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने कॉल सेंटरों से भारी मात्रा में डिजिटल उपकरण और 12 लाख से अधिक कैश जब्त किया था। ईडी की यह गिरफ्तारी पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई है, जिसमें सुरभि दूहन, ऋषभ दूहन और राहुल छौक्कर जैसे अन्य आरोपियों की भूमिका भी सामने आई है।
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