हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव: बिना वोटिंग HSGMC के प्रधान बने जगदीश सिंह झींडा, नलवी ने कहा-लोकतंत्र की हत्या हुई
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का शुक्रवार को कुरुक्षेत्र में जगदीश सिंह झींडा को प्रधान चुन लिया गया। दूसरे गुट ने इसका विरोध जताया, लेकिन इसी बीच पूरी कार्यकारिणी का गठन भी हो गया।
HSGMC की बनी नई कमेटी : कुरुक्षेत्र स्थित गुरुद्वारा छठी पातशाही में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (HSGMC) की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक में हंगामे के बीच संगठन को नया नेतृत्व मिला। इस बैठक में जगदीश सिंह झींडा को HSGMC का नया प्रधान चुना गया। इसके साथ ही कमेटी के अन्य पदाधिकारियों की भी घोषणा की गई। हालांकि दूसरे गुट ने सर्वसम्मति से इनकार किया और वोटिंग की मांग की, लेकिन उनकी एक नहीं चली। झींडा इससे पहले 2014 में HSGPC की एडहॉक कमेटी के प्रधान भी रह चुके हैं।
अन्य पदों पर भी हुई नियुक्ति
कुरुक्षेत्र में बैठक शुक्रवार दोपहर 12 बजे शुरू हुई और लगभग दो घंटे चली। इसके बाद जगदीश सिंह झींडा के नाम पर सहमति बन गई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रोटेम चेयरमैन जोगा सिंह ने की, जिन्हें इसी बैठक में स्थायी चेयरमैन के रूप में भी चुन लिया गया। इनके अलावा गुरमीत सिंह मित्ता को वरिष्ठ उपप्रधान, गुरबीर सिंह को उप प्रधान, अंग्रेज सिंह को महासचिव और बलविंदर सिंह को सहसचिव बनाया गया है। इसके अलावा करनैल सिंह, पलविंदर सिंह, कुलदीप सिंह मुल्तानी, रुपिंदर सिंह, जगतार सिंह मान और टीपी सिंह को कमेटी मेंबर नियुक्त किया गया है।
49 में से 20 सदस्यों ने मतदान की मांग की
इस चयन पर विवाद भी देखने को मिला। विपक्ष के 20 सदस्यों ने झींडा की नियुक्ति पर आपत्ति जताई और औपचारिक मतदान की मांग की। मेंबर दीदार सिंह नलवी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने विरोध करने का ऐलान किया।
दो गुटों के बीच था मुकाबला
गौरतलब है कि 19 जनवरी को हुए चुनाव में 40 सदस्य निर्वाचित हुए थे, जिनमें बाद में 9 नॉमिनेटेड सदस्य जोड़े गए। पहले 21 मई को बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन अंतिम समय में इसे स्थगित कर दिया गया था। शुक्रवार को हुई बैठक में प्रधान पद के लिए दो गुट आमने-सामने थे—एक झींडा और बलजीत सिंह दादूवाल समर्थित पैनल और दूसरा आज़ाद मेंबर्स का गुट, जिसे प्रकाश सिंह साहूवाला का समर्थन प्राप्त था। अंततः झींडा गुट ने बहुमत का दावा करते हुए जीत दर्ज की।
सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी थी लड़ाई
बता दें कि हरियाणा में लंबे जमीनी व कानूनी संघर्ष के बाद HSGPC को प्रदेश के करीब 52 गुरुद्वारों का प्रबंधन हाथ में मिला। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की अलग कमेटी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अभी तक सरकार की ओर से बनाई गई एडहॉक कमेटी इनकी देखरेख कर रही थी। अब चुनाव के बाद पूरी कमेटी बनी है। चुनाव के बाद झींडा पहले ही इस पद के लिए अपनी दावेदारी जता चुके थे। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वे प्रधान बनते हैं तो वे गुरुद्वारे की गाड़ी, ड्राइवर और ईंधन का निजी उपयोग नहीं करेंगे।