हरियाणवी फिल्म निर्माता का निधन: उम्दा कलाकार, रंगकर्मी, हास्य कलाकार प्रताप विश्वासी के जाने से कला जगत में शोक

वह केवल निर्माता ही नहीं, बल्कि संगीत प्रेमी भी थे। उन्होंने कई हरियाणवी एल्बम और नाटकों का निर्माण-निर्देशन किया, जिनमें 'बापू पढण चाल' काफी लोकप्रिय हुआ। उनके मार्गदर्शन में सैकड़ों युवा कलाकारों ने कला की बारीकियां सीखीं और अपना नाम कमाया।

Updated On 2025-06-24 15:55:00 IST

फिल्म की शूटिंग के दौरान टीम के साथ खड़े प्रताप विश्वासी।

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले से एक दुखद खबर सामने आई है। प्रमुख रंगकर्मी, हरियाणवी फिल्म निर्माता एवं निदेशक प्रताप विश्वासी का निधन हो गया है। 55 वर्षीय विश्वासी कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके असामयिक निधन से नाट्य और संगीत विधा प्रेमियों को गहरा आघात लगा है। वे एक उम्दा कलाकार, रंगकर्मी, हास्य कलाकार और संगीत के सच्चे दीवाने थे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को उनके पैतृक गांव में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया।

कई हरियाणवी एल्बमों का निर्माण और निर्देशन किया

कनीना के रहने वाले प्रताप सिंह विश्वासी, जिन्होंने कई हरियाणवी एल्बमों का निर्माण और निर्देशन किया था, गले के कैंसर से जूझ रहे थे। उनका इलाज झज्जर के पास एक अस्पताल में चल रहा था। शुक्रवार को ही वे इलाज करवाकर घर लौटे थे और एक-दो दिन में उन्हें दोबारा अस्पताल जाना था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

सैकड़ों कलाकारों के मार्गदर्शक थे प्रताप विश्वासी

प्रताप विश्वासी केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक भी थे। उनके सानिध्य में आसपास के सैकड़ों गीतकार, संगीतकार और नाटककारों ने शिक्षा प्राप्त की और आज वे कला के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं। वे कनीना की रामलीला में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाते थे और अपने समय के मशहूर संवाद लेखक (डायलॉग राइटर) के रूप में जाने जाते थे। विभिन्न स्कूलों में जब भी कोई नाट्य प्रतियोगिता आयोजित होती थी, तो उन्हें विशेष रूप से बुलाकर नाटक तैयार करवाए जाते थे। उनका मार्गदर्शन कलाकारों के लिए अमूल्य था।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनका कार्य

प्रताप विश्वासी चार भाई थे, जिनमें वे तीसरे नंबर के थे। उनके बड़े भाई चंद्राश और सुभाष हैं, जबकि छोटे भाई राजेश हैं। एक वर्ष पहले ही उनकी माता बनारसी देवी का निधन हो गया था और उनके पिता अमर सिंह पहलवान, जो एक जाने-माने पहलवान थे, का भी पहले ही निधन हो चुका है। प्रताप विश्वासी अपने पीछे एक बेटा और एक बेटी छोड़ गए हैं।

उन्होंने कई हरियाणवी टेली फिल्मों का निर्माण किया और अनेक नाटकों का सफल मंचन किया, जिनमें 'खतरे में है भारत मां', 'एक और शहीद', 'आबरू-ए-वतन', 'मान जा पाकिस्तान', 'सांई का एल्बम', 'गाड़ी में बैठ ले' और 'आत्म समर्पण' जैसे नाटक शामिल हैं। ये नाटक आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए हैं। उनका हरियाणवी नाटक 'बापू पढण चाल' तो किसी समय खूब धूम मचा चुका था। जब उनके लिखे संवाद मंच पर बोले जाते थे, तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते थे और कई बार तो उनकी आंखों में आंसू भी आ जाते थे।

कला जगत में हमेशा खलेगी कमी

प्रताप विश्वासी के अंतिम संस्कार में कलाकार धर्मेश कौशिक, महेंद्र शर्मा झाड़ली, मोहन पार्षद, मनोज कुमार, राम सिंह दखोरा, मनोज कैमरामैन, किरोड़ीमल, शिवकुमार शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कला प्रेमियों का कहना है कि विश्वासी का कला के क्षेत्र में योगदान अविस्मरणीय है और उनकी कमी हमेशा क्षेत्र को खलती रहेगी। उनके नाट्य मंचन के दौरान श्रोताओं की आँखें अक्सर आंसुओं से भीग जाती थीं, जो उनकी कला की गहराई को दर्शाता है।

एक पुरानी याद: 'खतरे में है भारत मां' नाटक का सफल मंचन

मोहन सिंह, जो पूर्व पार्षद हैं, ने एक समय का जिक्र करते हुए बताया, "मुझे बहुत अच्छी तरह याद है जब हम 'खतरे में है भारत मां' नाटक का मंचन करने जा रहे थे, तो एकदम से प्रशासन ने इसे करने से रोक दिया था। लेकिन इसके मुख्य अतिथि चेयरमैन राजबीर जटराणा और विशिष्ट अतिथि प्रधान यादव सभा धर्मपाल भुंगारका ने प्रशासन से बात की, तब जाकर स्कूल ग्राउंड में खचाखच भीड़ के बीच इसका सफल मंचन किया गया।" उन्होंने आगे कहा, "विश्वासी का बड़प्पन था कि उनमें इतना हुनर होते हुए भी कभी गुमान नहीं करते थे। अपनी इस छोटी सी उम्र में एक साधारण परिवार में रहते हुए भी कलाकारी में उन्होंने बुलंदियों को छुआ। हमें हमेशा उनकी कमी खलती रहेगी।" आज उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है।

कई कलाकारों को दिखाया सही रास्ता

प्रताप विश्वासी ने अनेक उभरते कलाकारों को सही रास्ता दिखाया। विदेश में हरियाणा का नाम रोशन करने वाले कनीना के आकाश शर्मा को आगे बढ़ाने में प्रताप विश्वासी का भरपूर सहयोग रहा। प्रारंभ में उन्होंने आकाश शर्मा को संगीत की शिक्षा दी, जिसके बाद आकाश के अनेक एल्बम निकले और उन्हें पहचान मिलना शुरू हो गई। आकाश शर्मा के पिता शिव कुमार शर्मा ने बताया कि प्रताप विश्वासी ने शुरुआत से ही आकाश का सहयोग किया। उन्होंने आकाश के लिए 'साईं का एल्बम' बनाया, जिसमें राम सिंह दखोरा, किरोड़ी लाल, बिल्लू बादशाह और स्वयं प्रताप सिंह विश्वासी जैसे बड़े कलाकारों का विशेष सहयोग रहा। प्रताप विश्वासी का निधन हरियाणा के कला और रंगमंच जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 

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