खट्टर का साफ संदेश: खेल को दुश्मनी से न जोड़ें, पर PoK और आतंकवाद पर समझौता नहीं

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भारत-पाकिस्तान मैच पर अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि खेल को दुश्मनी से जोड़ना उचित नहीं है। करनाल में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि खेल का अपना एक अलग सिस्टम और शेड्यूल होता है।

Updated On 2025-09-14 17:01:00 IST

ट्रेन से करनाल पहुंचे मनोहर लाल खट्टर। 

केंद्र सरकार में मंत्री का पदभार संभालने के बाद पहली बार अपने गृह क्षेत्र करनाल पहुंचे मनोहर लाल खट्टर ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी। जन शताब्दी ट्रेन से देर रात करनाल पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने अगले दिन कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और मीडिया से भी रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर चल रहे, विवाद केंद्र सरकार के कार्यक्रमों और बाढ़ राहत जैसे मुद्दों पर बेबाकी से जवाब दिए। उनका यह दौरा न सिर्फ राजनीतिक तौर पर अहम था, बल्कि इसने कई राष्ट्रीय विषयों पर केंद्र सरकार के रुख को भी स्पष्ट किया।

खेल को दुश्मनी से जोड़ना ठीक नहीं

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर छिड़ी बहस पर जब उनसे सवाल किया गया तो केंद्रीय मंत्री खट्टर ने सीधे तौर पर कहा कि खेल को दुश्मनी से जोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मुकाबला दुबई में हो रहा है न कि पाकिस्तान की धरती पर और इसका उद्देश्य खेल भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि आरोप लगाने से पहले हर किसी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने पुलवामा हमले के बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी कठोर कार्रवाई की, जिसकी हर तरफ सराहना हुई। खट्टर ने भारत की शर्तों को भी साफ किया। आतंकवाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को पीओके वापस करना ही होगा। अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो पड़ोसी देश के साथ अच्छे संबंध बनाने में कोई दिक्कत नहीं है।

17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा 'सेवा पखवाड़ा'

केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से लेकर महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती तक चलने वाले 'सेवा पखवाड़े' के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पूरे देश में 'सेवा पखवाड़ा' मनाया जाएगा। इस दौरान 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिवस भी मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम की रूपरेखा जिला, विधानसभा और ग्रामीण स्तर तक तैयार की गई है। रविवार को करनाल में सभी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया। इस साल के सेवा पखवाड़े में लगभग 17 तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की सेवा करना और जनहित के कार्यों को बढ़ावा देना है।

बाढ़ राहत और आपदा प्रबंधन पर सरकार का रुख

हरियाणा सरकार की केंद्र से बाढ़ राहत पैकेज की मांग पर खट्टर ने कहा कि जनहित के कार्यों के लिए हर संस्था और पार्टी को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि देश के कई हिस्सों में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है, और प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने खुद प्रभावित राज्यों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हरियाणा में भी बाढ़ का असर हुआ, हालांकि दूसरे राज्यों की तुलना में यहां नुकसान कम है। फिर भी, उन्होंने आश्वासन दिया कि हरियाणा सरकार नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करेगी।

मणिपुर और राजनीतिक बयानबाजी पर टिप्पणी

मणिपुर में हुई हिंसा को लेकर पूछे गए सवाल पर खट्टर ने कहा कि वहां कई सालों से दो समुदायों के बीच टकराव चल रहा था, जिस पर भारत सरकार ने बहुत ही सूझबूझ और धैर्य के साथ काबू पाया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मणिपुर का दौरा कर पीड़ितों की समस्याएं सुनीं और एक विशेष पैकेज की घोषणा भी की है। उन्होंने सभी लोगों से आपसी सौहार्द और शांति बनाए रखने की अपील भी की।

इसी दौरान, उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। राहुल गांधी के बयानों पर उन्होंने कहा कि विपक्ष हमेशा अपनी सुविधा के अनुसार बात करता है और सिर्फ वही दिखाना चाहता है, जिससे उसे राजनीतिक लाभ मिले। वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा बाढ़ के समय ट्रैक्टर चलाने पर उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में राजनीति करने की बजाय सबको मिलकर लोगों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस समय जरूरत राजनीति की नहीं, बल्कि लोगों की सहायता की है।

'समानांतर भाजपा' पर टिप्पणी से किया इनकार

जब पत्रकारों ने उनसे अनिल विज के उस बयान पर सवाल किया, जिसमें कहा गया था कि कुछ लोग 'समानांतर भाजपा' चला रहे हैं, तो मनोहर लाल खट्टर ने इस विषय पर कोई टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहेंगे। यह दर्शाता है कि उन्होंने पार्टी के आंतरिक मामलों पर सार्वजनिक रूप से बोलने से परहेज किया और अपनी बात को राष्ट्रीय मुद्दों तक ही सीमित रखा। 

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